बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही अस्पतालों में त्वचा मरीजों की संख्या बढ़ी 20 फीसदी
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विशेषज्ञों का बोलना है कि इनमें से ज्यादातर मुद्दे गंदे पानी के संक्रमण, अधिक समय तक गीले कपड़े पहनने, साफ-सफाई न होने के कारण हो रहे हैंं। संक्रमित होने वालों में बुजुर्ग और स्त्रियों की संख्या अधिक है। वहीं, कई रोगी संक्रमण के बाद स्वयं ही बिना किसी चिकित्सक से राय के दवा का इस्तेमाल करने के बाद गंभीर होकर पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों का बोलना है कि थोड़ी सी सावधानी से ऐसे मामलों को रोका जा सकता है।
चेहरे पर भी दिख रहे लक्षण
हिंदूराव हॉस्पिटल में त्वचा बीमारी विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक ऐश्वर्य ने कहा कि इस बार ऐसे रोगी भी आ रहे हैं जिनके चेहरे पर फंगल इन्फेक्शन हैं। इन्हें टीनिया फेसी कहते हैं। इसमें चेहरे पर लाल दाने हो जाते हैं। साथ ही उक्त दाने पर सफेद पपड़ी बन जाती है। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में ऐसे रोगी भी हैं जिनके पैरों और जांघ में ऐसी समस्याएं देखने को मिल रही है। उन्होंने बोला कि विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 300 रोगी इलाज के लिए आते हैं। इनमें 20 से अधिक रोगी फंगल इन्फेक्शन हैं। बारिश और बाढ़ के कारण इस बार मुद्दे बढ़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त जग प्रवेश, गुरु तेग बहादुर, स्वामी श्रद्धानंद , लोक नायक सहित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के अस्पतालों में इन रोगियों की संख्या बढ़ गई है।
खुद न लें दवा
त्वचा बीमारी के जानकार डाक्टर मनीष जांगड़ा ने कहा कि संक्रमण होने पर स्वयं दवा न लें। कई बार स्टेरॉयड लेने से संक्रमित जगहों पर खुजली से राहत मिल जाती है, लेकिन संक्रमण बढ़ जाता है। उन्होंने बोला कि बाढ़ और बारिश के कारण इस बार टीनिया पेडिस, टीनिया कैपिटिस, टीनिया क्रूरिस, कैंडिडल इंटरट्रिगो, टीनिया फेसी सहित अन्य मुद्दे अधिक देखने को मिल रहे हैं।
फिर हो सकता है संक्रमण
फंगल इन्फेक्शन के मुद्दे दोबारा हो सकते हैं। डॉक्टरों का बोलना है कि हॉस्पिटल आने वाले कई रोगी ऐसे हैं जिन्हें पहले शरीर के एक हिस्से में संक्रमण हुआ और दूसरी बार आने पर दूसरी स्थान पर संक्रमण हुआ है। ऐसा पाया गया है कि कई रोगी बाढ़ के दौरान लंबे समय तक गंदे पानी में रहे हैं। उसके बाद पैरों की अंगुलियों में सफेद दाग सा बन गया जिससे परेशानी बढ़ी, वहीं बाद में जांघ पर संक्रमित होकर पहुंचे।