उत्तर प्रदेश

Yamuna Expressway Accident: यमुना एक्सप्रेसवे पर आग की लपटों में खाक हुई कई जिंदगियां, अपनों की चीख पुकार से कांप उठी रूह

Yamuna Expressway Accident: मथुरा के यमुना एक्सप्रेसवे पर मंगलवार की अल सुबह एक ऐसा खौफनाक मंजर देखने को मिला जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया। सुबह करीब 3:30 बजे जब दुनिया गहरी नींद में थी, तब बलदेव थाना क्षेत्र के 127 किलोमीटर माइलस्टोन पर (Major Highway Collisions) की एक ऐसी श्रृंखला शुरू हुई जिसने देखते ही देखते कई हंसते-खेलते परिवारों को उजाड़ दिया। घने कोहरे के कारण दृश्यता शून्य थी, जिसके चलते रफ्तार का कहर मौत के तांडव में बदल गया। मंडल आयुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह ने पुष्टि की है कि इस भीषण हादसे में अब तक कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी है, जबकि घायलों की संख्या 100 के पार पहुंच गई है।

Yamuna Expressway Accident
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आग और चीखें: एक्सप्रेसवे पर सात बसों और कारों का सामूहिक विनाश

प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो वह दृश्य किसी डरावनी फिल्म से कम नहीं था। कोहरे के कारण एक के बाद एक सात बसें और तीन कारें आपस में इस कदर टकराईं कि पूरे इलाके में धमाकों की गूंज सुनाई देने लगी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि (Vehicle Fire Safety) के तमाम दावे फेल हो गए और कई वाहनों में भीषण आग लग गई। आग की लपटें इतनी ऊंची थीं कि दूर-दूर तक केवल यात्रियों की चीखें और बचाव की गुहार सुनाई दे रही थी। कोहरे की वजह से राहत कार्यों में भी शुरुआत में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था।

रेस्क्यू ऑपरेशन: मलबे और लपटों के बीच अपनों की तलाश

हादसे की भयावहता को देखते हुए पुलिस, दमकल विभाग और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण की टीमें तत्काल हरकत में आईं। आग पर काबू पाने के लिए दमकल कर्मियों को (Emergency Response Team) की तरह भारी मशक्कत करनी पड़ी। जली हुई बसों की खिड़कियां तोड़कर और कटर की मदद से लोहे की चादरों को काटकर घायलों को बाहर निकाला गया। मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कई शव इतनी बुरी तरह जल चुके थे कि उनकी पहचान करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। फिलहाल चार शवों की शिनाख्त हो पाई है, जबकि अन्य के लिए फॉरेंसिक टीम की मदद ली जा रही है।

अस्पतालों में हाहाकार: घायलों की मरहम-पट्टी और प्रशासन की मुस्तैदी

हादसे के बाद मथुरा और वृंदावन के अस्पतालों में आपातकालीन स्थिति घोषित कर दी गई है। जिला अस्पताल मथुरा और 100 शैय्या अस्पताल वृंदावन में (Medical Trauma Care) सुविधाओं के बीच 38 से अधिक घायलों का उपचार चल रहा है। वहीं, बलदेव सीएचसी पर भी 39 मरीजों को प्राथमिक उपचार दिया गया। जिन यात्रियों की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है, उन्हें बेहतर इलाज के लिए आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। मंडल आयुक्त खुद पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।

दर्दनाक आपबीती: बांके बिहारी के दर्शन को निकले थे, मिली मौत की दस्तक

हादसे का शिकार हुए कानपुर के अमन यादव ने रोते हुए बताया कि वह अपने साथियों के साथ बांके बिहारी मंदिर के दर्शन के लिए निकले थे। उन्हें क्या पता था कि श्रद्धा की यह राह (Road Visibility Issues) के कारण श्मशान की ओर मुड़ जाएगी। अमन ने बताया कि अचानक सामने से एक वाहन टकराया और उसके बाद एक-एक करके गाड़ियां एक-दूसरे पर चढ़ती चली गईं। वहीं हमीरपुर की नसीमा का दर्द और भी गहरा है, जो अपने पति के साथ मजदूरी के लिए पानीपत जा रही थीं। नसीमा की बस में आग लगने से उनके पति गंभीर रूप से झुलस गए, और अब वह अस्पताल के गलियारे में उनकी सलामती की दुआ मांग रही हैं।

शिनाख्त की चुनौती: राख के ढेर में अपनों को खोजती आंखें

मंडल आयुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह के अनुसार, प्रशासन ने अब तक दस मौतों की आधिकारिक पुष्टि की है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं अधिक डरावनी हो सकती है। अपुष्ट खबरों के अनुसार (Fatal Traffic Accidents) में जिंदा जलकर मरने वालों की संख्या 20 तक पहुंच सकती है। प्रशासन के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता अब उन शवों की पहचान करना है जो आग में बुरी तरह झुलस चुके हैं। शिनाख्त के लिए आसपास के जिलों के थानों से भी संपर्क साधा गया है ताकि पीड़ितों के परिजनों तक सूचना पहुंचाई जा सके।

यातायात और सतर्कता: जाम में फंसा एक्सप्रेसवे और वैकल्पिक मार्ग

इस भीषण दुर्घटना के बाद आगरा से नोएडा की ओर जाने वाले मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। एक्सप्रेसवे पर बिखरे मलबे और जली हुई गाड़ियों के कारण (Traffic Management System) पूरी तरह चरमरा गया। यातायात पुलिस ने कई घंटों की कड़ी मेहनत के बाद क्रेन की मदद से क्षतिग्रस्त वाहनों को किनारे किया और यातायात को वैकल्पिक मार्गों की ओर मोड़ा। इस हादसे ने एक बार फिर कोहरे के दौरान तेज रफ्तार से वाहन चलाने के खतरों और सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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