Indian Railways Train Cancellation: क्या हाथियों के डर से थम जाएगी आपकी यात्रा, झारखंड के रेल यात्रियों की बढ़ी मुसीबतें
Indian Railways Train Cancellation: झारखंड और ओडिशा के रेल यात्रियों के लिए एक बार फिर मुश्किलों भरी खबर सामने आ रही है। रेलवे ने वन्यजीवों की सुरक्षा और किसी भी संभावित दुर्घटना को टालने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए टाटानगर, चक्रधरपुर, राउरकेला और हटिया स्टेशनों से चलने वाली कई लोकल ट्रेनों को रद्द कर दिया है। रेल पटरियों के (Railway Safety Measures for Wildlife) के तहत यह निर्णय लिया गया है क्योंकि लाइन के किनारे हाथियों की लगातार आवाजाही देखी जा रही है। यह तीसरी बार है जब हाथियों के झुंड के कारण परिचालन को इस तरह बाधित करना पड़ा है।
24 दिसंबर तक मेमू ट्रेनों का चक्का जाम
चक्रधरपुर रेल मंडल के अंतर्गत आने वाली प्रमुख ट्रेनें अब आगामी 24 दिसंबर तक पटरी पर नहीं लौटेंगी। इसमें मुख्य रूप से टाटानगर से चक्रधरपुर, राउरकेला, बड़बिल और गुवा के बीच चलने वाली मेमू ट्रेनें शामिल हैं। यात्रियों की (Daily Commuter Train Disruptions) को देखते हुए यह फैसला चुनौतीपूर्ण है, लेकिन सुरक्षा कारणों से रेलवे कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। कुल आठ जोड़ी मेमू ट्रेनों के रद्द होने से कोल्हान क्षेत्र और ओडिशा के हजारों दैनिक यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ेगा।
दो दर्जन हाथियों का झुंड बना सिरदर्द
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, बंडामुंडा और राउरकेला के आसपास के जंगलों से निकलकर करीब दो दर्जन हाथियों का झुंड रेल लाइन के बेहद करीब पहुंच गया है। ओडिशा वन विभाग की (Elephant Migration Corridor Monitoring) रिपोर्ट के बाद रेल प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से ट्रेनों को रद्द करने का आदेश जारी किया। हाथियों का यह झुंड अक्सर रात के समय पटरियों को पार करता है, जिससे तेज रफ्तार यात्री ट्रेनों के टकराने का खतरा बना रहता है। इससे पहले भी झारसुगुड़ा के पास हाथियों के पटरियों पर बैठने के कारण कई एक्सप्रेस ट्रेनें घंटों रुकी रही थीं।
एलीफेंट जोन में ट्रेनों का विशेष संचालन
चक्रधरपुर रेल मंडल का एक बड़ा हिस्सा कोल्हान और ओडिशा के घने जंगलों से होकर गुजरता है, जहां दर्जनों स्थानों को ‘एलीफेंट जोन’ के रूप में चिन्हित किया गया है। यहां ट्रेनों का (Forest Department Coordination System) के आधार पर ही संचालन सुनिश्चित किया जाता है। वन विभाग लगातार हाथियों की लोकेशन ट्रैक करता है और रेलवे को अलर्ट भेजता है। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि जहां यात्री ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है, वहीं इसी मार्ग पर मालगाड़ियों का संचालन अब भी जारी है, जिस पर यात्रियों ने सवाल भी उठाए हैं।
लंबी दूरी की ट्रेनों पर भी पड़ा असर
हाथियों की समस्या के साथ-साथ लाइन ब्लॉक के कारण भी कई महत्वपूर्ण एक्सप्रेस ट्रेनों के परिचालन पर ब्रेक लग गया है। टाटानगर से बिलासपुर और हटिया जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेनें अब 7 जनवरी तक रद्द रहेंगी। वहीं, टाटानगर-इतवारी एक्सप्रेस के (Long Distance Train Schedule Changes) को लेकर भी नया आदेश जारी किया गया है, जिसके तहत यह ट्रेन 20 जनवरी तक प्रभावित रहेगी। उत्कल एक्सप्रेस जैसे महत्वपूर्ण ट्रेनों का मार्ग बदलकर उन्हें झारसुगुड़ा से संबलपुर और कटक होकर चलाया जा रहा है।
कोल्हान और ओडिशा के यात्री परेशान
ट्रेनों के लगातार रद्द होने से सबसे अधिक मार उन यात्रियों पर पड़ रही है जो छोटे शहरों से टाटानगर या राउरकेला काम के सिलसिले में आते हैं। मेमू ट्रेनों के (Regional Railway Passenger Hardships) के कारण बसों और निजी वाहनों में भारी भीड़ देखी जा रही है। इससे पहले भी दिसंबर महीने में दो बार ट्रेनों को रद्द किया जा चुका है। बार-बार परिचालन बंद होने से व्यापारिक गतिविधियों पर भी बुरा असर पड़ रहा है, क्योंकि दक्षिण पूर्व रेलवे का यह हिस्सा माल ढुलाई और यात्री परिवहन दोनों के लिए काफी व्यस्त माना जाता है।
वन्यजीव सुरक्षा बनाम यात्री सुविधा का द्वंद्व
रेलवे के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती हाथियों की जान बचाना और साथ ही यात्रियों को सुगम सफर देना है। हाथियों के ट्रेन से टकराने की घटनाएं (Human Wildlife Conflict Mitigation) के प्रयासों को झटका देती हैं। इसलिए, रेलवे सेंसर और एआई तकनीक पर काम कर रहा है ताकि हाथियों की आहट मिलते ही लोको पायलट को जानकारी मिल सके। जब तक कोई ठोस तकनीक पूरी तरह लागू नहीं हो जाती, तब तक वन विभाग की रिपोर्ट ही ट्रेनों के चलने या न चलने का आधार बनी रहेगी।
यात्रियों के लिए रेलवे की नई एडवाइजरी
रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि वे घर से निकलने से पहले अपनी ट्रेन का स्टेटस जरूर चेक कर लें। आगामी (Railway Travel Advisory Updates) के अनुसार, स्थिति सामान्य होने पर ही ट्रेनों को फिर से शुरू किया जाएगा। इस्पात एक्सप्रेस जैसी लोकप्रिय ट्रेनों को भी बीच रास्ते में रोके जाने के आदेश हैं। ठंड के मौसम में हाथियों का रिहायशी इलाकों और रेल पटरियों की ओर आना आम बात है, इसलिए जनवरी तक यात्रियों को इस तरह की अनिश्चितता के लिए तैयार रहना चाहिए।