US India Trade Tariff: 50% टैरिफ की आंधी में भी भारत को मिली मजबूती, जानें ट्रंप के फैसले के बाद भारत ने कैसे पलटा पूरा गेम…
US India Trade Tariff: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ ने शुरुआत में भारतीय बाजारों और उद्योग जगत में चिंता की लहर दौड़ा दी थी। इस फैसले को वैश्विक व्यापार के लिए बड़ा झटका माना गया, क्योंकि इससे कई सेक्टर्स पर नकारात्मक असर की आशंका जताई जा रही थी। खासकर मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट से जुड़े उद्योग दबाव में दिखे, लेकिन समय के साथ यह साफ हो गया कि (US 50% Tariff On India) का असर उतना गहरा नहीं रहा, जितना शुरुआती अनुमान लगाए जा रहे थे।

दबाव में भी घटता व्यापार घाटा
टैरिफ के बोझ के बावजूद भारत के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई, जब नवंबर के आंकड़ों में व्यापार घाटे में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट इस बात का संकेत थी कि भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी दबावों को झेलने में सक्षम है। इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन ने (India Trade Deficit) को कम करने में अहम भूमिका निभाई और आर्थिक संतुलन को बेहतर बनाया।
अक्टूबर की गिरावट की नवंबर में भरपाई
सितंबर और अक्टूबर में निर्यात पर पड़े नकारात्मक असर ने सरकार और कारोबारियों दोनों को सतर्क कर दिया था। हालांकि नवंबर में तस्वीर पूरी तरह बदलती नजर आई। रणनीतिक नीतियों और वैश्विक मांग में सुधार का असर दिखा और भारतीय निर्यात ने जबरदस्त वापसी की। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार (Indian Exports Growth) ने न सिर्फ पिछले नुकसान की भरपाई की, बल्कि आगे के लिए भी सकारात्मक संकेत दिए।
ट्रंप टैरिफ की राजनीति और भारत की तैयारी
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल और हथियार खरीदने के मुद्दे पर भारत पर दबाव बनाते हुए टैरिफ को 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया था। इसे एक राजनीतिक कदम के तौर पर देखा गया, लेकिन भारत ने जवाब में संयम और रणनीति दोनों का सहारा लिया। दीर्घकालिक दृष्टिकोण और नीतिगत स्थिरता ने (Trump Tariff Impact) को सीमित कर दिया, जिससे अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका नहीं लगा।
सरकार की रणनीति ने बदली दिशा
केंद्र सरकार ने निर्यातकों को राहत देने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए कई अहम फैसले लिए। टैक्स में कटौती, निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं और श्रम सुधार जैसे कदमों ने उद्योगों का मनोबल बढ़ाया। इन नीतियों के चलते (Export Strategy India) ने वैश्विक बाजारों में भारत की स्थिति को मजबूत किया और टैरिफ के असर को काफी हद तक बेअसर कर दिया।
आयात में गिरावट से मिला संतुलन
नवंबर के महीने में जहां निर्यात में उछाल देखने को मिला, वहीं आयात में गिरावट दर्ज की गई। यह संतुलन व्यापार घाटे को कम करने में सहायक साबित हुआ। कच्चे माल और गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात में कमी से विदेशी मुद्रा पर दबाव घटा और (Import Decline India) ने आर्थिक स्थिरता को और मजबूती दी।
अमेरिका के साथ व्यापार में स्थिरता
50 फीसदी के हाई टैरिफ के बावजूद अमेरिका को भारत का निर्यात स्थिर बना रहा। सर्विस सेक्टर ने भी इस दौरान अच्छा प्रदर्शन किया और अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों में मजबूती दिखाई दी। आंकड़े बताते हैं कि (India US Trade) ने यह साबित कर दिया कि भरोसेमंद सप्लाई चेन और गुणवत्ता के दम पर भारत वैश्विक दबावों का सामना कर सकता है।
अन्य व्यापारिक साझेदारों से बढ़ता भरोसा
संयुक्त अरब अमीरात, चीन और रूस जैसे देशों के साथ भारत का व्यापार भी इस अवधि में चर्चा में रहा। कुछ देशों से आयात बढ़ा तो कुछ से घटा, लेकिन कुल मिलाकर विविध साझेदारों के साथ संतुलन बना रहा। यह विविधता (Global Trade Partners India) को बाहरी झटकों से सुरक्षित रखने में मददगार साबित हुई और भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत खिलाड़ी के रूप में पेश किया।



