Varanasi: में जल्द दौड़ेगी देश की पहली शहरी रोपवे सेवा, काशी विश्वनाथ तक का सफर सिर्फ 20 मिनट में
Varanasi: आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है। रेलवे स्टेशन से सीधे बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर(Kashi Vishwanath Temple) तक जाने वाली रोपवे सेवा अब तेजी से हकीकत का रूप ले रही है। यह परियोजना मई 2026 तक पूरी तरह चालू हो जाएगी। 800 करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी योजना से न सिर्फ तीर्थयात्रियों को सुविधा मिलेगी बल्कि काशी की पुरानी गलियों में ट्रैफिक का बोझ भी कम होगा।

रोपवे कब तक शुरू होगी?
वाराणसी के मंडलायुक्त(Divisional Commissioner) एस राजलिंगम ने बताया कि रोपवे का काम तेज गति से चल रहा है और इसे मई 2026 तक शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। यह भारत की पहली ऐसी रोपवे सेवा होगी जो किसी शहर के भीतरी हिस्से में चलेगी। चार किलोमीटर लंबे इस रूट पर रेलवे स्टेशन से मंदिर तक का सफर महज 15 से 20 मिनट में पूरा हो जाएगा।
क्यों चुनी गई रोपवे व्यवस्था?
काशी की गलियाँ बहुत संकरी हैं और आबादी भी बेहद घनी है। यहाँ मेट्रो चलाना तकनीकी रूप से संभव नहीं था। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में रोपवे को सबसे बेहतर विकल्प माना गया। यह निर्णय काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद शहर के आधुनिकीकरण की अगली बड़ी कड़ी है।
कितने लोग आएंगे रोज़ रोपवे से?
एक गंडोला में 10 यात्री बैठ सकेंगे और कुल 148 गंडोला लगाए जाएँगे। शुरू में टिकट की कीमत 50 से 100 रुपये के बीच रखने की योजना है। चालू होने के बाद रोज़ाना करीब एक लाख श्रद्धालु इस रोपवे से सफर कर सकेंगे। पहले जहाँ मंदिर में रोज़ 5 हजार लोग आते थे, वहीं अब यह संख्या दो लाख के पार पहुँच गई है। इस साल 7 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
काशी में कितना निवेश हुआ विकास पर?
पिछले कुछ सालों में वाराणसी के विकास के लिए 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाएँ स्वीकृत हुई हैं, जिनमें से 40 हजार करोड़ रुपये सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहे हैं। रोपवे भी इसी बड़े प्लान का हिस्सा है। शहर में 42 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं और हर साल करोड़ों श्रद्धालु आते हैं, ऐसे में आधुनिक परिवहन व्यवस्था बहुत जरूरी हो गई थी।
गंगा के रास्ते भी बन रहे मजबूत
रोपवे के साथ-साथ गंगा जलमार्ग को भी मजबूत किया जा रहा है। ड्रेजिंग का काम शुरू हो चुका है और नदी किनारे आठ कम्युनिटी जेटी बनाई गई हैं। पहले जहाँ 600 नावें चलती थीं, अब दो हजार से ज्यादा नावें श्रद्धालुओं की सेवा में लगी हैं। इससे गंगा घाटों पर भीड़ कम होगी और सफर आसान हो जाएगा।
इलेक्ट्रिक बसें भी बढ़ीं सड़कों पर
शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को हरा-भरा बनाने के लिए जरूरी रूटों पर इलेक्ट्रिक बसें चलाई जा रही हैं। प्रदूषण कम करने और यातायात को सुगम बनाने में ये बसें अहम भूमिका निभा रही हैं।
काशी अब तेजी से बदल रही है। पुरातन आध्यात्मिकता के साथ आधुनिक सुविधाएँ जुड़ रही हैं। रोपवे शुरू होने के बाद बाबा के दर्शन और भी सरल और सुविधाजनक हो जाएँगे। अगले साल गर्मियों तक जब यह सेवा शुरू होगी, तो देश-दुनिया के श्रद्धालु एक नया अनुभव करेंगे – ऊँचाई से काशी का नजारा लेते हुए सीधे बाबा विश्वनाथ के दरबार तक पहुँचना।
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