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Israel-Canada Diplomatic Standoff: इस्राइल बॉर्डर पर कनाडाई सांसदों के साथ हुई बदसलूकी, धक्कों और आरोपों के बीच थर्राए दो देशों के रिश्ते

Israel-Canada Diplomatic Standoff: मध्य पूर्व की धरती एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय विवाद का केंद्र बन गई है, लेकिन इस बार मामला केवल युद्ध का नहीं बल्कि कूटनीतिक गरिमा का है। मंगलवार को इस्राइल ने कनाडा के एक उच्चस्तरीय निजी प्रतिनिधिमंडल को कब्जे वाले वेस्ट बैंक में प्रवेश करने से रोककर दुनिया को चौंका दिया। इस दल की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें कनाडा की संसद के छह निर्वाचित सदस्य शामिल थे। इस (Border Entry Restrictions) के कारण दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में एक नई दरार पैदा होने की आशंका बढ़ गई है।

Israel-Canada Diplomatic Standoff
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सुरक्षाकर्मियों पर सांसदों को धक्का देने का आरोप

इस घटना का सबसे विवादास्पद पक्ष तब सामने आया जब कनाडा की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी की सांसद इकरा खालिद ने इस्राइली सुरक्षाकर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि एलेनबी बॉर्डर क्रॉसिंग पर उनके साथ न केवल दुर्व्यवहार हुआ, बल्कि उन्हें शारीरिक रूप से धक्का भी दिया गया। सांसद खालिद के अनुसार, यह सब (Security Forces Conduct) की मर्यादाओं के विपरीत था, क्योंकि उनके पास विशेष सरकारी पासपोर्ट था जिससे उनकी पहचान स्पष्ट थी। इस घटना ने कनाडाई सरकार को अपने नागरिकों और प्रतिनिधियों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता में डाल दिया है।

आखिर क्यों रोका गया कनाडाई डेलिगेशन?

इस्राइल ने इस कड़ी कार्रवाई के पीछे सुरक्षा और आतंकवाद के प्रति अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का हवाला दिया है। कनाडा में इस्राइली दूतावास ने आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि इस समूह के तार एक ऐसी संस्था से जुड़े हैं जिसे इस्राइल प्रतिबंधित मानता है। इस्राइली खुफिया तंत्र के अनुसार, इस (National Security Protocol) को इसलिए लागू किया गया क्योंकि प्रतिनिधिमंडल का संबंध ‘इस्लामिक रिलीफ वर्ल्डवाइड’ से बताया जा रहा है। इस्राइल इस संगठन को एक आतंकी संस्था के रूप में वर्गीकृत करता है और उसके अनुसार किसी भी संदिग्ध जुड़ाव वाले व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती।

आतंकी फंडिंग और प्रायोजन का विवादित कनेक्शन

इस्राइली पक्ष ने अपनी जांच का हवाला देते हुए बताया कि इस यात्रा को ‘कनाडाई-मुस्लिम वोट’ नामक संगठन ने स्पॉन्सर किया था। इस्राइल का दावा है कि इस समूह को मिलने वाली फंडिंग का बड़ा हिस्सा उन स्रोतों से आता है जो प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े हैं। इस (Terrorism Funding Linkages) के आधार पर इस्राइल ने तर्क दिया कि वे किसी भी ऐसे व्यक्ति या संगठन को अपनी सीमा के भीतर प्रवेश की अनुमति नहीं दे सकते जो उनके देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। यह प्रतिनिधिमंडल वेस्ट बैंक में विस्थापित फलस्तीनियों से मिलने की योजना बना रहा था, जिसे इस्राइल ने अपनी संप्रभुता के लिए चुनौती माना।

कनाडा की विदेश मंत्री ने दर्ज कराई कड़ी आपत्ति

कनाडा सरकार ने इस पूरी घटना को अपने संप्रभु अधिकारों और प्रतिनिधियों के अपमान के रूप में लिया है। कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस्राइली बर्ताव पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि (Diplomatic Protest) के जरिए इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाया जा रहा है, क्योंकि एक मित्र देश के सांसदों के साथ इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है। कनाडा ने साफ किया है कि उनके प्रतिनिधि एक मानवीय मिशन पर थे और उन्हें रोकना अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।

ई-ट्रैवल परमिट और पारदर्शिता पर उठे सवाल

ब्रिटिश कोलंबिया की सांसद जेनी क्वान ने इस्राइली प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रतिनिधिमंडल के पास वेस्ट बैंक में प्रवेश के लिए वैध इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल अनुमति मौजूद थी। हालांकि, जैसे ही वे बॉर्डर पर पहुंचे, उनकी (Travel Authorization Cancellation) की सूचना दी गई। नेशनल काउंसिल ऑफ कनाडियन मुसलिम्स ने भी इस कदम की निंदा करते हुए कहा है कि इस्राइल की यह कार्रवाई पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों के विरुद्ध है, जिससे लोकतंत्र के वैश्विक मानकों को ठेस पहुंचती है।

कनाडा और इस्राइल के बीच बदलती राजनीति

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कड़वाहट के बीज पिछले साल ही पड़ गए थे जब कनाडा ने अपनी विदेश नीति में बड़ा बदलाव किया था। पिछले सितंबर में कनाडा ने फलस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देकर इस्राइल और अमेरिका को नाराज कर दिया था। इस (Geopolitical Policy Shift) ने कनाडा को इस्राइल की नजरों में एक निष्पक्ष मध्यस्थ के बजाय एक आलोचक के रूप में खड़ा कर दिया है। कनाडा का तर्क है कि ‘दो-राष्ट्र समाधान’ ही शांति का एकमात्र रास्ता है, लेकिन इस्राइल इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखता है।

भविष्य के रिश्तों पर अनिश्चितता के बादल

इस ताज़ा विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में कनाडा और इस्राइल के संबंध काफी चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं। सांसदों के साथ हुई धक्का-मुक्की और प्रवेश पर पाबंदी ने कनाडाई जनता के बीच भी रोष पैदा किया है। अब देखना यह होगा कि क्या (International Diplomacy Dialogue) के माध्यम से इस कड़वाहट को कम किया जा सकेगा या यह घटना दोनों देशों के बीच एक लंबे कूटनीतिक शीत युद्ध की शुरुआत साबित होगी। फिलहाल, दोनों देशों की सरकारें अपने-अपने स्टैंड पर कायम हैं, जिससे तनाव कम होने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं।

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