बाबा के मंदिर में आज मनाया जायेगा नवान्न पर्व, जानें परंपरा के अनुसार क्या क्या होगा
देवघर : संताल परगना में नवान्न आज मनाया जायेगा। परंपरा के अनुसार, बाबा मंदिर में नये अन्न से बने साकल को बाबा पर अर्पित किया जायेगा। यानि इस वर्ष उपजे धान से बने चावल, गुड़, दही, घंघरा आदि को मिलाकर बाबा पर चढ़ाया जायेगा। पुजारी सुबह की सरदारी पूजा के दौरान बाबा को नये अन्न से बने साकल को अर्पित कर नवान्न पर्व प्रारंभ करेंगे। उसके बाद लोग घर में अग्नि प्रज्वलित कर नये अन्न से बने साकल को अग्नि में आहुति देने के बाद दही, चुड़ा, गुड़, मूली और केला एक साथ मिलाकर अग्नि में देने के बाद स्वयं ग्रहण करेंगे। मान्यता के अनुसार, किसान खेत से उपजे पहले अनाज को ईश्वर को चढ़ाने के बाद नये अन्न को ग्रहण कर नवान्न मनायेंगे।
पितृहीन लोग करेंगे भूजदान : वहीं हर घर में पितृहीन लोग भूजदान करेंगे, यानी नये फसल से तैयार अनाज आदि को अपने पूर्वजों की याद में दान करेंगे। मान्यता है कि नवान्न के दिन दान करने से पूर्वजों की आत्मा को भी पूरे वर्ष तक नये अन्न मिलने की अनुभूति होती है।
रात में बनेगा खास व्यंजन
नवान्न के दिन हर घर में दोपहर में खाना नहीं बनेगा। लोग दही और चूड़ा ही खायेंगे, वहीं रात में सभी के घरों में खास रेसिपी घघरघंट बनेगा। इस रेसिपी में घंघरा के अतिरिक्त मूली, गोभी, कंदा आदि कई तरह की सब्जी को मिलाकर तैयार किया जायेगा। रात में लोग नये अन्न के चावल के साथ इस खास रेसिपी का ही सेवन करेंगे। अग्रहन मास में बुधवार से पूरे एक महीने तक देवघर बाबा मंदिर में बाबा को खास भोग लगाया जायेगा। बुधवार को दिन के 10 बजे पुजारी के द्वारा भीतरखंड कार्यालय में स्थित श्री यंत्र मंदिर में दही, चूड़ा और गुड़ का भोग लगाया जायेगा। यह भोग बाबा बैद्यनाथ सहित परिसर में स्थित सभी देवी-देवताओं के नाम से लगेगा। वहीं रात में शृंगार पूजा के दौरान बाबा को मेखला भी चढ़ाया जायेगा। बाबा की शृंगार पूजा संपन्न होने के उपरांत बाबा पर भारी मात्रा में बेल पत्र और फूल अर्पित करने के बाद कपड़े (मेखला) से ढका जायेगा। मेखला चढ़ाने की परंपरा चार माह तक जारी रहेगी। फाल्गुन मास पूर्णिमा तक बाबा को मेखला अर्पित की जायेगी।