Ethiopia Calendar Facts: जानें, कहां है समय के पीछे भागती दुनिया में 7 साल पीछे चलने वाला अनोखा देश, जहाँ 12 नहीं बल्कि 13 महीने होते हैं…
Ethiopia Calendar Facts: दुनिया के हर देश की अपनी संस्कृति और पहचान होती है, लेकिन अफ्रीका का एक देश ऐसा भी है जो समय की परिभाषा को ही चुनौती देता है। हम बात कर रहे हैं इथियोपिया की, जो अपनी भौगोलिक सुंदरता के साथ-साथ अपनी अनूठी काल गणना के लिए जाना जाता है। जहाँ पूरी दुनिया (Modern Calendars) के हिसाब से साल 2025 में जी रही है, वहीं इथियोपिया आज भी करीब 7 से 8 साल पीछे चल रहा है। यह दुनिया का शायद इकलौता ऐसा देश है जिसके कैलेंडर में 12 नहीं, बल्कि पूरे 13 महीने होते हैं।

गुलामी की बेड़ियों को ठुकराने वाला गौरवशाली इतिहास
इथियोपिया की इस अनोखी परंपरा के पीछे उसका स्वाभिमानी इतिहास छिपा है। यह अफ्रीकी महाद्वीप का वह गौरवशाली देश है जो कभी किसी का गुलाम नहीं रहा। हालांकि, साल 1935 में इटली ने यहाँ (Colonial Rule) स्थापित करने की पुरजोर कोशिश की थी और 6 वर्षों तक सैन्य कब्जा भी जमाया, लेकिन इथियोपियाई सेना के कड़े प्रतिरोध के कारण वे कभी भी पूरे देश को अपने नियंत्रण में नहीं ले पाए। इसी स्वतंत्रता के कारण इथियोपिया ने अपनी प्राचीन परंपराओं और कैलेंडर को आज भी जीवित रखा है।
13 महीने का अनोखा गणित और ‘पगुमे’ का रहस्य
इथियोपियाई कैलेंडर में 13 महीने होने के पीछे का तर्क बेहद दिलचस्प है। यहाँ के शुरुआती 12 महीनों में प्रत्येक में ठीक 30 दिन होते हैं, लेकिन 13वाँ महीना जिसे (Pagume Month) कहा जाता है, वह केवल 5 या 6 दिनों का होता है। यह गणना ईसा मसीह के जन्म के समय के आकलन पर आधारित है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर से पूरी तरह अलग है। यही कारण है कि यह देश वैश्विक समय की दौड़ में पीछे नजर आता है, जो पर्यटकों के लिए कौतूहल का विषय रहता है।
त्योहारों की सतरंगी छटा और जीवंत परंपराएं
इथियोपिया को ‘त्योहारों का देश’ कहना गलत नहीं होगा क्योंकि यहाँ की संस्कृति रंगों और धार्मिक उल्लास से सराबोर है। यहाँ का सबसे बड़ा उत्सव ‘तिमकेत’ है, जो जॉर्डन नदी में यीशु मसीह के बपतिस्मा की याद में मनाया जाता है। इस दौरान (Religious Festivals) की ऐसी रौनक दिखती है कि हजारों लोग सफेद पारंपरिक वेशभूषा में सजे पुजारियों के पीछे चलते हैं। रंग-बिरंगी छतरियां और मखमली कपड़ों का वह दृश्य किसी के भी मन को मोह लेने के लिए काफी है।
सितंबर में मनाया जाने वाला अनोखा नया साल
जहाँ दुनिया 1 जनवरी को नए साल का जश्न मनाती है, वहीं इथियोपिया का नया साल यानी ‘एनकुटाटाश’ सितंबर के महीने में आता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह तिथि (New Year Celebration) के लिए 11 या 12 सितंबर को पड़ती है। इथियोपियाई लोग अपनी प्राचीन विरासत पर इतना गर्व करते हैं कि आज भी आधिकारिक कार्यों में इसी कैलेंडर का उपयोग किया जाता है, हालांकि अब वहां के लोग अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर से भी बखूबी परिचित हो चुके हैं।
पीएम मोदी का इथियोपिया दौरा और भव्य स्वागत
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने के लिए इथियोपिया पहुंचे। उनके आगमन पर (Diplomatic Relations) की एक नई मिसाल पेश की गई, जहाँ नेशनल पैलेस में उनका पारंपरिक स्वागत हुआ। प्रधानमंत्री अबी अहमद अली ने प्रोटोकॉल तोड़कर खुद कार ड्राइव की और मोदी को एयरपोर्ट से होटल तक ले गए। यह सम्मान केवल एक नेता का नहीं, बल्कि भारत और इथियोपिया के बीच बढ़ते भरोसे और दोस्ती का प्रतीक है।
‘ग्रेट ऑनर निशान ऑफ इथियोपिया’ से सम्मानित हुए मोदी
इथियोपिया ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रेट ऑनर निशान ऑफ इथियोपिया’ से नवाजा है। मोदी दुनिया के पहले (Global Head of State) हैं जिन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह अवॉर्ड मिलना भारत की बढ़ती वैश्विक साख को दर्शाता है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने इस सम्मान को उन करोड़ों भारतीयों को समर्पित किया जो दोनों देशों के बीच सेतु का काम कर रहे हैं।
संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे भारतीय प्रधानमंत्री
इस यात्रा का एक और महत्वपूर्ण पड़ाव इथियोपिया की संसद का संबोधन है। प्रधानमंत्री मोदी यहाँ (Joint Session) को संबोधित करने वाले हैं, जहाँ वे द्विपक्षीय व्यापार, तकनीकी सहयोग और साझा भविष्य पर चर्चा करेंगे। इथियोपिया की संसद में भारत का यह प्रतिनिधित्व अफ्रीकी महाद्वीप के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी को एक नई ऊँचाई पर ले जाने वाला कदम माना जा रहा है।
निष्कर्ष: परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम
इथियोपिया की कहानी हमें सिखाती है कि आधुनिकता की दौड़ में अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए। चाहे वह (Ancient Calendar) का उपयोग हो या अपनी संस्कृति को बचाने का जज्बा, इथियोपिया दुनिया के लिए एक मिसाल है। भारत और इथियोपिया के बीच बढ़ती यह निकटता भविष्य में दोनों देशों के लिए विकास के नए द्वार खोलेगी और वैश्विक पटल पर एक नई इबारत लिखेगी।



