Mumbai Municipal Corporation Election: महायुती के मास्टरप्लान ने उड़ाई विपक्ष की नींद, जानें सीटों का पूरा गणित…
Mumbai Municipal Corporation Election: महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे बड़ा केंद्र माने जाने वाले मुंबई महानगरपालिका चुनाव के लिए महायुती ने अपनी रणनीति (Maharashtra Seat Sharing) स्पष्ट कर दी है। इस बार के समीकरण बेहद दिलचस्प हैं क्योंकि भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए 140 सीटों पर दावेदारी पेश की है, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना 87 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। यह बंटवारा न केवल दोनों दलों के बीच बढ़ते तालमेल को दर्शाता है, बल्कि मुंबई की सत्ता पर फिर से काबिज होने के उनके अटूट संकल्प को भी उजागर करता है। कार्यकर्ताओं में इस फॉर्मूले को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है।
विदर्भ के किलों को फतह करने की संयुक्त तैयारी
नागपुर सहित विदर्भ की चार प्रमुख महानगरपालिकाओं में भी गठबंधन का स्वरूप पूरी तरह तैयार हो चुका है। भारतीय जनता पार्टी (Vidarbha Political Strategy) ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक अभेद्य किला तैयार किया है। नागपुर, चंद्रपुर, अकोला और अमरावती में महायुती के घटक दल एक साथ मैदान में उतरेंगे। विदर्भ को भाजपा का गढ़ माना जाता है, और यहाँ शिंदे गुट के साथ आने से पार्टी अपनी स्थिति को और अधिक मजबूत मान रही है। इस क्षेत्रीय गठबंधन का मुख्य उद्देश्य विपक्षी खेमे में सेंध लगाना और स्थानीय निकायों पर अपना वर्चस्व स्थापित करना है।
चंद्रपुर और अकोला में त्रिकोणीय शक्ति का प्रदर्शन
चंद्रपुर और अकोला महानगरपालिका के चुनावों में महायुती का चेहरा थोड़ा अलग और व्यापक नजर आएगा। यहाँ भाजपा और शिंदे की शिवसेना के साथ (Ajit Pawar NCP Alliance) उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी भी हाथ मिला चुकी है। इन दोनों शहरों में गठबंधन की यह त्रिमूर्ति विपक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करने वाली है। अजीत पवार के गठबंधन में शामिल होने से पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद जताई जा रही है, जो जीत के अंतर को निर्णायक बना सकता है। यह तालमेल महायुती की समावेशी राजनीति का एक बड़ा उदाहरण बनकर उभरा है।
अमरावती में रवि राणा के साथ बनी नई केमिस्ट्री
अमरावती महानगरपालिका चुनाव के समीकरणों ने सभी को चौंका दिया है क्योंकि यहाँ भाजपा और शिंदे सेना ने निर्दलीय विधायक रवि राणा की पार्टी के साथ गठबंधन (Amravati Election Coalition) करने का निर्णय लिया है। रवि राणा का स्थानीय स्तर पर मजबूत जनाधार महायुती के लिए संजीवनी साबित हो सकता है। अमरावती की राजनीति हमेशा से जटिल रही है, ऐसे में स्थानीय प्रभाव वाले नेताओं को साथ लेकर चलना भाजपा की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। इस गठबंधन के जरिए महायुती यहाँ सत्ता विरोधी लहर को कुंद करने और जीत का परचम लहराने की तैयारी में है।
बिखरता महा विकास अघाड़ी और कांग्रेस की अकेले राह
एक समय पर एकजुट होकर महायुती को चुनौती देने वाला महा विकास अघाड़ी अब पूरी तरह बिखरता हुआ नजर आ रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस (MVA Split News) ने अब आगामी महानगरपालिका चुनावों में अकेले ही मैदान में उतरने का मन बना लिया है। हालांकि, पार्टी कुछ विशिष्ट सीटों पर बहुजन विकास अघाड़ी के साथ सहयोग की संभावना तलाश रही है, लेकिन गठबंधन का मूल स्वरूप अब खत्म हो चुका है। कांग्रेस का यह फैसला राज्य की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है, जिससे मतों का विभाजन तय माना जा रहा है।
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच बढ़ती नजदीकियां
शिवसेना के भीतर मचे घमासान के बीच अब उद्धव बाला साहेब ठाकरे गुट ने एक नया रास्ता चुना है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना अब राज ठाकरे की पार्टी (MNS Shiv Sena Pact) महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। यह विकास काफी भावनात्मक है क्योंकि एक ही परिवार के दो भाइयों की राजनीतिक विचारधाराएं अब सत्ता की लड़ाई के लिए करीब आती दिख रही हैं। यदि यह गठबंधन धरातल पर सफल होता है, तो मुंबई और आसपास के इलाकों में मराठी मानुस के वोटों का समीकरण पूरी तरह बदल सकता है।
शरद पवार की एनसीपी का स्वतंत्र संघर्ष
दूसरी तरफ, दिग्गज राजनेता शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी किसी के साथ जाने के बजाय स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का साहसी फैसला (Sharad Pawar NCP Strategy) लिया है। शरद पवार की पार्टी अपने दम पर अपने पुराने गढ़ों को वापस पाने की कोशिश करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि विपक्ष में एकता की कमी का सीधा फायदा सत्ताधारी महायुती को मिल सकता है। विपक्षी दलों का अलग-अलग चुनाव लड़ना उनके वोट बैंक में बिखराव पैदा करेगा, जिससे महायुती की राह काफी आसान होती दिखाई दे रही है।
कमजोर होता विपक्ष और महायुती का बढ़ता मनोबल
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह स्पष्ट है कि विपक्ष इस समय बेहद कमजोर स्थिति में खड़ा है। महायुती जहाँ एक स्पष्ट सीट-शेयरिंग फॉर्मूले के साथ (Maharashtra Municipal Polls) जनता के बीच जा रही है, वहीं विपक्षी दल आपसी अंतर्विरोधों से जूझ रहे हैं। गठबंधन की मजबूती और नेतृत्व की स्पष्टता महायुती को एक मनोवैज्ञानिक बढ़त दिला रही है। अब देखना यह होगा कि क्या जनता महायुती के इस सुव्यवस्थित गठबंधन पर मुहर लगाती है या बिखर चुका विपक्ष कोई बड़ा उलटफेर करने में कामयाब होता है।