राष्ट्रीय

बिलासपुर में सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने का लिया गया बड़ा एक्शन

बिलासपुर में जिला प्रशासन और राजस्व विभाग ने सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने बड़ा एक्शन लिया है. शहर से लगे बिरकोना में 10 एकड़ सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराया है. यहां बने 23 मकानों पर बुलडोजर चलाकर ढहा दिया गया. वहीं, दूसरी तरफ रतनपुर क्षेत्र में 6

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दरअसल, नगर निगम क्षेत्र में शामिल बिरकोना में शासकीय भूमि पर 23 परिवारों ने पक्के मकान बनाकर कब्जा कर लिया था. कम्पलेन के बाद कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर प्रशासन ने कठोरता दिखाई और जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए. जिस पर एसडीएम मनीष साहू ने जांच कर प्रतिवेदन दिया.

जिसके बाद तहसीलदार गरिमा ठाकुर, जोन कमिश्नर, राजस्व अमले और पुलिस बल के साथ संयुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर कब्ज़ा हटाने की कार्रवाई की. इससे पहले कब्जाधारियों को नोटिस देकर 9 अप्रैल को बेदखली का आखिरी आदेश भी दिया गया था, लेकिन तय समय सीमा में कब्जा नहीं हटाए जाने पर प्रशासन ने कठोरता से बेजा कब्जा मुक्त कर जमीन को मुक्त कराया.

 

23 मकानों पर चला बुलडोजर

इस कार्रवाई के दौरान गैरकानूनी कब्जा कर बनाए गए 23 पक्के मकानों को बुलडोजर चलाकर ढहा दिया गया. जिनका मकान तोड़ा गया है उनमें श्यामबाई, पूनम पांडेय, प्रमीला यादव, पोस्टमेन, महंगुराम, नरेंद्र, अरुण बघेल, रामायण, ईश्वरी, दुर्गेश साहू, गोपी गोस्वामी, हजारीलाल, राजकुमार शुक्ला, फागूराम, बरातू मानू, जनऊ, बनऊ, धनऊ, अर्जुन, दिलीप, सुंदर और अन्य लोग शामिल हैं.

 

सरकारी जमीन पर गैरकानूनी कब्जा बर्दाश्त नहीं

जिला प्रशासन और राजस्व विभाग के अफसरों ने साफ बोला है कि, अब जिले में सरकारी जमीन पर गैरकानूनी कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सरकारी भूमि को खाली कराना प्रशासन की अहमियत में है. इस दिशा में आगे भी कठोर कार्रवाई जारी रहेगी. बिरकोना में 10 एकड़ सरकारी ज़मीन से गैरकानूनी कब्जा हटाया गया है. बेजाकब्जा धारियों पर आगे की ऐसी कार्रवाई होती रहेगी.

एसडीएम ने दिया था डायवर्सन का आदेश, कलेक्टर ने किया निरस्त

मंगलवार को टीलएल बैठक में कलेक्टर अवनीश शरण को पता चला कि रतनपुर तहसील के ग्राम घांसीपुर में पूर्व एसडीएम कोटा युगल किशोर उर्वसा ने 22 नवंबर 2024 को 60 डिसमिल सरकारी जमीन के डायवर्सन का आदेश दिया था, जिस पर उन्होंने डायवर्सन आदेश को गंभीरता से लेते हुए प्रकरण की नियमित समीक्षा के निर्देश दिए.

खसरा नंबर 61/10 रकबा 2.023 एकड़ में से 0.60 एकड़ भूमि पर किए गए डायवर्सन के विरुद्ध कम्पलेन प्राप्त होने के बाद जांच प्रारम्भ की गई. इसमें यह तथ्य सामने आया कि भूमि राजस्व अभिलेखों में बड़े झाड़ का जंगल श्रेणी में दर्ज है, जो निस्तार पत्रक से पृथक नहीं की गई थी.

साथ ही मिसल रिकार्ड से इसका रकबा अधिक पाया गया. इन आधारों पर अतिरिक्त कलेक्टर से पुनर्विलोकन की अनुमति ली गई. जांच के बाद जानकारी होने के डायवर्सन को खारिज किया गया है.

 

पूर्व सैनिक ने किया दावा, डॉक्यूमेंट्स से हुआ खंडन

कब्जाधारी ने जांच के दौरान अपने उत्तर में कहा कि यह भूमि उन्हें बतौर भूतपूर्व सैनिक 1983 में पट्टे पर मिली थी, लेकिन राजस्व रिकार्ड में इसका उल्लेख सरकारी जमीन के रूप में ही पाया गया.

दस्तावेज के दोबारा परीक्षण में भी यह साफ हुआ कि भूमि का स्वामित्व राज्य गवर्नमेंट के नाम पर ही कायम है. इन तथ्यों को देखते हुए 22 नवंबर 2024 को पारित डायवर्सन आदेश को खारिज कर दिया गया और निर्माण कार्यों पर तुरन्त रोक लगा दी गई है.

जानिए सरकारी जमीन का डायवर्सन कैसे अवैध

डायवर्सन का अर्थ होता है कृषि भूमि का गैर-कृषि इस्तेमाल में परिवर्तन. पर यदि भूमि शासकीय हो, निस्तार से पृथक न हो या वन मद में दर्ज हो, तो उस पर किया गया डायवर्सन गैरकानूनी माना जाता है. मुद्दे में यदि समय रहते पुनर्विलोकन न होता, तो यह भूमि निजी स्वामित्व में चली जाती.

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