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जानें, कैसे हुई थी माता पार्वती और भगवान शिव की शादी

कल यानि 8 मार्च को देशभर में महापर्व महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जाएगा इस पर्व की खास बात यह है कि कथाओं के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि इसी दिन ईश्वर शिव और माता पार्वती एक दूसरे के साथ विवाह के बंधन में बंधे थे ऐसे में महाशिवरात्रि के खास अवसर पर यह जानें कि कैसे और कहां हुई थी ईश्वर शिव और माता पार्वती की शादी

कैसे हुई थी ईश्वर शिव और माता पार्वती की शादी?

पौराणिक कथाओं के मुताबिक यह बोला गया है कि ईश्वर शिव से विवाह करने के लिए माता पार्वती को मुश्किल तपस्या करनी पड़ी थी तभी ईश्वर शिव शादी के लिए राजी हुए थे माता पार्वती की तपस्या देख कर महादेव ने माता पार्वती को किसी बड़े राजकुमार से शादी करने को बोला था लेकिन माता पार्वती ने ईश्वर शिव की इस राय को स्वीकार नहीं किया माता पार्वती ने बोला कि वो विवाह केवल ईश्वर शिव से ही करेंगी माता पार्वती की जिद सुन कर भोलेनाथ खुश हो गए और वे विवाह करने के लिए राजी हो गए

शिव की बारात देख दंग हो गए थे माता पार्वती के परिवार वाले

कथाओं के मुताबिक जब ईश्वर शिव बारात लेकर आएं थे तो उनके बारात में भूत-प्रेत, डाकिनीयां, चुड़ैल भी शामिल थे इस बारात में बारातियों ने मिलकर ईश्वर शिव पर भस्म लगा दिया था और साथ ही उन्हें हड्डियों की माला भी पहना दी थी जब बारात माता पार्वती के घर पहुंची तो माता पार्वती के परिवार वाले सभी ईश्वर शिव और उनकी बारातियों को देख कर डर गए थे इस डर से माता पार्वती की मां ने दोनों की विवाह कराने से इनकार कर दिया था इस बात को जानकर माता पार्वती ने शिव से अनुरोध किया कि वे अपने बारातियों के साथ रीति-रिवाजों के मुताबिक सज-धज कर आएं ईश्वर शिव ने इस बात को स्वीकारा और वो दूल्हे जैसे सज-धज कर गए थे इसके बाद ही सभी देवी-देवताओं के आशीर्वाद से शिव-पार्वती की विवाह ब्रह्म देव की उपस्थिति में हुई थी

ब्रह्मा ईश्वर ने कराई थी शिव-पार्वती की शादी

हिन्दू धर्म में जब भी कोई विवाह होती हैं तो उसमें एक पुजारी होते हैं जो विवाह में मंत्र पढ़ कर सारे रस्मों रिवाजों से वर-वधू की विवाह को सम्पन्न करवाते हैं ऐसे ही शिव-पार्वती के विवाह में ईश्वर ब्रह्मा पुजारी थे जिन्होंने सारे रस्मों रिवाजों के साथ दोनों की विवाह कराई थी इस विवाह में ईश्वर विष्णु भी शामिल थे

कहां हुई थी शादी?

कथाओं के मुताबिक ये बोला गया है कि ईश्वर शिव और माता पार्वती की विवाह त्रियुगीनारायण मंदिर में हुई थी जो कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग गांव में स्थित है यह मंदिर 1,980 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित है और साथ ही यह मंदिर सोनगंगा और मंदाकिनी का जहां मिलन होता है उस स्थान विराजमान हैं बता दें, कि इस मंदिर में हर वर्ष हजार से अधिक लोग आकर विवाह करते हैं ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि आपकी विवाह भी इस मंदिर में हो तो आप अपनी विवाह की तिथि मुताबिक बुकिंग कर के मंदिर में विवाह कर सकते हैं

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