Mobile App: 2027 की जनगणना बनेगी भारत की पहली पूर्ण डिजिटल जनगणना, घर बैठे खुद भर सकेंगे पूरा फॉर्म
Mobile App: भारत सरकार ने वर्ष 2027 में होने वाली अगली राष्ट्रीय जनगणना(National Census) को पूरी तरह डिजिटल बनाने का बड़ा फैसला लिया है। लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि अब कागज-कलम का दौर खत्म हो जाएगा और पूरा डेटा मोबाइल ऐप तथा विशेष वेब पोर्टल के जरिए एकत्र किया जाएगा। यह अपने आप में ऐतिहासिक कदम है क्योंकि आजादी के बाद से अब तक कभी भी जनगणना इस पैमाने पर डिजिटल नहीं हुई थी।

डिजिटल पोर्टल और मोबाइल ऐप से होगी पूरी प्रक्रिया
सरकार एक खास डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार कर रही है जिस पर जनगणना की हर गतिविधि की रियल-टाइम निगरानी की जा सकेगी। आम नागरिक अपने घर बैठे ही वेब पोर्टल पर लॉग-इन करके अपनी तथा परिवार की पूरी जानकारी खुद दर्ज कर सकेंगे। वहीं फील्ड में काम करने वाले गणनाकर्मी आधिकारिक मोबाइल ऐप के जरिए घर-घर जाकर डेटा कलेक्ट करेंगे। इस दोहरे सिस्टम से गलतियों की गुंजाइश बहुत कम हो जाएगी और काम की गति कई गुना बढ़ जाएगी।
स्थान के आधार पर ही होगी गणना, प्रवासन का पूरा डेटा भी दर्ज होगा
मंत्री ने साफ किया कि जनगणना की मूल परंपरा नहीं बदलेगी। जिस जगह व्यक्ति गणना के निर्धारित समय में मौजूद होगा, उसी स्थान पर उसकी गणना होगी। साथ ही जन्म स्थान, पिछले निवास स्थान, वर्तमान जगह पर रहने की अवधि और प्रवास का कारण जैसे सभी ब्यौरे भी डिजिटल फॉर्मेट में दर्ज किए जाएंगे। इससे शहरों में बढ़ते प्रवासन, गांव से शहर की ओर पलायन और रोजगार के लिए होने वाली जगह बदलने की सही तस्वीर सामने आएगी।
प्रश्नावली पहले ही होगी जारी, पारदर्शिता रहेगी बरकरार
जनगणना शुरू होने से काफी पहले सरकार प्रश्नावली को राजपत्र में प्रकाशित कर देगी। इससे सभी राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय और संबंधित विभाग समय रहते अपनी तैयारी कर सकेंगे। यह प्रक्रिया हमेशा से चली आ रही है और डिजिटल जनगणना में भी इसे पूरी तरह बनाए रखा जाएगा। इससे किसी तरह की अफवाह या भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
डिजिटल तरीके के फायदे क्या होंगे?
सरकार का मानना है कि कागज रहित जनगणना से डेटा की प्रोसेसिंग बहुत तेज हो जाएगी। पहले जहां महीनों लग जाते थे, अब कुछ ही हफ्तों में प्रारंभिक आंकड़े सामने आ सकेंगे। मानवीय गलतियां लगभग खत्म हो जाएंगी क्योंकि सॉफ्टवेयर खुद कई स्तर पर वैलिडेशन करेगा। अंतिम रिपोर्ट ज्यादा सटीक और विश्वसनीय होगी जिससे नीति-निर्माण में मदद मिलेगी।
भविष्य की योजनाओं के लिए मजबूत आधार बनेगा डेटा
विशेषज्ञों का कहना है कि यह डिजिटल डेटा आने वाले कई दशकों तक देश की नीतियां बनाने में काम आएगा। शहरों की मास्टर प्लानिंग, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, शिक्षा सुविधाओं की जरूरत, रोजगार सृजन जैसे तमाम क्षेत्रों में सटीक आंकड़े उपलब्ध होंगे। खासकर ग्रामीण-शहरी पलायन के पैटर्न को समझने में यह अभूतपूर्व मदद करेगा।
2011 के बाद पहली जनगणना, 2021 वाली हुई थी स्थगित
भारत में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। 2021 की जनगणना कोरोना महामारी के कारण टाल दी गई थी। अब 2027 में होने वाली यह गणना करीब डेढ़ दशक का अंतर पूरा करेगी। इतने लंबे गैप की वजह से मौजूदा जनसांख्यिकीय आंकड़े काफी पुराने हो चुके हैं। नई डिजिटल जनगणना से देश की वास्तवर्तमान आबादी, लिंग अनुपात, साक्षरता दर, आय sources और रहन-सहन के स्तर की सबसे ताजा तस्वीर मिलेगी।
आने वाले महीनों में शुरू होगी तैयारी
खबर है कि अगले कुछ महीनों में ही पहले चरण की प्री-टेस्ट प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कई राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चलाए जाएंगे ताकि तकनीकी खामियों को दूर किया जा सके। आम जनता को भी जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा ताकि हर व्यक्ति बिना झिझक के अपनी सही जानकारी दे सके।
यह डिजिटल जनगणना सिर्फ आंकड़े जुटाने का काम नहीं है बल्कि यह डिजिटल इंडिया के सपने को भी एक कदम आगे बढ़ाएगी। आने वाला समय बताएगा कि यह प्रयोग कितना सफल होता है, लेकिन शुरुआती संकेत बहुत सकारात्मक हैं।



