Rural Employment Scheme India: ग्रामीण भारत की रोज़ी-रोटी पर सरकार का सबसे बड़ा दांव, जानें डिटेल में…
Rural Employment Scheme India: केंद्र सरकार मनरेगा योजना को एक नए स्वरूप और नई पहचान देने की तैयारी में है। प्रस्ताव है कि इसे आम लोगों के बीच ‘जी राम जी योजना’ के नाम से लोकप्रिय किया जाए, ताकि योजना को एक व्यापक राष्ट्रीय विज़न से जोड़ा जा सके। सरकार का मानना है कि नाम परिवर्तन केवल औपचारिक बदलाव नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की दिशा में नई सोच का प्रतीक होगा। इस पूरी प्रक्रिया को संसद के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे यह पहल संवैधानिक और नीतिगत रूप से मजबूत बन सके (Employment Guarantee Bill) और ग्रामीण जनता तक इसका संदेश स्पष्ट रूप से पहुंचे।

125 दिन की रोज़गार गारंटी: बड़ा वादा, बड़ी उम्मीद
प्रस्तावित विधेयक के अनुसार इस नई योजना के तहत ग्रामीण परिवारों को 125 दिनों के रोज़गार की गारंटी दी जाएगी। यह मौजूदा व्यवस्था से अधिक व्यापक मानी जा रही है और इसका उद्देश्य ग्रामीण आय को स्थिर बनाना है। सरकार का तर्क है कि इससे न केवल आर्थिक सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि गांवों में काम की निरंतर उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी। इस कदम को ग्रामीण बेरोज़गारी से निपटने की ठोस रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जो (Rural Job Security) को नई मजबूती प्रदान कर सकती है।
‘विकसित भारत 2047’ से सीधा जुड़ाव
इस योजना का आधिकारिक नाम ‘विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार ऐंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ प्रस्तावित किया गया है। इसे ‘VB-जी राम जी’ योजना भी कहा जा रहा है। सरकार इसे विकसित भारत 2047 के दीर्घकालिक लक्ष्य से जोड़ना चाहती है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। नीति निर्माताओं के अनुसार यह योजना गांवों को केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि विकास के सक्रिय साझेदार बनाने की दिशा में कदम है, जिससे (Viksit Bharat Vision) को जमीनी स्तर पर साकार किया जा सके।
पलायन रोकने की रणनीति: गांव में ही अवसर
नई योजना का एक प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण इलाकों से शहरों की ओर होने वाले पलायन को रोकना है। स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध होने से लोगों को अपने गांव में ही सम्मानजनक आजीविका मिल सकेगी। इससे न केवल परिवारों का सामाजिक ढांचा मजबूत होगा, बल्कि गांवों की आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। सरकार का मानना है कि जब काम गांव में मिलेगा, तो शहरी दबाव भी कम होगा और (Rural Migration Control) की समस्या पर प्रभावी नियंत्रण संभव हो पाएगा।
जल संरक्षण से ढांचागत विकास तक
बिल के मसौदे के अनुसार सरकारी कार्यों को इसी योजना के तहत कराया जाएगा। जल संरक्षण, ग्रामीण सड़कों का निर्माण, सामुदायिक परिसंपत्तियों का विकास और आजीविका मिशनों से जुड़े कार्य इसमें शामिल होंगे। खास ध्यान इस बात पर रहेगा कि खेती के पीक सीजन में श्रमशक्ति गांव में ही उपलब्ध रहे। इससे कृषि उत्पादन प्रभावित नहीं होगा और ग्रामीण विकास के साथ-साथ (Water Conservation Projects) को भी गति मिलेगी।
पीएम गति शक्ति और टेक्नोलॉजी का समावेश
सरकार इस योजना को पीएम-गति शक्ति जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों से जोड़ने पर भी विचार कर रही है। इसके तहत होने वाले कार्यों की निगरानी के लिए जीपीएस और मोबाइल आधारित सिस्टम अपनाया जाएगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जीवाड़े की संभावनाएं कम होंगी। योजना, ऑडिट और जोखिम प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने की तैयारी है, जो (Digital Governance India) की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
राजनीतिक विवाद की आहट
योजना के नाम बदलने को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सवाल उठाया है कि महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है। पहले से ही यह आशंका जताई जा रही थी कि इस फैसले पर विवाद हो सकता है। वहीं ‘जी राम जी’ नाम जुड़ने से सत्तारूढ़ दल को एक वैचारिक आधार भी मिल गया है। संसद में यह बहस महात्मा गांधी बनाम राम के रूप में उभर सकती है, जो (Political Debate India) को और तीखा बना सकती है।
मनरेगा की विरासत और भविष्य की चुनौती
पिछले दो दशकों में मनरेगा ने ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने में अहम भूमिका निभाई है। इस योजना ने संकट के समय करोड़ों परिवारों को सहारा दिया और गांवों में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया। अब सवाल यह है कि नया स्वरूप उस भरोसे को कितना आगे बढ़ा पाएगा। सरकार के लिए चुनौती यह होगी कि नाम और ढांचे के बदलाव के बावजूद योजना की आत्मा बनी रहे और (Mahatma Gandhi NREGA) की विरासत को कमजोर न होने दिया जाए।



