Kanpur Mass Marriage Scam: 551 जोड़ों के सपनों पर छाया संकट, सामूहिक विवाह में उजागर हुई अव्यवस्था ने हिला दिया प्रशासन
Kanpur Mass Marriage Scam: कानपुर में आयोजित 551 जोड़ों के सामूहिक विवाह एवं निकाह समारोह को सामाजिक समरसता और सरकारी संवेदनशीलता का प्रतीक माना जा रहा था, लेकिन कार्यक्रम शुरू होते ही (mass marriage) व्यवस्था की कमजोर परतें खुलने लगीं। जिस आयोजन को गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए सम्मान और सहयोग का माध्यम बनना था, वही समारोह अव्यवस्था और शिकायतों का केंद्र बन गया। दुल्हा-दुल्हन और उनके परिजनों को उम्मीद थी कि सरकार द्वारा तय मानकों के अनुसार सभी सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन शुरुआती घंटों में ही हालात विपरीत नजर आने लगे।

भोजन व्यवस्था में लापरवाही से बढ़ा आक्रोश
समारोह के दौरान सबसे बड़ी शिकायत भोजन को लेकर सामने आई, जिसने (food mismanagement) की गंभीर तस्वीर पेश की। हजारों मेहमानों के लिए भोजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। प्लेटें खाली रहीं और लोग लंबी कतारों में इंतजार करते नजर आए। कई परिवारों ने बताया कि घंटों खड़े रहने के बावजूद उन्हें खाना नहीं मिला। इस अव्यवस्था ने समारोह के माहौल को तनावपूर्ण बना दिया और खुशी का अवसर असंतोष में बदलने लगा।
कैटरिंग अनुबंध और हकीकत के बीच बड़ा अंतर
प्रशासनिक दस्तावेजों के अनुसार 15 हजार लोगों के भोजन के लिए कैटरिंग का अनुबंध किया गया था, लेकिन मौके पर (catering contract) की सच्चाई कुछ और ही निकली। जांच में सामने आया कि लगभग 5 हजार लोगों के भोजन की ही तैयारी थी। जैसे ही यह कमी उजागर हुई, भोजन काउंटरों पर अफरा-तफरी मच गई। कई मेहमान बिना खाना खाए लौटने को मजबूर हुए, जिससे सरकारी आयोजन की साख पर सवाल खड़े हो गए।
लड्डू वितरण में मानकों की खुली अनदेखी
नियमों के तहत हर नवविवाहित जोड़े को 10 किलो लड्डू दिए जाने थे, लेकिन (sweet distribution) में भारी गड़बड़ी सामने आई। कई दुल्हनों ने शिकायत की कि उन्हें सिर्फ 2 से 3 किलो लड्डू ही मिले। यह चूक सिर्फ मात्रा की नहीं थी, बल्कि भावनात्मक स्तर पर भी परिवारों को आहत करने वाली थी। शादी जैसे पवित्र अवसर पर वादों और हकीकत के इस अंतर ने नाराजगी को और बढ़ा दिया।
2.50 करोड़ के टेंडर के बावजूद फेल व्यवस्था
सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह रहा कि पूरे आयोजन का टेंडर करीब 2.50 करोड़ रुपये का था, फिर भी (tender irregularities) सामने आईं। इतनी बड़ी राशि के बावजूद बुनियादी व्यवस्थाएं नाकाम साबित हुईं। प्रशासन ने अब टेंडर प्रक्रिया की भी जांच शुरू कर दी है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि लापरवाही सिस्टम की थी या जानबूझकर की गई अनियमितताओं का नतीजा।
जांच समिति की रिपोर्ट में कई खामियों की पुष्टि
ADM सिटी डॉ. राजेश कुमार की अगुवाई में गठित जांच समिति ने (official inquiry) के दौरान सैंपल के तौर पर रखी गई सामग्री की जांच की। रिपोर्ट में पाया गया कि 10 किलो बताई गई लड्डू डलिया में सिर्फ 2 से 2.5 किलो लड्डू थे। इसी तरह 12 इंच बताई गई घड़ी की लंबाई भी मानक से कम निकली। हालांकि कुछ अन्य सामग्री मानकों पर खरी उतरी, लेकिन कुल मिलाकर लापरवाही स्पष्ट दिखी।
रसगुल्लों की कमी से बिगड़े हालात
भोजन वितरण के दौरान रसगुल्लों की कमी की खबर फैलते ही (crowd chaos) की स्थिति बन गई। बड़ी संख्या में लोग मिठाई स्टॉल की ओर दौड़ पड़े और कुछ ही समय में रसगुल्ले खत्म हो गए। हालात इतने बिगड़े कि रसोई कर्मचारियों ने खाना बनाना बंद कर दिया। लंबे समय तक लोग खाली प्लेटें लिए खड़े रहे, जिससे नाराजगी और अव्यवस्था और बढ़ गई।
पुलिस तैनाती और प्रशासनिक हस्तक्षेप
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए प्रशासन को भोजन काउंटरों पर पुलिस बल तैनात करना पड़ा, जिससे (law and order) धीरे-धीरे सामान्य हुआ। अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर हालात संभाले और भीड़ को शांत किया। हालांकि तब तक कई मेहमान बिना भोजन किए लौट चुके थे, जिससे कार्यक्रम की छवि को गहरा नुकसान पहुंचा।
जिला समाज कल्याण अधिकारी पर गिरी गाज
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए जिला समाज कल्याण अधिकारी शिल्पी सिंह को हटाकर समाज कल्याण निदेशालय, लखनऊ से संबद्ध कर दिया। उनकी जगह शिवम सागर को नया अधिकारी नियुक्त किया गया। यह (administrative action) साफ संकेत है कि सरकार इस तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगी और जवाबदेही तय की जाएगी।



