Uttarakhand Winter Weather: बर्फीली हवाओं का पहरा और कोहरे ने ढाया सितम, उत्तराखंड में शुरू होने वाला है कुदरत का असली खेल
Uttarakhand Winter Weather: देवभूमि उत्तराखंड में कुदरत ने अपने तेवर बदलने शुरू कर दिए हैं और अब समूचा प्रदेश कड़ाके की ठंड की चपेट में आने लगा है। बुधवार सुबह धर्मनगरी हरिद्वार और योगनगरी ऋषिकेश में दिन का आगाज उम्मीद से कहीं ज्यादा घने कोहरे के साथ हुआ, जिसने जनजीवन की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया। मैदानी इलाकों में कोहरे का (Winter Seasonal Change) इतना गहरा था कि सुबह के वक्त दृश्यता काफी कम दर्ज की गई। वहीं, प्रदेश के ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भी हल्की धुंध छाई रही, जो आने वाले दिनों में और भी भीषण ठंड की दस्तक दे रही है।
चार दिन बाद पलटेगा मौसम का मिजाज
मौसम विभाग के ताजा अनुमानों (Uttarakhand Winter Weather) ने पहाड़ों में रहने वाले लोगों और पर्यटकों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। विभाग की मानें तो अगले चार दिनों तक भले ही मौसम स्थिर रहे, लेकिन इसके बाद (Climatic Transition) की संभावना प्रबल है। 20 दिसंबर तक पूरे प्रदेश में मौसम शुष्क रहने की उम्मीद है, जिससे धूप खिली रहेगी लेकिन हवाओं में नमी बरकरार रहेगी। असली बदलाव 21 दिसंबर से देखने को मिलेगा, जब बादलों की आवाजाही के साथ बारिश और बर्फबारी का नया दौर शुरू होने के आसार नजर आ रहे हैं।
इन चार जिलों में बारिश और बर्फबारी की चेतावनी
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्वानुमान के अनुसार, 21 दिसंबर से उत्तराखंड के चार प्रमुख सीमांत जिलों उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ में मौसम करवट लेगा। इन जिलों के (High Altitude Regions) में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना जताई गई है। विशेष रूप से 3500 मीटर से अधिक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने के आसार हैं, जिससे केदारनाथ, बद्रीनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री की चोटियां एक बार फिर सफेद चांदी जैसी बर्फ से ढक जाएंगी।
कोहरे की सफेद चादर में लिपटी धर्मनगरी
हरिद्वार और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति यह रही कि लोग सुबह देर तक घरों में दुबकने को मजबूर रहे। कोहरे की घनी चादर ने (Visibility Level) को इतना कम कर दिया कि सड़कों पर चलना किसी चुनौती से कम नहीं रहा। अचानक बढ़ी इस ठंड और गलन ने सबसे ज्यादा बुजुर्गों और छोटे बच्चों को प्रभावित किया है। चारों तरफ फैली धुंध के कारण लोग अलाव का सहारा लेते नजर आए और सूरज की पहली किरण के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा।
हाईवे पर रेंगते वाहन और थमी रफ्तार
कोहरे का सबसे ज्यादा असर यातायात व्यवस्था पर देखने को मिला है। हरिद्वार-नजीबाबाद हाईवे पर सुबह के वक्त घनी धुंध के चलते वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए (Road Safety Precautions) के तहत चालकों को अपनी गाड़ियों की हेडलाइट्स जलाकर बेहद धीमी गति से चलना पड़ा। ऋषिकेश में भी सुबह की शुरुआत कुछ ऐसी ही रही, जहाँ गंगा के घाट कोहरे के आगोश में डूबे नजर आए और तीर्थयात्रियों को कड़ाके की ठंड के बीच दर्शन पूजन करना पड़ा।
बारिश की कमी और बढ़ते प्रदूषण की चिंता
इस साल दिसंबर के महीने में बारिश की बेरुखी ने भी प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। बारिश न होने के कारण हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है और (Air Quality Index) कई जगहों पर 200 के पार पहुंच गया है। जानकारों का कहना है कि अगर पहाड़ों में समय पर बर्फबारी और बारिश नहीं हुई, तो मैदानी इलाकों में कोहरा और प्रदूषण का मिला-जुला असर लोगों की सेहत पर भारी पड़ सकता है। आधे दिसंबर बीत जाने के बाद भी तापमान में जो उतार-चढ़ाव देखा गया, उसने पर्यावरण विशेषज्ञों को भी हैरान कर दिया है।
कामकाज और रोजगार पर पड़ रहा असर
ठंड के बढ़ते प्रकोप ने केवल सेहत ही नहीं, बल्कि आम आदमी की आजीविका पर भी असर डालना शुरू कर दिया है। रेहड़ी-पटरी वालों और सुबह जल्दी काम पर निकलने वाले (Daily Wage Earners) के लिए घने कोहरे में काम करना मुश्किल होता जा रहा है। कोहरे के कारण पर्यटन और स्थानीय व्यापार में भी कुछ सुस्ती देखी जा रही है। हालांकि, बर्फबारी की खबर ने होटल व्यवसायियों के चेहरे पर खुशी भी ला दी है, क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि क्रिसमस और नए साल पर पर्यटकों की आमद बढ़ेगी।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता
बढ़ती ठंड को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने और रैन बसेरों की व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भी (Public Health Advisory) जारी करते हुए लोगों को ठंड से बचने और गर्म कपड़े पहनने की सलाह दी है। विशेष रूप से हृदय और सांस के रोगियों को सुबह और शाम की सैर से बचने को कहा गया है। अब सबकी नजरें 21 दिसंबर पर टिकी हैं, जब कुदरत अपनी सफेद चादर के साथ पहाड़ों का श्रृंगार करेगी।