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लखनऊ में बंगाल के इस मूर्तिकार की दुर्गा प्रतिमा का है भारी डिमांड

शारदीय नवरात्रि रविवार से प्रारम्भ हो गई और पंचमी (पांचवें दिन) पर पूजा पंडालों में दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी मूर्तियों की पूजा षष्ठी (छठे दिन) से प्रारम्भ होगी लखनऊ के तालकटोरा क्षेत्र में कोलकाता के फेमस मूर्तिकार निलॉय मित्रा अपने आठ श्रमिकों के साथ तेजी से मां दुर्गा के प्रतिमा को आखिरी रूप दे रहे हैं, उनको मूर्तियों के 60 से अधिक ऑर्डर मिला है निलॉय मित्रा के पिता ने दशकों पहले सिर्फ़ दो ऑर्डर के साथ मूर्ती बनाने का काम प्रारम्भ किया था

आज यह ऑर्डर की संख्या बढ़ गई है यह सब मां दुर्गा की कृपा है अब शहर में दुर्गा पूजा पहले की तुलना में बहुत बड़े पैमाने पर मनाई जा रही है निलॉय की तरह ही उनके 21 वर्षीय चचेरे भाई रॉबिन मित्रा को भी लगभग 50-60 ऑर्डर मिले हैं, जिनमें नादरगंज पूजा के लिए 11 फीट ऊंची और मॉडल हाउस दुर्गा पूजा के लिए 9 फीट ऊंची मूर्तियां भी शामिल हैं उन्होंने भी कोलकाता से 10 श्रमिकों को बुलाकर काम पर रखा है बता दें कि मित्रा बंधुओ के तहखानों में सैकड़ों से अधिक मूर्तियां हैं जो अपना आखिरी आकार ले रही हैं क्योंकि उन्हें अगले कुछ दिनों के भीतर शहर के दुर्गा पंडालों में स्थापित किया जाना है

दुर्गा पंडाल

मित्रा परिवार की तरह एक दूसरे फेमस मूर्तिकार सुजीत पाल हैं, जो हर वर्ष 25 से अधिक मूर्ति बनाने का ऑर्डर नहीं लेते हैं मूर्ति निर्माताओं की तीन पीढ़ियों द्वारा लखनऊ और उसके आसपास के क्षेत्र में पूजा समितियों से ऑर्डर लेने की एक समृद्ध परंपरा के बाद सुजीत पाल अपने तीन मूर्तिकारों की एक टीम के साथ कामकरते हैं जो बहराईच से आते हैं टीम में कुछ चित्रकार कोलकाता से आते हैं उन्होंने पिछले सालों की तरह इस साल भी रवीन्द्र पल्ली और बंधु महल के लिए मूर्तियाँ बनाई हैं यहां तक कि लखीमपुर खीरी और बाराबंकी में पूजा के लिए भी मूर्तियाँ बनाई हैमूर्तिकारों और पूजा समितियों का मानना ​​है कि शहर में दुर्गा पूजा उत्सव तेजी से बढ़ रहा है, खासकर महामारी के बाद और कई नए और पुराने पूजा पंडालों ने शहर में उत्सव को बहुत बढ़िया बना दिया है बंगाली समुदाय के बाहर के लोग भी उत्सव में उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं शहर में 1914 में सिर्फ़ एक पूजा की आरंभ बंगाली क्लब से हुई थी, आज यह संख्या 250 से अधिक दर्ज़ बड़े और छोटे पंडालों तक पहुंच गई है लखनऊ पुलिस के पास 2022 में दुर्गा पूजा के पंजीकरण के मुताबिक पूरे शहर में 121 पंडाल और 133 गैर-पंडाल स्थापित किए जाने थे कुल 54 रामलीलाएँ और 55 रावण दहन भी हुए थे

वहीं रवीन्द्र पल्ली दुर्गा पूजा समिति के सचिव डिंपल दत्ता ने कहा कि पहले, दुर्गा पूजा का मतलब शहर के सिर्फ़ कुछ पंडालों में जाना होता था अब पंडाल हर स्थान हैं अलीगंज में ट्रांस-गोमती दुर्गा पूजा समिति के प्रशासक तुहिन बंजर्जी ने बोला कि यह अब बढ़ गया है हालांकि हम अभी भी कोलकाता से पीछे हैं एक अन्य मूर्ति निर्माता और मूर्तिकार अभिजीत बिस्वास ने कहा कि हमें पहले के दिनों के उल्टा अपार्टमेंट में आयोजित होने वाली विभिन्न छोटी पूजाओं से भी मांग मिल रही है

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