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PM Modi SHANTI Bill Impact: महाशक्ति बनने की ओर भारत ने बढ़ाया महाकदम, शांति बिल से खुलेगा परमाणु ऊर्जा का द्वार

PM Modi SHANTI Bill Impact: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्र के नाम एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि संसद से शांति विधेयक का पारित होना भारत के प्रौद्योगिकी इतिहास में एक स्वर्ण अध्याय की तरह है। यह कानून केवल एक नीतिगत बदलाव नहीं है, बल्कि (Atomic Energy Transformation) की दिशा में एक ऐसा कदम है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए अवसरों के नए द्वार खोलेगा। प्रधानमंत्री का मानना है कि अब भारत का युवा और निजी क्षेत्र परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी मेधा का लोहा मनवा सकेंगे, जिससे देश की आर्थिक और तकनीकी तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी।

PM Modi SHANTI Bill Impact
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निजी क्षेत्र के लिए खुली संभावनाओं की नई राह

शांति विधेयक यानी ‘सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ (SHANTI) 2025 को संसद के दोनों सदनों से हरी झंडी मिल गई है। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अब वह परमाणु क्षेत्र, जो कभी केवल सरकारी नियंत्रण में था, अब (Private Sector Participation) के लिए पूरी तरह खुल जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि वर्तमान समय भारत में निवेश करने, नवाचार करने और नई तकनीकों का निर्माण करने के लिए सबसे उपयुक्त है।

स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की ओर एक निर्णायक छलांग

प्रधानमंत्री ने इस विधेयक का समर्थन करने वाले सभी सांसदों का आभार जताते हुए कहा कि यह कानून दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा देने की भारत की प्रतिबद्धता को मजबूती प्रदान करता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सुरक्षित रूप से संचालित करने से लेकर (Green Manufacturing Standards) को बढ़ावा देने तक, परमाणु ऊर्जा की भूमिका भविष्य में सबसे अहम होने वाली है। सरकार का लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना और वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाना है।

2047 तक 100 गीगावाट बिजली का विशाल लक्ष्य

संसद में इस चर्चा के दौरान परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने देश के ऊर्जा रोडमैप का खाका पेश किया। उन्होंने बताया कि परमाणु ऊर्जा ही एकमात्र ऐसा स्रोत है जो बिना किसी रुकावट के 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित कर सकता है। भारत ने वर्तमान में (Clean Energy Capacity Building) के तहत 8.9 गीगावाट की क्षमता हासिल कर ली है, जिसे आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट तक ले जाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है। यह वृद्धि भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनिवार्य है।

अंतरिक्ष क्षेत्र की तर्ज पर परमाणु क्रांति का आगाज

सरकार ने निजी क्षेत्र को इस संवेदनशील क्षेत्र में शामिल करने के फैसले का पुरजोर बचाव किया है। केंद्रीय मंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी और (Foreign Direct Investment) की अनुमति मिलने से भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8 अरब डॉलर तक पहुँच गई, वैसी ही क्रांति परमाणु ऊर्जा में भी आएगी। आज अंतरिक्ष क्षेत्र में 300 से अधिक स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं, और यही मॉडल अब परमाणु ऊर्जा विभाग के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

बजट में तीन गुना बढ़ोतरी और विकास का नया पैमाना

परमाणु ऊर्जा की महत्ता को समझते हुए केंद्र सरकार ने इसके वित्तीय ढांचे को भी काफी मजबूत किया है। साल 2014 के मुकाबले विभाग के बजट में तीन गुना की विशाल वृद्धि की गई है, जो अब बढ़कर (Government Budgetary Allocation) के तहत 37,483 करोड़ रुपये हो गया है। यह भारी निवेश अनुसंधान, विकास और नए परमाणु रिएक्टरों की स्थापना में मील का पत्थर साबित होगा। सरकार का मानना है कि वित्तीय मजबूती के बिना इतनी बड़ी ऊर्जा क्रांति को धरातल पर उतारना संभव नहीं था।

विपक्ष के सवाल और स्वदेशी तकनीक पर जोर

दूसरी ओर, विपक्ष ने इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर असहमति जताई है। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने फ्रांस का उदाहरण देते हुए तर्क दिया कि वहां परमाणु ऊर्जा पूरी तरह से सरकार के हाथों में है, जो सुरक्षा और नियंत्रण के लिहाज से बेहतर है। उन्होंने (Indigenous Nuclear Technology) को प्राथमिकता देने की वकालत की और सुझाव दिया कि भारत को विदेशी तकनीकों के बजाय अपने स्वदेशी 700 मेगावाट के रिएक्टरों को मानक बनाना चाहिए। विपक्ष ने देश के विशाल थोरियम भंडार के सही उपयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया है।

राष्ट्रीय हित और भविष्य की ऊर्जा जरूरतें

परमाणु ऊर्जा का भविष्य अब केवल बिजली तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी आधुनिक तकनीकों के संचालन के लिए भी अनिवार्य है। एआई डेटा केंद्रों को चलाने के लिए जिस भारी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसकी पूर्ति (Energy Sustainability for Future) के माध्यम से ही संभव है। सरकार का स्पष्ट मानना है कि यदि भारत को वैश्विक महाशक्ति बनना है, तो उसे अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लानी होगी और निजी क्षेत्र की दक्षता का लाभ उठाकर तकनीकी परिदृश्य को बदलना होगा।

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