उत्तर प्रदेश

अयोध्या के राम मंदिर की छत से टपका बारिश का पानी, ट्रस्ट ने बोला….

अयोध्या के राम मंदिर में बारिश का पानी टपकने की वजह से बवाल मचा हुआ है. अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने पानी टपकने के पीछे वजह बताई है. राम मंदिर ट्रस्ट ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि गर्भगृह जहां ईश्वर रामलला विराजमान है, वहां एक भी बूंद पानी छत से  नहीं टपका है और न ही कहीं से पानी का गर्भगृह में प्रवेश हुआ है. गर्भगृह के आगे पूर्व में गूढ़मण्डप है. वहां मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात भूतल से लगभग 60 फीट ऊंचा घुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी. इस मंडप को अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराए जा रहे हैं. द्वितीय तल पर पिलर निर्माण चल रहा है.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्युट एवं जंक्शन बॉक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्युट को छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है. यह कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वॉटर टाइट कर सतह में छुपाईं जाती है. प्रथम तल पर बिजली, वॉटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है, अतः जंक्शन बॉक्सेज़ में पानी प्रवेश किया और कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा. यह प्रतीत हो रहा था कि छत से पानी टपक रहा है. जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था. सभी कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा. प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णतः वॉटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा, फलस्वरूप कन्डयुट के जरिये पानी नीचे तल पर भी नही जाएगा.

ट्रस्ट ने आगे बोला कि मंदिर और परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का उत्तम व्यवस्था किया गया है, जिसका कार्य प्रगति पर है. पूरे परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है. परिसर मे बरसात के पानी को अन्दर रखने के लिये रिचार्ज पिट्स का निर्माण किया जा रहा है. मन्दिर निर्माण कार्य हिंदुस्तान की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों एन एंड टी तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की यशस्वी परम्परा के वाहक सीबी सोमपुराजी, आशीष सोमपुरा और अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है, अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नही है. उत्तर हिंदुस्तान में लोहा इस्तेमाल किए बिना सिर्फ़ पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य (उत्तर भारतीय नागर शैली में) प्रथम बार हो रहा है. इसी कारण सब जगह पर यथेष्ट जानकारी का अभाव है. श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का यह कोशिश है कि ठीक जानकारी समय से भक्तों को मिलती रहे. आप सबसे अनुरोध है कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण से संबंधी किसी भी जानकारी के लिए सिर्फ़ श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकृत संवाद माध्यमों से आई जानकारी पर ही विश्वास करें. जय सिया राम!

इससे पहले, ट्रस्ट की भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने मंदिर के गर्भगृह में बारिश का पानी भरने के आरोपों को सिरे से नकारते हुए बोला था कि मंदिर निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई भी कमी नहीं है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर का निर्माण करा रहा है. राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने इल्जाम लगाया था कि शनिवार आधी रात को हुई बारिश के कारण गर्भगृह में मंदिर की छत से तेजी से पानी टपक रहा था और रविवार सुबह फर्श पर पानी भरा हुआ था. दास ने बोला कि काफी मशक्कत के बाद मंदिर परिसर से पानी निकाला गया हालांकि नृपेंद्र मिश्रा ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया. मिश्रा ने संवाददाताओं से कहा, ”पहले मैं आपको एक बात साफ करना चाहूंगा. समाचार पत्रों में यह बात छपी है कि मंदिर की छत से बारिश का पानी टपका, जिस वजह से गर्भगृह में या अन्य स्थानों पर पानी भरा. ऐसा कुछ भी नहीं है. मैंने स्वयं निरीक्षण किया.

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