Kerala Congress Leader Arrested: क्या केरल में सच बोलना गुनाह है, मुख्यमंत्री की तस्वीर साझा करने पर कांग्रेस नेता के ऊपर चला पुलिसिया हंटर…
Kerala Congress Leader Arrested: केरल की राजनीति में उस वक्त हड़कंप मच गया जब पुलिस ने शनिवार सुबह कांग्रेस के कद्दावर नेता एन. सुब्रह्मण्यन को उनके आवास से हिरासत में ले लिया। राज्य कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य सुब्रह्मण्यन पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की एक ऐसी तस्वीर साझा की, जिसने सत्ता के गलियारों में हलचल पैदा कर दी। पुलिस की इस (Political Vendetta in Kerala) वाली कार्रवाई ने विपक्ष को सरकार के खिलाफ हमलावर होने का एक नया मौका दे दिया है। चेवयूर पुलिस ने इस मामले में तत्परता दिखाते हुए जांच को तेज कर दिया है।
विवादित तस्वीर और सबरीमाला मामले का कनेक्शन
इस पूरे विवाद के केंद्र में वह फोटो है, जिसमें मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और सबरीमाला स्वर्ण मामले के आरोपी उन्नीकृष्णन पोटी एक साथ नजर आ रहे हैं। सुब्रह्मण्यन ने इस फोटो के कैप्शन में मुख्यमंत्री और आरोपी के बीच कथित घनिष्ठ संबंधों की ओर इशारा करते हुए कुछ चुभते हुए सवाल पूछे थे। इस (Controversial Social Media Post) ने देखते ही देखते इंटरनेट पर वायरल होकर सरकार की छवि पर सवालिया निशान लगा दिए। पुलिस ने शनिवार तड़के सुब्रह्मण्यन के घर पहुंचकर उनका बयान दर्ज किया और फिर उन्हें थाने ले गई।
क्या एआई का इस्तेमाल कर बनाई गई है यह फोटो?
कांग्रेस नेता एन. सुब्रह्मण्यन ने अपनी सफाई में पुलिस और मीडिया के सामने बेहद चौंकाने वाले दावे किए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जो तस्वीर उन्होंने साझा की है, वह कोई फर्जी या एआई-जनरेटेड तस्वीर नहीं है। सुब्रह्मण्यन का तर्क है कि उन्होंने (Digital Evidence Authentication) के तौर पर यह तस्वीर मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा खुद जारी किए गए एक आधिकारिक वीडियो से स्क्रीनशॉट के रूप में ली है। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि वह अदालत में इस तस्वीर की सच्चाई साबित करके रहेंगे।
भाजपा नेता राजीव चंद्रशेखर का जिक्र कर उठाए सवाल
हिरासत में लिए गए कांग्रेस नेता ने अपनी गिरफ्तारी को लेकर सरकार के दोहरे मापदंडों पर भी प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यही समान तस्वीर 29 नवंबर को भाजपा नेता राजीव चंद्रशेखर के सोशल मीडिया अकाउंट पर भी मौजूद थी। सुब्रह्मण्यन ने सवाल उठाया कि (Selective Police Action) के तहत केवल उन्हें ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है, जबकि भाजपा नेता के खिलाफ अब तक कोई कानूनी कदम नहीं उठाया गया है। उनका कहना है कि सरकार केवल उन आवाजों को दबाना चाहती है जो मुख्यमंत्री की कार्यशैली की आलोचना करते हैं।
कानूनी धाराओं के जाल में फंसे सुब्रह्मण्यन
चेवयूर पुलिस ने सुब्रह्मण्यन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और केरल पुलिस एक्ट की गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। उन पर धारा 192, जो उद्देश्यपूर्वक दंगे भड़काने या उकसाने से संबंधित है, और केरल पुलिस एक्ट की धारा 120(o) लगाई गई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि (Law Enforcement Procedures) का पालन करते हुए यह कार्रवाई की गई है क्योंकि इस तरह के पोस्ट से सार्वजनिक शांति भंग होने की आशंका थी। हालांकि, पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि ये धाराएं जमानती हैं, जिससे सुब्रह्मण्यन को राहत मिल सकती है।
केरल में अभिव्यक्ति की आजादी पर छिड़ी बहस
इस गिरफ्तारी के बाद केरल में लोकतांत्रिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि पिनाराई विजयन सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है और पुलिस का इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध के लिए कर रही है। (Freedom of Speech in India) के इस दौर में एक राजनीतिक नेता की गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि राज्य में सत्ता के खिलाफ बोलना कितना जोखिम भरा होता जा रहा है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के वीडियो ने बढ़ाई मुश्किलें
सुब्रह्मण्यन का यह दावा कि तस्वीर सरकारी वीडियो का हिस्सा है, मुख्यमंत्री कार्यालय के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। अगर यह साबित हो जाता है कि आरोपी उन्नीकृष्णन पोटी वास्तव में आधिकारिक कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री के साथ मौजूद थे, तो (Kerala CM Accountability) पर सवाल उठना लाजमी है। विपक्ष अब इस मामले को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाने की योजना बना रहा है। सुब्रह्मण्यन ने स्पष्ट किया है कि वह इस कानूनी लड़ाई को हारने वाले नहीं हैं और इसे अंजाम तक पहुंचाएंगे।
पुलिस जांच और आगे की कानूनी कार्रवाई
फिलहाल सुब्रह्मण्यन से पुलिस स्टेशन में विस्तृत पूछताछ की जा रही है ताकि पोस्ट के पीछे के इरादों को समझा जा सके। पुलिस सूत्रों का कहना है कि (Legal Proceedings in Kerala) के तहत साक्ष्यों की जांच की जाएगी और यह देखा जाएगा कि क्या वास्तव में इस पोस्ट से समाज में कोई वैमनस्य फैलाने की कोशिश की गई थी। इस मामले ने केरल की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जहां अब एक फोटो मुख्यमंत्री और विपक्ष के बीच युद्ध का सबसे बड़ा कारण बन गई है।