Marco rubio:2026 में भारत-अमेरिका रिश्ते नई ऊंचाई छुएंगे, क्वाड बनेगा और मजबूत – रुबियो के बयान से साफ संकेत
Marco rubio: अमेरिका के नए विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने साफ कर दिया है कि ट्रंप प्रशासन के दूसरे कार्यकाल में क्वाड सिर्फ बरकरार नहीं रहेगा, बल्कि पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और सक्रिय होगा। सोमवार को ऑस्ट्रेलिया के साथ हुई मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद रुबियो ने कहा कि अमेरिका क्वाड के प्रति पूरी तरह समर्पित है और साल 2026 में इस समूह की कम से कम तीन उच्चस्तरीय बैठकें होंगी। उनके इस बयान ने भारत समेत सभी सदस्य देशों में नई उम्मीद जगाई है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और गहरा होगा।

मार्को रुबियो ने क्यों दिया इतना मजबूत बयान?
ऑस्ट्रेलिया की यात्रा के दौरान रुबियो के साथ अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ, ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री सह रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स और विदेश मंत्री पेनी वोंग भी मौजूद थे। इस अहम मौके पर रुबियो ने कहा, “हम क्वाड के साथ अपने रिश्तों को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इस साल हम कम से कम तीन बैठकें करेंगे और आने वाले समय में यह समूह और मजबूत बनेगा।” विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन के पहले कार्यकाल में भी क्वाड को काफी बल मिला था और अब दूसरे कार्यकाल में यह तेजी और बढ़ने वाली है।
अमेरिकी रक्षा नीति विधेयक में भारत को मिला खास दर्जा
हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस ने जिस वार्षिक रक्षा नीति विधेयक (NDAA 2025) को मंजूरी दी है, उसमें भारत के साथ संबंधों को अभूतपूर्व महत्व दिया गया है। विधेयक में साफ लिखा है कि चीन के साथ रणनीतिक साझेदारी को व्यापक बनाना अमेरिका की प्राथमिकता है। इसमें क्वाड के जरिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग, संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा व्यापार बढ़ाना, मानवीय सहायता और आपदा राहत में साथ काम करना जैसे कई बिंदु शामिल हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि पहली बार भारत को स्पष्ट रूप से “सहयोगी देश” (partner nation) की श्रेणी में रखा गया है। यह दर्जा भारत-अमेरिका रिश्तों के लिए बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की चुनौती से निपटने का साझा लक्ष्य
क्वाड की स्थापना ही 2017 में इसलिए हुई थी कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को खुला, स्वतंत्र और नियम-आधारित बनाए रखा जाए। चारों देशों – भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया – का एक ही मकसद है कि कोई एक देश पूरे क्षेत्र पर अपना दबद न थोपे। पिछले कुछ सालों में क्वाड ने सिर्फ विदेश मंत्रियों और नेताओं की बैठकें ही नहीं कीं, बल्कि मालाबार नौसेना अभ्यास, आपदा राहत, वैक्सीन वितरण, क्रिटिकल टेक्नोलॉजी और क्लाइमेट चेंज जैसे कई क्षेत्रों में ठोस काम किया है। रुबियो का ताजा बयान बताता है कि अब यह सहयोग और तेज गति से आगे बढ़ेगा।
2026 में क्वाड की क्या होंगी प्राथमिकताएँ?
विश्लेषकों के मुताबिक आने वाले साल में क्वाड इन मुद्दों पर खास ध्यान देगा:
- समुद्री सुरक्षा और निगरानी में और सहयोग
- सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी क्रिटिकल टेक्नोलॉजी में सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाना
- जलवायु परिवर्तन और हरित ऊर्जा परियोजनाएँ
- साइबर सिक्योरिटी और अंतरिक्ष सहयोग
- हिंद-प्रशांत देशों को बेल्ट एंड रोड जैसी कर्ज जाल नीतियों से बचाने के लिए वैकल्पिक इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस
भारत के लिए इस मजबूत क्वाड का क्या मतलब है?
भारत के लिए यह स्थिति बहुत फायदेमंद है। एक तरफ लद्दाख और अरुणाचल सीमा पर चीन की आक्रामकता बनी हुई है, दूसरी तरफ अमेरिका के साथ रक्षा साझेदारी तेजी से बढ़ रही है। क्वाड के मजबूत होने से भारत को न सिर्फ सैन्य और खुफिया सहयोग मिलेगा, बल्कि आर्थिक और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में भी बड़े अवसर खुलेंगे। साथ ही क्षेत्र के छोटे-मझोले देशों के साथ भारत की कनेक्टिविटी और प्रभाव भी बढ़ेगा।
निष्कर्ष यही है कि 2026 भारत-अमेरिका संबंधों के लिए स्वर्णिम साल साबित हो सकता है। मार्को रुबियो का बयान और अमेरिकी रक्षा विधेयक दोनों यह साफ संदेश दे रहे हैं कि क्वाड अब सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि हिंद-प्रशांत की स्थिरता और सुरक्षा का मजबूत स्तंभ बन चुका है।



