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इस दिन बन रहा है शुक्र प्रदोष व्रत का दुर्लभ संयोग, जानें पूजा मुहूर्त
शुक्र प्रदोष व्रत और महाशिवरात्रि दोनों ही ईश्वर शिव को समर्पित जरूरी त्योहार हैं। इस साल, 8 मार्च 2024 को एक ही दिन दोनों त्योहार मनाए जाएंगे, जो कि एक अत्यंत दुर्लभ संयोग है। शुक्र प्रदोष व्रत किसी भी महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जबकि महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल, त्रयोदशी तिथि और चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को ही पड़ रही हैं।
शुक्र प्रदोष व्रत और महाशिवरात्रि 2024 की तिथि और पूजा मुहूर्त:
- तिथि: 8 मार्च 2024, शुक्रवार
- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 01:19 AM
- त्रयोदशी तिथि समाप्त: 09:57 PM
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 09:57 PM
- शुक्र प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त: 06:25 पीएम – 08:52 PM
- महाशिवरात्रि निशिता पूजा मुहूर्त: 12:07 AM – 12:56 AM
शुक्र प्रदोष व्रत:
- तिथि: 8 मार्च 2024, शुक्रवार
- पूजा मुहूर्त: शाम 6:25 बजे से रात 8:52 बजे तक
- महत्व: शुक्र प्रदोष व्रत ईश्वर शिव को समर्पित एक जरूरी व्रत है। इस दिन व्रत रखने और ईश्वर शिव की पूजा करने से सुख, समृद्धि और कामयाबी प्राप्त होती है। यह संयोग अत्यंत शुभ माना जाता है और ईश्वर शिव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर प्रदान करता है। शुक्र प्रदोष व्रत ईश्वर शिव और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। महाशिवरात्रि ईश्वर शिव की सबसे जरूरी रात्रि है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से ईश्वर शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
महाशिवरात्रि:
- तिथि: 8 मार्च 2024, शुक्रवार
- निशिता पूजा मुहूर्त: 12:07 AM से 12:56 AM तक
- महत्व: महाशिवरात्रि ईश्वर शिव की सबसे जरूरी रात्रि है। इस दिन ईश्वर शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
दोनों व्रतों का एक साथ पड़ना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और ईश्वर शिव की पूजा करने से अनेक फायदा प्राप्त होते हैं।
शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि:
- सुबह शीघ्र उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर में ईश्वर शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
- दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से आरती करें।
- भगवान शिव को फल, फूल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- प्रदोष काल (शाम) में ईश्वर शिव की विशेष पूजा करें।
- रात्रि में ईश्वर शिव की आरती करें और कथा सुनें।
महाशिवरात्रि व्रत की पूजा विधि:
- सुबह शीघ्र उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर में ईश्वर शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
- दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से आरती करें।
- भगवान शिव को फल, फूल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- रात्रि में चार पहर की पूजा करें।
- निशिता काल में ईश्वर शिव की विशेष पूजा करें।
- सुबह में ईश्वर शिव की आरती करें और कथा सुनें।
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/954529084