लेटेस्ट न्यूज़

Nitish Kumar Hijab Controversy: क्या नीतीश कुमार के व्यवहार ने किया राजनीति को शर्मसार, उमर अब्दुल्ला का तीखा प्रहार…

Nitish Kumar Hijab Controversy: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक हालिया कृत्य पर अपनी गहरी नाराजगी और कड़ा विरोध दर्ज कराया है। एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार द्वारा एक मुस्लिम महिला के हिजाब को छूने की घटना ने राजनीतिक गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है। उमर अब्दुल्ला ने इसे न केवल (Unacceptable Behavior) करार दिया, बल्कि इसे महिलाओं की गरिमा और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर एक बड़े प्रहार के रूप में देखा है।

Nitish Kumar Hijab Controversy
Nitish Kumar Hijab Controversy
WhatsApp Group Join Now

हिजाब विवाद और ‘पिछड़ी सोच’ पर तीखा कटाक्ष

श्रीनगर में पत्रकारों से रूबरू होते हुए उमर अब्दुल्ला ने इस घटना (Nitish Kumar Hijab Controversy) को ‘पिछड़ी सोच का प्रतीक’ बताया। उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति से इस तरह के आचरण की अपेक्षा नहीं की जा सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि (Personal Space) और किसी की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करना सार्वजनिक जीवन की पहली शर्त होनी चाहिए। इस घटना ने देशभर में महिलाओं के सम्मान और उनके पहनावे की स्वतंत्रता पर एक नई बहस छेड़ दी है।

महबूबा मुफ्ती से जुड़ी पुरानी घटना का लिया हवाला

अपनी बात को पुख्ता करने के लिए उमर अब्दुल्ला ने अतीत के पन्नों को पलटते हुए पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती का भी जिक्र किया। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे चुनाव के दौरान महबूबा मुफ्ती ने एक पोलिंग स्टेशन के भीतर (Polling Station Discipline) के नाम पर एक वैध महिला मतदाता का बुर्का हटवाया था। उमर के अनुसार, नीतीश कुमार की यह हरकत उसी सोच का विस्तार है जो महिलाओं को सार्वजनिक रूप से असहज करने में विश्वास रखती है।

नीतीश कुमार की ‘धर्मनिरपेक्ष’ छवि पर लगा ग्रहण

एक समय था जब नीतीश कुमार को देश के सबसे समझदार और धर्मनिरपेक्ष नेताओं की फेहरिस्त में गिना जाता था, लेकिन उमर अब्दुल्ला का मानना है कि अब उनकी सच्चाई दुनिया के सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि किसी महिला को (Public Humiliation) का शिकार बनाना किसी भी सभ्य समाज और लोकतंत्र के लिए सही नहीं ठहराया जा सकता। नीतीश कुमार के इस व्यवहार ने उनके राजनीतिक करियर और छवि पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।

नियुक्ति पत्र और मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी

उमर अब्दुल्ला ने उस विशेष परिस्थिति पर भी टिप्पणी की जहाँ यह घटना घटी। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं उस महिला को नियुक्ति पत्र (Appointment Letter) देने के इच्छुक नहीं थे, तो वे पीछे हट सकते थे या किसी और को जिम्मेदारी दे सकते थे। लेकिन महिला के हिजाब को छूना और उसे अपमानित करना पूरी तरह से गलत था। यह दर्शाता है कि सत्ता के नशे में अक्सर मर्यादाओं का ख्याल नहीं रखा जाता।

जम्मू-कश्मीर की आर्थिक मजबूरियों पर छलका दर्द

राजनीतिक विवादों के बीच उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की वित्तीय स्थिति पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि (Financial Constraints) उनके प्रदेश की एक बड़ी कड़वी हकीकत है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले केंद्रीय करों के हिस्से में भारी कटौती हुई है, जिससे स्थानीय प्रशासन को राज्य चलाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

विरासत में मिला आर्थिक संकट और आत्मनिर्भरता की चुनौती

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार को आर्थिक संकट विरासत में मिला है और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर है। उन्होंने बताया कि (Fiscal Deficit) को संभालना अब उनके बजट के लिए एक भारी दबाव बन गया है। पहले एक पूर्ण राज्य के रूप में मिलने वाली वित्तीय सुविधाएं अब छीन ली गई हैं, जिससे विकास कार्यों की गति पर भी सीधा प्रभाव पड़ा है।

भ्रष्टाचार और वित्तीय पारदर्शिता पर दी चुनौती

विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, उमर अब्दुल्ला ने अपनी सरकार के पिछले कुछ महीनों के कामकाज पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने गर्व से कहा कि उनकी सरकार ने (Financial Accountability) को सर्वोपरि रखा है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से चुनौती देते हुए कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति पिछले 15-16 महीनों में सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का एक भी ठोस मामला सामने ला सकता है, तो वे स्वयं को जवाबदेह ठहराए जाने के लिए तैयार हैं।

केंद्र-राज्य संबंधों में बढ़ता तनाव और भविष्य की राह

उमर अब्दुल्ला के बयानों से साफ झलकता है कि वे न केवल सामाजिक मर्यादाओं को लेकर चिंतित हैं, बल्कि केंद्र के साथ अपने प्रदेश के संबंधों को लेकर भी मुखर हैं। उन्होंने कहा कि (State Autonomy) की कमी के कारण जम्मू-कश्मीर के लोग खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। आने वाले समय में उनकी सरकार का मुख्य लक्ष्य न केवल वित्तीय स्थिरता प्राप्त करना होगा, बल्कि जनता की गरिमा को भी सुरक्षित रखना होगा।

निष्कर्ष: राजनीति में शालीनता की आवश्यकता

अंततः, उमर अब्दुल्ला की यह प्रतिक्रिया भारतीय राजनीति में गिरते हुए स्तर और महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता की कमी को उजागर करती है। चाहे वह बिहार हो या जम्मू-कश्मीर, (Political Ethics) की रक्षा करना हर चुने हुए प्रतिनिधि का परम कर्तव्य है। नीतीश कुमार पर की गई यह टिप्पणी केवल एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि यह देश की आधी आबादी के सम्मान को सुरक्षित रखने की एक जोरदार अपील भी है।

Related Articles

Back to top button

Adblock Detected

Please disable your AdBlocker first, and then you can watch everything easily.