ऑनलाइन गेम के कारण 14वीं मंजिल से कूदी 13 साल की बच्ची
मोबाइल गेम से बच्चे मनोरंजन तो करते हैं लेकिन, कई गेम ऐसे भी हैं जो बच्चों के लिए घातक साबित होते रहे हैं। ऐसे में माता-पिता को इस बात का पूरा ध्यान देना चाहिए कि बच्चे मोबाइल में क्या खेल रहे हैं। कहीं ऐसा ना हो कि बच्चे किसी ऐसे गलत गेम के आदी ना हो जाएं जिसमें जानलेवा टास्क दिए जाते हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि मध्य प्रदेश के इंदौर में 13 वर्ष की बालिका अंजली 14वीं मंजिल से कूद गई। इस मृत्यु का रहस्य बरकरार है, लेकिन पुलिस द्वारा अब तक की जांच में यह पता चला है कि अंजली बंद कमरे में कई घंटों तक औनलाइन गेम खेलती थी, जिसमें ऊंचाई से कूदने के टास्क दिए जाते थे। उसने अपनी सहेलियों को गैलरी के फोटो भी भेजे थे।
इंदौर के लसूडिय़ा क्षेत्र के निपानिया में 14वीं मंजिल से कूदकर जान देने वाली 7वीं की छात्रा अंजलि एक गेम में फंस चुकी थी। भाई आदित्य ने जांच के दौरान पूछताछ में पुलिस को कहा कि अंजलि अपने आईपैड पर ‘रो-ब्लॉक्स’ नाम का गेम खेलती थी। वह कई घंटों तक लगातार कमरे में अकेले रहती थी। बहुत बार टोका भी, लेकिन गेम से उसका मोह छूटता ही नहीं था। हालांकि अभी पुलिस गेम को खुदकुशी की वजह नहीं मान रही, लेकिन इस गेम के कारण ऊंचाई से बिना डर के कूदने की बात से इनकार भी नहीं कर रही।
आईपैड का लॉक नहीं खुला
अंजली की मृत्यु के मुद्दे में जांच कर रही लसूडिय़ा पुलिस स्टेशन की एसआई खुशबू परमार ने कहा कि अंजलि का आईपैड अब भी उसके पासवर्ड से लॉक है। इसे कंपनी भिजवाकर ओपन करवाना पड़ेगा। भाई के बयान के आधार पर गेम भी कारण के रूप में सामने आ रहा है। अंजलि अपनी मां के मोबाइल से सहेलियों से बात करती थी। उसकी विशाखापट्टनम में विद्यालय की जो सहेलियां बनी थीं, उनसे अधिक अटैचमेंट रहा है। पुलिस ने जब सहेलियों के मोबाइल टेलीफोन की चैट देखी तो पता चला कि कुछ सहेलियों को वह अपने घर की गैलरी से ऊंचाई के फोटो भेजा करती थी।।
संभवत: टास्क पूरा करना चाहती हो
पुलिस ने इस मुद्दे में मनोचिकित्सकों से परामर्श लिया तो पता चला इस तरह ऊंचाई के फोटो भेजने से साफ है कि वह अपने दिमाग में बैठे औनलाइन गेम के किसी टास्क को पूरा करना चाहती हो। यह भी खुदकुशी की वजह हो सकती है।
क्या है रो-ब्लॉक्स गेम
रो-ब्लॉक्स औनलाइन गेम है, जिसमें खेलने वाला अपने अनुभव शेयर करने के साथ-साथ लाखों फ्रेंड्स बना सकता है। यह गेम आभासी दुनिया में ले जाता है। इस गेम में बच्चों को ऊंचाई से कूदने सहित कई तरह के टास्क मिलते हैं।
सम्मोहित कर लेता है गेम
मनोचिकित्सक डाक्टर उज्ज्वली सरदेसाई का बोलना है कि गेम की दुनिया आभासी दुनिया होती है। बच्चों को गेम एक तरह से सम्मोहित कर लेता है। गेम में जैसे टास्क मिलते हैं बच्चों को बस कैसे भी करके उसे पूरा करने की जिद सी हो जाती है। बच्चों का स्वयं पर नियंत्रण खत्म हो जाता है। किस तरह की घटना से उन्हें हानि होगा, जान भी जा सकती है, यह सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। वे ऑटिज्म सिंड्रोम के शिकार हो जाते हैं।