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RG Kar Hospital Case: सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट ट्रांसफर हुई आरजी कर कांड की फाइलें, न्याय की आस में भीगी आंखें

RG Kar Hospital Case: देश को झकझोर देने वाले कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज कांड में अब एक नया और महत्वपूर्ण मोड़ आया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए इस संवेदनशील (Judicial Transfer) को मंजूरी दे दी है। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया है कि महिला डॉक्टर के साथ हुए जघन्य दुष्कर्म और हत्या के मामले की सुनवाई अब कलकत्ता हाईकोर्ट में की जाएगी। इस आदेश के बाद अब न्याय की पूरी प्रक्रिया उसी शहर की न्यायिक निगरानी में होगी जहाँ यह दर्दनाक हादसा हुआ था।

RG Kar Hospital Case
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सुओ मोटो संज्ञान से लेकर हाईकोर्ट तक का सफर

साल 2024 में जब इस मामले (RG Kar Hospital Case) ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था, तब देश की सबसे बड़ी अदालत ने स्वतः संज्ञान (Suo Moto Cognizance) लेते हुए इस मामले में दखल दिया था। उस समय अदालत का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि जांच में कोई कोताही न बरती जाए और न्याय की गरिमा बनी रहे। अब न्यायमूर्ति एमएम सुंद्रेश और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने लंबी कानूनी दलीलों और परिस्थितियों का विश्लेषण करने के बाद इसे हाईकोर्ट को सौंपना ही उचित समझा है।

पीड़ित माता-पिता के अधिकारों पर अदालत का पहरा

कानूनी दांव-पेच के बीच सुप्रीम कोर्ट ने उस परिवार के प्रति भी अपनी संवेदनशीलता दिखाई है जिसने अपनी होनहार बेटी को खोया है। पीठ ने सख्त निर्देश दिया है कि मामले से जुड़ी (Status Report) की एक प्रति अनिवार्य रूप से पीड़िता के माता-पिता को उपलब्ध कराई जाए। कोर्ट का यह कदम पारदर्शिता को बढ़ावा देने और पीड़ित परिवार के मन में न्याय के प्रति विश्वास को दोबारा जीवित करने की एक बड़ी कोशिश मानी जा रही है।

कलकत्ता हाईकोर्ट की अब बढ़ी जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब सारा दारोमदार कलकत्ता हाईकोर्ट के कंधों पर आ गया है। मामले की फाइलों को वहां स्थानांतरित करने का अर्थ यह है कि अब स्थानीय साक्ष्यों और (Trial Proceedings) की बारीकी से जांच हाईकोर्ट की देखरेख में होगी। कानूनी जानकारों का मानना है कि इससे सुनवाई की प्रक्रिया में तेजी आ सकती है और स्थानीय स्तर पर गवाहों की सुरक्षा व उपलब्धता को भी बेहतर ढंग से प्रबंधित किया जा सकेगा।

न्याय के लिए सड़कों पर उतरा जनसैलाब

आरजी कर मेडिकल कॉलेज की उस काली रात ने केवल एक डॉक्टर की जान नहीं ली, बल्कि पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया था। डॉक्टरों के राष्ट्रव्यापी विरोध और (Public Protests) ने इस मामले को एक जन आंदोलन बना दिया था। लोग अब भी इस उम्मीद में हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले को हाईकोर्ट भेजने से दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं आएगी और न्याय की देवी की आंखों से पट्टी नहीं हटेगी।

जांच की पारदर्शिता और सीबीआई की भूमिका

इस मामले की जांच वर्तमान में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के हाथों में है, जो समय-समय पर अपनी प्रगति रिपोर्ट पेश करती रही है। हाईकोर्ट में मामला जाने के बाद अब (Investigation Oversight) की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी। कोर्ट यह सुनिश्चित करेगा कि जांच एजेंसी की फाइलों में दर्ज हर तथ्य सच की कसौटी पर खरा उतरे और किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति का हस्तक्षेप इस मामले को कमजोर न कर सके।

देश की बेटियों की सुरक्षा का बड़ा सवाल

आरजी कर की घटना ने अस्पतालों में महिला चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा पर एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया था। इस मामले की (Legal Accountability) तय होना इसलिए भी जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी घटना की पुनरावृत्ति न हो सके। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस बात पर जोर दिया है कि न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि वह होता हुआ दिखना भी चाहिए, ताकि समाज में कानून का भय और सम्मान दोनों बने रहें।

उम्मीदों का नया सवेरा और कलकत्ता की अदालत

कोलकाता की गलियों से लेकर दिल्ली के गलियारों तक, हर किसी की नजर अब कलकत्ता हाईकोर्ट की अगली कार्रवाई पर टिकी है। इस (Judiciary System) की शुचिता को बनाए रखने के लिए यह केस एक मील का पत्थर साबित होगा। लोगों को विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा फाइलों का स्थानांतरण महज एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह न्याय की दिशा में उठाया गया एक संतुलित और परिपक्व कदम है जो अंततः सत्य की जीत का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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