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क्या इंडियन स्किन टोन के लिए सनस्क्रीन आवश्यक है, जानें यहाँ…

स्किन के डॉक्टरों और सौंदर्य जानकारों को अक्सर भारतीय त्वचा के लिए सनस्क्रीन की जरूरत पर प्रश्न का सामना करना पड़ता है क्योंकि मेलेनिन यूवी विकिरण के विरुद्ध कुछ सहज सुरक्षा प्रदान करता है, एक प्रचलित गलत धारणा है कि डार्क रंग की त्वचा वाले लोगों के लिए सनस्क्रीन जरूरी नहीं हो सकता है. हालांकि, त्वचा देखभाल जानकार इस बात पर बल देते हैं कि वास्तविकता कहीं अधिक छोटी है.

एचटी लाइफस्टाइल के एक्सपर्ट ने कहा है “यह समझना जरूरी है कि मेलेनिन सूरज की नुकसानदायक किरणों के विरुद्ध कुछ प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन यह त्वचा को हानि से पूरी तरह से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है. यूवी विकिरण अभी भी त्वचा में प्रवेश कर सकता है, जिससे विभिन्न प्रतिकूल असर जैसे सनबर्न, समय से पहले बूढ़ा होना और त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. इसके अलावा, सभी भारतीय स्किन टोन मेलेनिन से समान रूप से सुसज्जित नहीं हैं. हल्के रंग की त्वचा वाले व्यक्तियों में मेलेनिन कम हो सकता है और इसलिए वे सूरज की क्षति के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. इसके अतिरिक्त, भौगोलिक स्थिति, ऊंचाई और बाहर बिताया गया समय जैसे कारक यूवी जोखिम की तीव्रता को प्रभावित करते हैं, जो सूर्य की सुरक्षा की जरूरत पर और अधिक बल देते हैं.

सनस्क्रीन के प्रयोग से त्वचा कैंसर का खतरा कम होता है

इसके अलावा, यह गलत धारणा कि सनस्क्रीन भारतीय त्वचा के लिए अनावश्यक है, धूप से सुरक्षा के प्रति ढिलाई और उपेक्षा का कारण बन सकती है. लंबे समय में इसके नुकसानदायक रिज़ल्ट हो सकते हैं, क्योंकि अधिक धूप में रहने से त्वचा कैंसर और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं का खतरा काफी बढ़ सकता है. विभिन्न त्वचा रोगों की रोकथाम में सनस्क्रीन एक जरूरी उपकरण के रूप में कार्य करता है. यह यूवी विकिरण के विरुद्ध एक सुरक्षात्मक बाधा बनाता है, जिससे सनबर्न, फोटोएजिंग और त्वचा कैंसर का खतरा कम हो जाता है. त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने और धूप से होने वाले हानि को रोकने के लिए धूप से बचाव के अन्य उपायों, जैसे सुरक्षात्मक कपड़े पहनना और तेज़ धूप के दौरान छाया की तलाश करना, के साथ-साथ सनस्क्रीन का नियमित इस्तेमाल जरूरी है.

एक्सपर्ट के मुताबिक, “ऐसा सनस्क्रीन चुनना महत्वपूर्ण है जो यूवीए और यूवीबी दोनों किरणों के विरुद्ध व्यापक स्पेक्ट्रम सुरक्षा प्रदान करता है और जिसमें कम से कम 30 का सन प्रोटेक्शन फैक्टर (एसपीएफ) हो. पसीना आने पर हर दो घंटे में या अधिक बार सनस्क्रीन लगाएं.”  भारतीय त्वचा के लिए सनस्क्रीन वास्तव में जरूरी है, चाहे मेलेनिन का स्तर या त्वचा का रंग कुछ भी हो. अपनी दैनिक त्वचा देखभाल दिनचर्या में सनस्क्रीन को शामिल करना आपकी त्वचा को यूवी विकिरण के नुकसानदायक प्रभावों से बचाने और आने वाले सालों के लिए श्रेष्ठ त्वचा स्वास्थ्य बनाए रखने का एक आसान लेकिन कारगर तरीका है.

सनस्क्रीन लगाना जरुरी है

भारतीय सनस्क्रीन ब्रांड जॉन ने भी बोला है ”किसी भी अन्य प्रकार की त्वचा की तरह ही सनस्क्रीन भारतीय त्वचा के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है.” यूवी विकिरण का अपनी प्राकृतिक सुंदरता को प्रचंड गर्मी और उमस से बचाना जरूरी है, जो आपकी त्वचा पर कहर बरपा सकती है, जिससे जलन और भयानक सनबर्न हो सकता है. चाहे मौसम कोई भी हो, आपकी त्वचा को पूरे साल लगातार देखभाल की जरूरत होती है. गर्मियों के दौरान, सनस्क्रीन आपकी त्वचा को नुकसानदायक UVA और UVB किरणों से बचाने, सनबर्न, काले धब्बे और रंजकता को रोकने में जरूरी किरदार निभाता है. इन चुनौतियों से निपटने और त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आपकी त्वचा की जरूरतों के अनुरूप एक सतत त्वचा देखभाल दिनचर्या जरूरी है.

क्यों भारतीय त्वचा सूर्य से यूवी विकिरण के प्रति अधिक संवेदनशील है

– भूमध्य रेखा के निकट होने के कारण हिंदुस्तान की जनसंख्या पूरे साल यूवी विकिरण के उच्च स्तर के संपर्क में रहती है. यूवी विकिरण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से त्वचा को नुकसान, शीघ्र बुढ़ापा और त्वचा कैंसर का अधिक खतरा हो सकता है. इन नुकसानदायक किरणों के विरुद्ध एक ढाल बनाकर, सनस्क्रीन सनबर्न और दीर्घकालिक क्षति से बचने में सहायता करता है.

– अत्यधिक मेलेनिन उत्पादन के कारण हाइपरपिग्मेंटेशन या विशेष त्वचा क्षेत्रों का काला पड़ना भारतीय त्वचा प्रकारों में बहुत आम है. मेलास्मा और असमान त्वचा टोन सूरज के संपर्क में आने के कारण होते हैं. यदि आप प्रत्येक दिन सनस्क्रीन लगाते हैं, तो इससे हाइपरपिग्मेंटेशन को गहरा होने से रोकने में सहायता मिलेगी और नयी पिग्मेंटेशन समस्याओं के विकसित होने की आसार कम हो जाएगी.

-सूरज के अत्यधिक संपर्क में आने से फोटोएजिंग तेज हो जाती है, जिससे महीन रेखाएं, झुर्रियां और ढीली त्वचा समय से पहले उभरने लगती है. त्वचा की कोमलता की रक्षा करके और झुर्रियों के उभरने में देरी करके, सनस्क्रीन का नियमित इस्तेमाल यूवी विकिरण के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सहायता करता है और अंततः अधिक युवा उपस्थिति को बढ़ावा देता है.

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