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Ram Sutar Passes Away: अस्त हो गया कला जगत का सूर्य, 100 साल की साधना के बाद ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के रचयिता ने ली अंतिम सांस

Ram Sutar Passes Away: भारतीय कला और शिल्प के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय आज समाप्त हो गया। देश की मिट्टी को अपनी उंगलियों से जीवंत कर देने वाले विश्व प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वनजी सुतार अब हमारे बीच नहीं रहे। बुधवार को उन्होंने (Legendary Indian Artist) 100 वर्ष की आयु में इस नश्वर संसार को अलविदा कह दिया। उनके जाने से न केवल कला जगत में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है, बल्कि देश ने उस महान व्यक्तित्व को खो दिया है जिसने भारत की गौरवगाथा को पत्थरों और धातुओं पर उकेरा था।

Ram Sutar Passes Away
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शतायु जीवन और लंबी बीमारी से संघर्ष

राम सुतार पिछले काफी समय से बढ़ती उम्र से जुड़ी विभिन्न शारीरिक समस्याओं और बीमारियों से जूझ रहे थे। 100 वर्ष की आयु (Geriatric Health Issues) पूर्ण करने के साथ ही उनके शरीर ने साथ देना छोड़ दिया, लेकिन उनकी बनाई प्रतिमाएं आने वाली कई सदियों तक उनकी उपस्थिति का अहसास कराती रहेंगी। उनके निधन की खबर फैलते ही कला प्रेमियों और उनके प्रशंसकों के बीच शोक की लहर दौड़ गई, क्योंकि वे केवल एक मूर्तिकार नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक थे।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में छोड़ी ऐतिहासिक विरासत

दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के मुख्य शिल्पकार के रूप में राम सुतार का नाम इतिहास के पन्नों में अमर हो चुका है। सरदार वल्लभभाई पटेल की इस विशालकाय (Monumental Architecture) प्रतिमा को डिजाइन करना उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। 182 मीटर ऊंची इस प्रतिमा के माध्यम से उन्होंने भारत की एकता और अखंडता को एक वैश्विक पहचान दिलाई, जिसे देखकर आज पूरी दुनिया दांतों तले उंगली दबा लेती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्त की गहरी संवेदनाएं

शिल्पकार राम सुतार के निधन पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हुए कहा कि (National Mourning) राम सुतार जी का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। प्रधानमंत्री ने उनकी कला साधना को नमन करते हुए याद किया कि कैसे उन्होंने अपनी कल्पनाशीलता से महापुरुषों को अमर कर दिया। सरकार और देश के गणमान्य नागरिकों ने उन्हें एक ऐसे ऋषि के रूप में याद किया जिसने कला को ही अपना धर्म बना लिया था।

मिट्टी से शुरू हुआ एक असाधारण सफर

महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में जन्मे राम सुतार का कला के प्रति समर्पण बचपन से ही दिखने लगा था। उन्होंने साधारण मिट्टी से मूर्तियां बनाने (Creative Sculpting Process) का काम शुरू किया था, जो बाद में विशालकाय कांसे की प्रतिमाओं में बदल गया। उनकी लगन और मेहनत का ही परिणाम था कि उन्हें पद्म भूषण और पद्म श्री जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा गया। उन्होंने संसद भवन में स्थापित महात्मा गांधी की प्रसिद्ध प्रतिमा सहित देश-विदेश में सैकड़ों कलाकृतियों का निर्माण किया।

आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत

राम सुतार भले ही शारीरिक रूप से विदा हो गए हों, लेकिन उनकी कला का सफर कभी थमेगा नहीं। युवा कलाकारों के लिए उनका जीवन (Artistic Inspiration) एक खुली किताब की तरह है, जो सिखाता है कि कैसे धैर्य और अटूट मेहनत से पत्थर को भी भगवान बनाया जा सकता है। उन्होंने सिखाया कि उम्र केवल एक संख्या है, यदि मन में सृजन की इच्छा हो तो व्यक्ति 100 साल की उम्र तक भी सक्रिय रह सकता है।

कला के आकाश का चमकता ध्रुव तारा

आज जब हम उनकी कृतियों को देखते हैं, तो उनमें एक विशेष प्रकार की जीवंतता नजर आती है। वे चेहरे के भावों को (Portrait Sculpting) इतनी बारीकी से उकेरते थे कि लगता था मानो मूर्ति अभी बोल पड़ेगी। उनकी कला का आधार भारतीय मूल्यों और महान विभूतियों के प्रति सम्मान था। उनके जाने से जो रिक्तता आई है, उसे भरना असंभव है, लेकिन ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के रूप में वे हमेशा हिमालय की तरह अडिग और अटल रहेंगे।

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