उत्तर प्रदेश

Aniruddhacharya Maharaj : मथुरा सीजेएम कोर्ट में आध्यात्मिक प्रवचक से जुड़े मामले पर कार्यवाही का नया चरण

Aniruddhacharya Maharaj : बीएनएसएस की धारा 173(4) के अंतर्गत आध्यात्मिक प्रवचक अनिरुद्धाचार्य spiritual preacher aniruddhacharya के खिलाफ महिलाओं के प्रति कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर दायर की गई शिकायत को मथुरा सीजेएम कोर्ट द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद यह मामला एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। आगरा की अखिल भारत हिंदू महासभा की जिला अध्यक्ष मीरा राठौर द्वारा दर्ज की गई इस शिकायत पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए अगली सुनवाई की तारीख 1 जनवरी निर्धारित की है। इस दिन वादी का बयान कोर्ट में दर्ज किया जाएगा। यह प्रकरण न केवल सामाजिक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है, बल्कि इससे महिला सम्मान और सार्वजनिक वक्तव्यों की मर्यादा पर भी बहस तेज हो गई है।

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शिकायत दर्ज होने की पृष्ठभूमि

मीरा राठौर के अनुसार, अनिरुद्धाचार्य द्वारा दिए गए वक्तव्य लंबे समय से उन्हें और समाज की अन्य महिलाओं को आहत कर रहे थे। उन्होंने प्रारंभ में वृंदावन थाने Initially, Vrindavan Police Station में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तब वे न्यायालय की शरण में गईं। उनके इस कदम को कई संगठनों का समर्थन भी मिला, जिससे मामला और अधिक गंभीरता के साथ सामने आया। कोर्ट द्वारा शिकायत स्वीकार किए जाने के बाद अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ेगी।

याचिकाकर्ता की प्रतिक्रिया

न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में मीरा राठौर ने कहा कि अनिरुद्धाचार्य के बयान महिलाओं की गरिमा Aniruddhacharya’s statements undermine the dignity of women को ठेस पहुंचाते हैं और ऐसे वक्तव्यों को किसी भी स्तर पर सही नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब जब अदालत ने मामला स्वीकार कर लिया है, तो वे चाहती हैं कि दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई हो। मीरा राठौर ने यह भी बताया कि उन्होंने एक संकल्प लिया था कि जब तक अनिरुद्धाचार्य को कानून के तहत दंडित नहीं किया जाता, तब तक वे अपनी चोटी नहीं खोलेंगी। उनके अनुसार, अदालत के वर्तमान कदम ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि न्याय मिलने की दिशा में प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।

मामले के सामाजिक और कानूनी निहितार्थ

यह प्रकरण केवल एक व्यक्ति पर लगाए गए आरोपों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत देता है कि सार्वजनिक मंच पर दिए जाने वाले वक्तव्यों की जिम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण होती है। महिला सम्मान, सामाजिक मर्यादा और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा Protection of constitutional rights जैसे मुद्दे इस मामले में प्रमुख रूप से उभरकर सामने आए हैं। कानूनी तौर पर बीएनएसएस की संबंधित धारा शिकायतों पर त्वरित संज्ञान और सुनवाई की प्रक्रिया को मजबूत करती है, जिससे पीड़ित पक्ष को न्याय पाने की उम्मीद बढ़ती है।

अगली प्रक्रिया और संभावित दिशा

1 जनवरी की सुनवाई इस मामले की आगे की दिशा तय कर सकती है। वादी का बयान दर्ज होने के बाद अदालत यह तय करेगी कि आगे क्या कदम उठाए जाएँ। यदि अदालत को आरोप प्रथम दृष्टया The allegations are prima facie सही प्रतीत होते हैं, तो यह मामला आगे बढ़ते हुए विस्तृत सुनवाई के चरण में प्रवेश कर सकता है। समाज और मीडिया दोनों ही इस मामले पर निकट नज़र रखे हुए हैं, क्योंकि इसका निर्णय भविष्य में ऐसे मामलों के लिए महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है।

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