उत्तराखण्ड

Mukhwa village: मुखवा गांव में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास का शांत, अलौकिक और मनमोहक अनुभव

Mukhwa village: मौसम में ठंडक बढ़ते ही मुखवा गांव स्थित गंगा मंदिर परिसर में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास Winter migration का पावन दौर आरंभ हो जाता है। इस पवित्र स्थल पर प्रतिदिन 50 से 70 श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। हिमालयी वातावरण, शांत प्रकृति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम हर यात्री को एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। समुद्रतल से 8593 फीट की ऊंचाई पर बसे इस गांव तक पहुंचने का सफर भी प्राकृतिक सुंदरता से भरा होता है।

Mukhwa village
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मुखवा गांव का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
हर्षिल घाटी की उपला टकनौर पट्टी के आठ प्रमुख गांवों Major villages में से एक मुखवा अपनी विरासत, संस्कृति और अनोखी स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है। यहां पहाड़ी शैली में बने समान आकार के घरों के बीच स्थित गंगा मंदिर मन को आकर्षित कर लेने वाला दृश्य प्रस्तुत करता है। अन्नकूट पर्व के बाद जब गंगोत्री धाम के कपाट बंद होते हैं, तब मां गंगा की डोली इसी मंदिर में शीतकालीन प्रवास के लिए लाई जाती है। हाल के वर्षों में यहां बाइकर्स ग्रुप और विवाह के लिए आने वाले युवा जोड़ों की संख्या भी बढ़ी है।

शीतकालीन यात्रा का आध्यात्मिक और प्राकृतिक प्रभाव
मुखवा में मां गंगा के दर्शन Visiting Mother Ganga in Mukhwa का अनुभव मन को गहरा सुकून प्रदान करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसी क्षेत्र से शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने का संदेश दे चुके हैं। प्रतिदिन 50 से अधिक श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं और जैसे-जैसे बर्फबारी होगी, श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने की आशा है।

मुखवा गांव कैसे पहुंचें
मुखवा तक सड़क मार्ग के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

  • ऋषिकेश से चंबा और धरासू होते हुए उत्तरकाशी पहुंचें।

  • उत्तरकाशी से लगभग 80 किलोमीटर दूर हर्षिल पहुंचना होता है।

  • हर्षिल से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर मुखवा गांव स्थित है।

  • देहरादून से मसूरी–सुवाखोली–नगुण–भवान मार्ग के माध्यम से भी उत्तरकाशी होकर मुखवा पहुंचा जा सकता है।
    यात्रा के दौरान ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े साथ रखना आवश्यक है।

मुखवा के आसपास के प्रमुख दर्शनीय स्थल

हर्षिल
मुखवा का प्रमुख पड़ाव हर्षिल Main stop: Harshil अपनी स्वच्छ जलधारा, भागीरथी नदी की कल-कल ध्वनि और देवदार के घने जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है और पर्यटकों के लिए मनमोहक अनुभव प्रदान करता है।

बगोरी गांव
हर्षिल के समीप स्थित बगोरी गांव Bagori village जाड़ समुदाय की अनूठी संस्कृति को दर्शाता है। लकड़ी से निर्मित पारंपरिक मकान और सेब के आकर्षक बागान यहां आने वालों को विशेष रूप से प्रभावित करते हैं।

लामा टाप
लामा टाप हर्षिल घाटी को सबसे सुंदर कोण The most beautiful angle से निहारने का स्थान है। यहां गर्मियों में पर्यटक कैंपिंग और फोटोग्राफी का भरपूर आनंद लेते हैं। ऊंचाई से दिखने वाली घाटी की संरचना मन में रोमांच उत्पन्न करती है।

लक्ष्मीनारायण मंदिर
भागीरथी नदी के किनारे स्थित यह प्राचीन मंदिर ancient temple धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। महान विद्वान राहुल सांकृत्यायन भी कुछ समय यहां प्रवास कर चुके हैं, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है।

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