उत्तराखण्ड

Cough Syrup Poisoning: मौत को छूकर लौटी 3 साल की मासूम, जहर बना खांसी का सिरप

Cough Syrup Poisoning: रुड़की क्षेत्र के भगवानपुर की तीन वर्षीय बच्ची गर्विका के साथ हुआ हादसा खांसी के सिरप के संभावित दुष्प्रभावों को लेकर चिंताएं बढ़ा रहा है। कफ सिरप पीने के बाद उसकी तबीयत अचानक गंभीर हो गई और वह बेसुध अवस्था में पहुंच गई। परिजन उसे तुरंत देहरादून ले आए, जहां उसकी स्थिति critical (health) हो चुकी थी।

Cough Syrup Poisoning
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निजी डॉक्टर की दवाई के बाद बिगड़ी हालत, परिजन हुए परेशान

परिजनों ने बच्ची को सामान्य खांसी होने पर एक निजी डॉक्टर की सलाह पर कफ सिरप पिलाया था। लेकिन दवाई देने के कुछ ही समय बाद गर्विका की तबीयत तेजी से खराब होने लगी। सांस लेने में कठिनाई, नसों का ढीला पड़ना और शरीर पर प्रतिक्रिया न होना जैसे लक्षण दिखाई देने लगे। इस गंभीर स्थिति में उसे स्थानीय निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन बच्ची की हालत लगातार deteriorate (treatment) होती रही।


निजी अस्पताल में बिगड़ी हालत, डॉक्टरों ने जताई असमर्थता

निजी अस्पताल के डॉक्टरों की कोशिशें नाकाम होती देख परिवार पर डर का साया और गहरा गया। बच्ची कोमा जैसी अवस्था में चली गई थी और उपचार के सारे विकल्प लगभग बेअसर होने लगे थे। परिजनों ने बताया कि निजी अस्पताल के डॉक्टर भी उसकी स्थिति संभालने में helpless (medical-care) महसूस कर रहे थे। ऐसे में 2 दिसंबर को उसे तत्काल दून अस्पताल की इमरजेंसी में शिफ्ट किया गया।


दून अस्पताल की इमरजेंसी में शुरू हुई जीवन बचाने की जंग

दून अस्पताल पहुंचते ही बच्ची की नाजुक हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने तुरंत उसे वेंटिलेटर पर रखा। बाल रोग विशेषज्ञों की एक विशेष टीम को उसकी देखभाल में लगाया गया। उसकी खून की जांचें और अन्य मेडिकल टेस्ट तुरंत किए गए ताकि यह पता चल सके कि सिरप ने शरीर पर कैसा प्रभाव डाला है। डॉक्टरों के अनुसार यह मेडिकल emergency (intensive-care) का एक बेहद जटिल मामला था।


छह दिसंबर को खुली आंखें, परिवार ने ली राहत की सांस

लगातार चार दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद आखिरकार छह दिसंबर को गर्विका को होश आया। यह परिवार के लिए राहत और उम्मीद की बड़ी किरण थी। डॉक्टरों के अनुसार बच्ची का शरीर अब दवा के प्रभाव से बाहर आने लगा था और उसके महत्वपूर्ण पैरामीटर सामान्य होने लगे थे। यह बाल रोग विशेषज्ञों की टीम के सटीक monitoring (paediatrics) का परिणाम था।


बुधवार को मिली छुट्टी, बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ

लगातार निगरानी और उपचार के बाद बच्ची की स्थिति स्थिर हो गई। बुधवार को डॉक्टरों ने उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी और बताया कि अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। हालांकि उन्होंने परिजनों को दवा देते समय सावधानी बरतने और किसी भी दवा के सेवन से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेने की importance (awareness) समझाई।


डॉक्टरों ने चेताया, कफ सिरप बच्चों के लिए कभी-कभी खतरनाक साबित हो सकता है

दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आर.एस. बिष्ट ने कहा कि कफ सिरप पीने के बाद ही बच्ची की हालत अचानक खराब हुई थी और वह कोमा की अवस्था में पहुंच गई थी। हालांकि समय पर उपचार मिलने से उसकी जान बचाई जा सकी। उन्होंने चेतावनी दी कि छोटी उम्र के बच्चों को बिना सटीक मेडिकल सलाह के कोई भी दवा देना भारी risk (safety) पैदा कर सकता है।


बच्चों के लिए दवाइयों का उपयोग: विशेषज्ञों ने बताए महत्वपूर्ण निर्देश

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार सामान्य लगने वाला कफ सिरप भी बच्चों के शरीर में गंभीर प्रतिक्रिया कर सकता है। छोटे बच्चों में दवाओं की मात्रा (डोज़) बेहद संवेदनशील होती है और मामूली गलती भी गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है। इसलिए डॉक्टरों की सलाह के बिना दवाओं का सेवन करना या किसी अन्य बच्चे की दवा को दूसरे बच्चे को देना गलत और unsafe (child-care) हो सकता है।


कफ सिरप के रिएक्शन के संकेत: माता-पिता को रहने चाहिए सतर्क

बच्चों में दवाई के रिएक्शन के लक्षणों में अत्यधिक नींद आना, सांस लेने में परेशानी, शरीर में सुन्नता, उल्टी, तेज बुखार, दौरे या बेहोशी शामिल हो सकते हैं। यदि ऐसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत medical-help (emergency-care) लेनी चाहिए। गर्विका की स्थिति इसी तरह अचानक बिगड़ गई थी, इसलिए समय पर अस्पताल लाने से उसकी जान बच सकी।


दून अस्पताल की टीम ने पेश की मिसाल, परिवार ने जताया आभार

गर्भिका के परिवार ने दून अस्पताल के डॉक्टरों और मेडिकल टीम का विशेष धन्यवाद दिया, जिन्होंने दिन-रात मेहनत कर बच्ची की जान बचाई। डॉक्टरों ने भी इस मामले को एक जटिल मेडिकल चुनौती माना और बताया कि टीमवर्क और त्वरित उपचार के कारण ही बच्ची को समय पर recovery (treatment) मिल सकी।


घटना दे रही है चेतावनी–बच्चों को दवाइयाँ अत्यधिक सावधानी से दें

यह पूरा मामला माता-पिता के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि बच्चों को मिलने वाली हर दवा बेहद संवेदनशील होती है। छोटी सी गलती जानलेवा साबित हो सकती है। किसी भी सर्दी-खांसी या हल्की बीमारी के लिए दवा देने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है। यह घटना बच्चों की health-safety (precaution) के महत्व को फिर से रेखांकित करती है।

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