उत्तर प्रदेश

Aligarh Brother Murder Case Investigation: जब सुहाग के साये में ही पनपा खौफनाक इश्क, भाई ने भाई को मिटाकर मिटाई अपनी प्यास

Aligarh Brother Murder Case Investigation: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित हरदुआगंज का दीनदयालपुर गांव पिछले चार महीनों से एक अनसुलझे रहस्य की चादर ओढ़े हुए था। 11 अगस्त की वह काली रात आज भी ग्रामीणों के जहन में सिहरन पैदा कर देती है, जब लोडर चालक सचिन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। शुरुआत में जिसे एक सामान्य हादसा या आत्महत्या माना जा रहा था, उसके पीछे (Domestic Violence Crime) की ऐसी रोंगटे खड़े कर देने वाली साजिश छिपी थी, जिसने समाज के पवित्र रिश्तों को तार-तार कर दिया। पुलिस की फाइलों में दफन यह मामला अब एक वीभत्स हत्याकांड के रूप में सामने आया है।

Aligarh Brother Murder Case Investigation
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प्यार में अंधे होकर अपनों ने ही बुना मौत का जाल (Aligarh Brother Murder Case Investigation)

सचिन की हत्या की पटकथा किसी बाहरी दुश्मन ने नहीं, बल्कि उसके अपने सगे भाई और जीवनसंगिनी ने मिलकर लिखी थी। पुलिसिया तफ्तीश में यह बात उजागर हुई है कि सचिन की पत्नी मधु और उसका सगा छोटा भाई धर्मेंद्र प्रताप एक-दूसरे के प्यार में इस कदर अंधे हो चुके थे कि उन्हें नैतिकता और खून के रिश्तों का कोई मोल नजर नहीं आ रहा था। सचिन को जब इन (Extramarital Affair Consequences) की भनक लगी, तो उसने कड़ा विरोध शुरू किया। यही विरोध उसकी मौत का कारण बन गया, क्योंकि मधु और धर्मेंद्र ने अपने अवैध संबंधों के रास्ते से सचिन को हमेशा के लिए हटाने का फैसला कर लिया था।

नशे की हालत में मिला मौका और दे दी दर्दनाक मौत

घटना वाली रात यानी 11 अगस्त को सचिन काम से लौटा और नशे की हालत में था। शराब के नशे में धुत सचिन जब खाना खाकर गहरी नींद सोने की कोशिश कर रहा था, तभी मधु और धर्मेंद्र ने अपने खौफनाक मंसूबों को अंजाम दिया। जैसे ही वह बिस्तर पर लेटा, मधु ने उसके पैर मजबूती से जकड़ लिए ताकि वह विरोध न कर सके। उसी वक्त धर्मेंद्र ने (Homicidal Strangulation Method) का इस्तेमाल करते हुए अपने ही बड़े भाई का गला घोंट दिया। तड़पते हुए सचिन ने चंद मिनटों में ही दम तोड़ दिया और घर के भीतर ही एक मासूम पिता और भाई का अंत हो गया।

आत्महत्या का रूप देने की नाकाम कोशिश और टूटी हुई रस्सी

हत्या को अंजाम देने के बाद आरोपियों ने बड़ी चालाकी से इसे आत्महत्या का रूप देने का प्रयास किया। उन्होंने सचिन के शव को फंदे से लटकाने की कोशिश की, ताकि दुनिया को लगे कि उसने खुदकुशी की है। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था; फंदा भारी वजन सह नहीं पाया और रस्सी टूट गई, जिससे शव नीचे फर्श पर गिर पड़ा। गिरने की वजह से सचिन के सिर में (Forensic Injury Marks) उभर आए और काफी खून बह गया। यही वो पहली चूक थी जिसने पुलिस के मन में संदेह का बीज बो दिया था, जिसे बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुख्ता कर दिया।

पुलिस की शुरुआती उलझन और परिवार का भावनात्मक दबाव

घटना के शुरुआती दौर में पुलिस हत्या और आत्महत्या के बीच के बारीक अंतर को समझने में जुटी रही। हरदुआगंज पुलिस ने परिवार में मातम का माहौल देखते हुए ज्यादा सख्ती नहीं दिखाई, जिसका फायदा आरोपियों ने उठाया। वे लगातार इस बात की दलील देते रहे कि सचिन नशे में था और शायद फिसलकर गिरने से उसे चोट लगी होगी। हालांकि, (Criminal Investigation Challenges) के बीच पुलिस ने साक्ष्यों को जुटाना जारी रखा। जैसे ही जांच की सुई मधु और धर्मेंद्र पर टिकी, दोनों आरोपी पंद्रह दिनों के लिए फरार हो गए, जिससे पुलिस का शक यकीन में बदल गया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोला खौफनाक राज और साले का साहस

सचिन की मौत के बाद मधु और धर्मेंद्र ने पोस्टमार्टम न कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। वे जानते थे कि अगर चीर-फाड़ हुई, तो गला घोंटने की बात सामने आ जाएगी। उस वक्त सचिन के साले ने सच्चाई जानने की जिद पकड़ी और पुलिस का सहयोग करते हुए पोस्टमार्टम की अनुमति दी। जब रिपोर्ट आई, तो उसमें स्पष्ट रूप से (Internal Neck Trauma) और दम घुटने से मौत की बात कही गई थी। सात साल पहले विवाह बंधन में बंधे सचिन के दो छोटे बच्चे हैं, जिनके सिर से उनके अपने ही चाचा और मां ने पिता का साया हमेशा के लिए छीन लिया।

चार महीने का इंतजार और मीडिया की सजगता का असर

हैरानी की बात यह है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि होने के बावजूद चार महीने तक कार्रवाई सुस्त पड़ी रही। स्थानीय स्तर पर कुछ लोग मामले को रफा-दफा करने की कोशिशों में लगे थे। इस बीच, जब मीडिया ने क्षेत्र की अनसुलझी घटनाओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया, तब जाकर आला अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लिया। (Legal Justice System) की सक्रियता तब बढ़ी जब साक्ष्यों के आधार पर हल्का प्रभारी अजहर हसन ने रिपोर्ट दर्ज कराई और सीओ राजीव द्विवेदी के नेतृत्व में बृहस्पतिवार को दोनों हत्यारोपियों को सलाखों के पीछे भेज दिया गया।

रिश्तों की गरिमा पर लगा कभी न मिटने वाला दाग

अलीगढ़ का यह हत्याकांड समाज के लिए एक चेतावनी है कि कैसे अनैतिक संबंध इंसान को हैवान बना देते हैं। एक भाई का अपने भाई के प्रति विश्वास और एक पत्नी का अपने पति के प्रति समर्पण, सब कुछ वासना की भेंट चढ़ गया। पुलिस ने अब दोनों को (Judicial Custody Remand) के तहत जेल भेज दिया है। सचिन के दो मासूम बच्चे अब न केवल अनाथ हो गए हैं, बल्कि उन्हें उम्र भर इस कड़वी सच्चाई के साथ जीना होगा कि उनके पिता के कातिल उनके अपने ही रक्षक थे। कानून अब इन गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की दिशा में काम कर रहा है।

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