Bangladesh Political Unrest: क्या बांग्लादेश को गृहयुद्ध की ओर धकेल देगी शरीफ उस्मान हादी की मौत…
Bangladesh Political Unrest: बांग्लादेश इस वक्त अपने इतिहास के सबसे काले दौर से गुजर रहा है। इंकलाब मंच के युवा और ओजस्वी प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत ने पूरे देश में गुस्से की एक ऐसी लहर पैदा कर दी है, जिसने शांति की हर उम्मीद को (Dhaka Violence) जलाकर राख कर दिया है। जैसे ही यह खबर फैली कि सिंगापुर के अस्पताल में हादी ने अंतिम सांस ली है, ढाका की गलियां रणक्षेत्र में तब्दील हो गई हैं।
चुनावी आहट के बीच हिंसा का खूनी तांडव
फरवरी 2026 में होने वाले राष्ट्रीय चुनावों से ठीक पहले इस तरह की अस्थिरता ने लोकतंत्र पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। उस्मान हादी न केवल एक नेता थे, बल्कि वे उस युवा पीढ़ी की आवाज थे जो व्यवस्था परिवर्तन (National Elections Bangladesh) का सपना देख रही थी। उनकी मौत के बाद प्रदर्शनकारियों का आक्रोश इतना तीव्र है कि सुरक्षा बल भी उन्हें रोकने में बेबस नजर आ रहे हैं।
कौन था वो योद्धा जिसने सत्ता की चूलें हिला दी थीं?
शरीफ उस्मान हादी महज एक राजनेता नहीं, बल्कि शेख हसीना के तख्तापलट के दौरान उभरा एक सशक्त चेहरा थे। उन्होंने इंकलाब मंच के माध्यम से (Inqilab Mancha Spokesperson) युवाओं को लामबंद किया था। ढाका-8 निर्वाचन क्षेत्र से उनकी स्वतंत्र उम्मीदवारी ने कई स्थापित राजनीतिक दलों की नींद उड़ा दी थी, लेकिन एक जानलेवा हमले ने इस उभरते सितारे को हमेशा के लिए खामोश कर दिया।
हमले से मौत तक का वो दर्दनाक सफर
बीती 12 दिसंबर को जब हादी चुनाव प्रचार में व्यस्त थे, तब नकाबपोश हमलावरों ने उनके सिर में गोली मारकर उन्हें मौत के मुहाने पर धकेल दिया था। बांग्लादेश के स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें (Medical Airlift to Singapore) बेहतर इलाज के लिए विदेश भेजा गया, लेकिन छह दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद नियति को कुछ और ही मंजूर था और गुरुवार को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
मीडिया घरानों पर गुस्सा और आगजनी की घटना
आक्रोशित भीड़ ने अपनी भड़ास निकालने के लिए देश के प्रमुख अखबारों ‘प्रोथोम आलो’ और ‘डेली स्टार’ को निशाना बनाया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ये संस्थान (Media Freedom and Safety) विरोधी शक्तियों के साथ मिलकर काम कर रहे थे। स्थिति इतनी भयावह थी कि दमकल विभाग की गाड़ियों को भी घटनास्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए रास्तों की घेराबंदी कर दी गई थी।
भारत विरोध की आग और कूटनीतिक तनाव
बांग्लादेश में मौजूदा हिंसा का एक सिरा भारत के साथ भी जुड़ता नजर आ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने चटगांव में स्थित (Indian Consulate Attack) भारतीय सहायक उच्चायोग पर पथराव किया और धरना दिया। शेख हसीना का भारत में प्रवास करना वहां के एक वर्ग को रास नहीं आ रहा है, जिसके कारण भारतीय संपत्तियों और कूटनीतिक केंद्रों पर हमले की खबरें चिंता बढ़ा रही हैं।
अवामी लीग के अस्तित्व पर बुलडोजर का प्रहार
राजशाही जिले में गुस्सा इस कदर चरम पर था कि प्रदर्शनकारियों ने अवामी लीग पार्टी के कार्यालय को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया। पूर्व शिक्षा मंत्री के घर को (Political Party Office Destruction) आग के हवाले कर दिया गया। यह साफ दिखाता है कि जनता का एक बड़ा हिस्सा पुरानी सत्ता के अवशेषों को पूरी तरह मिटा देने पर आमादा है।
मोहम्मद यूनुस का संकल्प और राजकीय शोक
अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने हादी को ‘जुलाई विद्रोह का निडर योद्धा’ करार दिया है। उन्होंने हत्यारों के खिलाफ (Interim Government Action) सख्त कार्रवाई का वादा करते हुए शनिवार को राजकीय शोक की घोषणा की है। सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती अब इस भड़की हुई हिंसा को शांत करना और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना है।