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अगर खाली पड़ी जमीन पर करना चाहते हैं कमाई, तो लगायें ये पेड़

बिज़नस न्यूज़ डेस्क, अगर आप खेती के जरिए बंपर कमाई करना चाहते हैं तो पलाश के फूल की खेती कर सकते हैं. यह फूल आपको जीवनभर के लिए मालामाल बना देगा. इसमें इतने गुण हैं कि इसका वर्णन करने के लिए शब्द कम पड़ जायेंगे. यह फूल अपनी खूबसूरती के लिए पहचाना जाता है. पलाश के फूल को कई क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न नामों से पहचाना जाता है. इसे परसा, ढाक, टेसू, कृषक, सुपका, ब्रह्मवृक्ष और फ्लेम ऑफ फॉरेस्ट जैसे शब्दों से जाना जाता है. इसे यूपी का राज्य पुष्प भी घोषित किया गया है.इस फूल का इस्तेमाल मुख्य रूप से रंग बनाने के लिए किया जाता है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस फूल की खेती तेजी से कम हुई है वहीं इस खेती से किसानों को अच्छा फायदा हो रहा है यह फूल यूपी के चित्रकूट, मानिकपुर, बांदा, महोबा और मध्य प्रदेश से जुड़े बुन्देलखण्ड में पाया जाता है.

पलाश की खासियत

इसकी खेती झारखंड, दक्षिण भारत, पंजाब, हरियाणा, यूपी और मध्य प्रदेश में की जाती है. इस फूल में कोई सुगंध नहीं होती अपने जैविक रंगों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध इन फूलों की खेती झारखंड के अतिरिक्त दक्षिण हिंदुस्तान में भी की जा रही है आप चाहें तो प्रति एकड़ जमीन पर 50,000 रुपये की लागत से पलाश की बागवानी कर सकते हैं जिसके बाद अगले 30 वर्ष तक बंपर कमाई होगी. इसके बीज, फूल, पत्तियां, छाल, जड़ और लकड़ी के अतिरिक्त पलाश का आयुर्वेदिक पाउडर और ऑयल भी काफी अच्छे दामों पर बिकता है. रोपण के बाद 3-4 साल में फूल आने लगते हैं.

सरकार ने पलाश के फूलों को भी स्थान दी

टेसू के महत्व को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि 1981 में हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने 35 पैसे का डाक टिकट जारी किया था. यूपी गवर्नमेंट ने 8 दिसंबर 2010 को पलाश को राज्य पुष्प घोषित किया.

विदेशों में भी पलाश का सम्मान है

भारत के अतिरिक्त अन्य राष्ट्रों में भी पलाश का सम्मान किया जाता है. यह पेड़ कितना जरूरी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विदेशों में भी वहां की सरकारों ने पलाश पर डाक टिकट जारी किये. 25 अगस्त 2004 को बांग्लादेश और 1978 में थाईलैंड सहित कई राष्ट्रों ने पलाश के पेड़ के फूल को सम्मान दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार 24 अगस्त 2004 को बांग्लादेश और 1978 में थाईलैंड समेत कई राष्ट्रों ने पलाश के फूल को सम्मान के तौर पर स्वीकार किया है

पलाश के फूल के क्या लाभ हैं?

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नाक, कान, मल, मूत्र या किसी अन्य जगह से खून बह रहा हो तो 50 मिलीलीटर पलाश की छाल का काढ़ा बनाकर ठंडा करें और इसमें मिश्री मिलाकर पिएं, इससे बहुत लाभ होता है. पलाश के गोंद को 1 से 3 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर दूध या आंवले के रस के साथ लें. इससे हड्डियां मजबूत होंगी इसके साथ ही गोंद को गर्म पानी में मिलाकर पीने से दस्त का उपचार किया जा सकता है.

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