बच्चों का पढ़ाई में नहीं लगता मन तो एकाग्रता बढ़ाएंगे ये योगासन
माता-पिता की अक्सर अपने बच्चों से यह कम्पलेन रहती है कि वो पढ़ते समय टिककर एक स्थान नहीं बैठते हैं। पुस्तक खोलकर पढ़ने बैठ भी जाएं तो उनका दिमाग हमेशा डिस्ट्रैक्ट रहता है। जिसकी वजह से उन्हें पढ़ाने के बाद भी कोई पाठ अच्छी तरह याद नहीं रहता है। जिसका रिज़ल्ट परीक्षा में कम अंक आना होता है। यदि आपकी भी अपने बच्चे से यही कम्पलेन है तो उसे डांटने की स्थान उसके रूटिन में ये 3 योगासन शामिल करें।
वृक्षासन-
एग्जाम के दौरान परीक्षा में अच्छे अंक लाने का दबाव कई बार विद्यार्थियों में स्ट्रेस का कारण बनने लगता है। घंटों तक एक स्थान बैठकर पढ़ने से शरीर में दर्द की परेशानी भी हो सकती है। ऐसे में तनाव और शरीर के दर्द से राहत पाने के लिए बच्चे को वृक्षासन करवाएं। वृक्षासन को अंग्रेजी में ट्री पोज भी बोला जाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले पैरों को एक साथ मिलाकर खड़े हो जाएं। ऐसा करते हुए अपनी पीठ को सीधा रखते हुए धीरे से चिन को ऊपर उठाएं। अपना केंद्र खोजने की प्रयास करें और ऊर्जाओं को संतुलित करें। बाजुएं शरीर के बगल और कंधे शिथिल होने चाहिए। धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें, शरीर के वजन को पैरों के बीच समान रूप से संतुलित करें और इस आसन में स्थिरता से हबने रहें। वजन को दाहिने पैर पर डालने की तैयारी करें।धीरे-धीरे बाएं घुटने को मोड़ें और बाएं पैर को दाहिनी पैर पर रखने के लिए टखने को सहारा दें।
किसी एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें क्योंकि इससे हमें बैलेंस बनाने में सहायता मिलेगी। सामने दीवार पर एक स्थान पर टकटकी लगाकर पीठ को सीधा रखें। बाएं पैर से भीतरी जांघ के दाहिनी ओर थोड़ा सा प्रेशर डालें क्योंकि इससे बैलेंस बढ़ेगा। बाएं घुटने को बाहर धकेलना जारी रखें और कूल्हों को कमरे के सामने चौकोर रखें। प्रणाम मुद्रामें संतुलन बनाए रखें और धीरे-धीरे हथेलियों को चेस्ट के सामने मिला लें। धीरे-धीरे सांस छोड़ें और बाएं पैर को टखने से पकड़कर छोड़ दें। पुरानी पोजीशन में वापस आकर दूसरी तरफ दोहराने की तैयारी करें।
वीरभद्रासन-
वीरभद्रासन करने से नर्वस सिस्टम मजबूत होता है और पेट की चर्बी कम होती है। इसे करने के लिए सबसे पहले पैरों को एक साथ मिलाते हुए पीठ सीधी और चिन को थोड़ा ऊपर उठाएं। अपना केंद्र ढूंढकर ऊर्जाओं को संतुलित करें। बाजुओं को शरीर के बगल में मजबूती से रखें। ऐसा करते हुए शरीर के वजन को दोनों पैरों के बीच समान रूप से बांटने के लिए धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें।
ताड़ासन में स्थिरता खोजें। अब दाहिने पैर को लगभग 4 फीट की दूरी पर आगे की ओर रखें। दाहिना पैर चटाई के टॉप की ओर इशारा करते हुए होना चाहिए। अब धीरे-धीरे दाहिने घुटने को एक लंज में मोड़ें। दाहिने घुटने को लंज पोजीशन में रखते हुए, बाएं पैर को पीछे सीधा रखें। धीरे-धीरे बाईं एड़ी को लगभग 45 डिग्री पर अंदर की ओर घुमाएं। दाहिनी जांघ लगभग फर्श के समानांतर होनी चाहिए। दोनों बाजुओं को सीधे सिर के ऊपर उठाएं, हथेलियों को मिलाते हुए कंधों को नीचे धकेलें। हथेलियों को देखने के लिए चिन को ऊपर उठाएं। श्वास लें और सांस छोड़ें क्योंकि बाईं ओर दोहराने से पहले आसन को बनाए रखते हैं।
गरुड़ासन-
गरुड़ासन करने से एकाग्रता शक्ति में सुधार आता है। गरुड़ासन करने के लिए सबसे पहले किसी समतल स्थान पर मैट बिछाकर ताड़ासन की मुद्रा में यानी सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद अपना दायां पैर उठाकर बाएं पैर को सीधे रखते हुए दाएं पैर को दाईं टांग के आगे से घुमाते हुए पीछे ले जाएं। ऐसा करते हुए अपनी दोनों बाजुओं को कोहनी से मोड़ते हुए क्रॉस करें। अब दोनों हथेलियों को नमस्ते की मुद्रा में लाने की प्रयास करें। इस दौरान आपके बायां पैर का घुटना थोड़ा मुड़ा हुआ रहना चाहिए। इसके बाद पहले जैसी स्थिति में वापस आ जाएं।
ध्यान रखें कि यदि आप पैर को पूरी तरह से घुमा नहीं पाते, तो आपको ऐसा स्पॉट ढूंढना है, जहां आप पैर को आराम से घुमा सकें। क्योंकि इस आसन में बैलेंस बनाने की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। जिन लोगों को हाथों को क्रॉस करने में भी परेशानी हो,तो नमस्ते की मुद्रा बनाना महत्वपूर्ण नहीं है। ऐसे लोग सुविधानुसार आप हाथों को मोड़ सकते हैं। अब बाएं पैर से इस मुद्रा का अभ्यास करें। इस दौरान दायां पैर सीधा रहेगा और बाएं पैर को दाईं टांग के आगे से घुमाते हुए पीछे ले जाएं। अब दायां हाथ सीधा रखें और बाएं हाथ को क्रॉस करें। कुछ सैकंड के लिए एक ही पोजीशन में बने रहें और फिर अपने पहले जैसी स्थिति में वापस आ जाएं।