Election Integrity Debate: अमित शाह ने 102°C बुखार में भरी हुंकार! वोट चोरी का किया पर्दाफाश, सदन छोड़कर भागे राहुल गाँधी
Election Integrity Debate: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा लगाए गए “वोट चोरी” के आरोपों पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जोरदार जवाब दिया और पूरे विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया (debate)। सूत्रों के अनुसार, जब अमित शाह सदन में बोल रहे थे, तब भी वे तेज बुखार से पीड़ित थे। डॉक्टरों ने उनका तापमान 102 डिग्री मापा और कार्यवाही शुरू होने से ठीक पहले दवाएं दीं। इसके बावजूद शाह ने करीब डेढ़ घंटे तक सदन में बोलकर विपक्ष के हर आरोप—वोट चोरी, स्पेशल रिविजन इंस्पेक्शन (SIR) और चुनाव आयोग नियुक्तियों—पर विस्तृत प्रतिक्रिया दी।

प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ ने बढ़ाया असर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह के भाषण की खुलकर सराहना की और इसे “उत्कृष्ट, तथ्यपूर्ण और विपक्ष के झूठों को उजागर करने वाला” बताया (parliament)। उन्होंने कहा कि इतने गंभीर स्वास्थ्य के बीच भी शाह ने जिस दृढ़ता और तथ्यों के साथ अपना पक्ष रखा, वह प्रशंसनीय है। इससे सरकार का रुख एक बार फिर साफ हुआ कि विपक्ष के आरोप केवल भ्रम फैलाने के लिए हैं।
राहुल गांधी के “वोट चोरी” आरोपों की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ समय से राहुल गांधी लगातार “वोट चोरी” मुद्दा उठाते रहे हैं (allegation)। उन्होंने इसे “हाइड्रोजन बम” तक बताया और बिहार चुनाव से पहले कई रैलियों में इसी मुद्दे को केंद्र में रखा। सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र में भी उन्होंने यह आरोप दोहराया। इससे सदन में गरमागरमी बढ़ गई और सरकार से आधिकारिक स्पष्टीकरण की मांग होने लगी।
शाह बोले—मुझे कोई यह नहीं सिखा सकता कि क्या बोलना है
चर्चा के दौरान अमित शाह ने राहुल गांधी को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि कोई यह तय नहीं कर सकता कि उन्हें सदन में किस क्रम में या कैसे बोलना चाहिए (statement)। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री के नाते वे किसी भी मुद्दे पर स्पष्ट और तथ्याधारित जवाब देना अपना कर्तव्य मानते हैं। उनके इस बयान ने विपक्ष की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए।
विपक्ष पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप
अमित शाह ने विपक्ष को कठोर शब्दों में घेरा और कहा कि जब विपक्ष जीतता है, तब मतदाता सूची बिल्कुल सामान्य और स्वीकार्य लगती है (criticism)। लेकिन जब चुनाव परिणाम उनके खिलाफ जाते हैं, तब वही सूची अचानक “गड़बड़” और “अनियमित” घोषित कर दी जाती है। उन्होंने कहा कि “यह दोहरा चरित्र अब और नहीं चलेगा।”
राहुल गांधी सहित विपक्ष का सदन छोड़ना चर्चा का विषय बना
जैसे ही अमित शाह ने जवाब देना शुरू किया, कुछ ही देर में राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्षी सांसद सदन छोड़कर बाहर चले गए (walkout)। इस कदम को सत्ता पक्ष ने “बहस से भागना” बताया, जबकि विपक्ष ने इसे “सरकार की असंतोषजनक प्रतिक्रिया के खिलाफ विरोध” कहा। हालांकि इससे सदन में चल रही गंभीर चर्चा पर बड़ा असर पड़ा और राजनीतिक तापमान और बढ़ गया।
SIR को लेकर शाह ने दी विस्तृत व्याख्या
स्पेशल रिविजन इंस्पेक्शन (SIR) पर उठाए गए सवालों का विस्तार से उत्तर देते हुए शाह ने कहा कि SIR पर संसद में चर्चा होना आवश्यक नहीं था (process)। फिर भी सरकार ने विपक्ष की मांग का सम्मान करते हुए बहस में हिस्सा लिया, ताकि यह साबित हो सके कि सरकार किसी भी मुद्दे से भागती नहीं है।
चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों को बताया निराधार
अमित शाह ने दावा किया कि राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप चुनाव आयोग को आधिकारिक रूप से कभी सौंपे ही नहीं गए (election)। उन्होंने कहा कि बिना तथ्यों के इस तरह के गंभीर आरोप लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने का काम करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आयोग देश के संविधान और स्वतंत्र व्यवस्था के अनुसार पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया अपनाता है।
सरकार का रुख स्पष्ट—आरोप नहीं, सबूत चाहिए
गृह मंत्री ने साफ कहा कि केवल राजनीतिक भाषणों से किसी भी संस्था की छवि खराब करना ठीक नहीं है (transparency)। यदि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या वोट चोरी का सबूत है, तो विपक्ष को इसे संबंधित संस्थाओं के समक्ष पेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद तथ्यों के आधार पर ही निर्णय लेती है, न कि अफवाहों पर।
SIR और मतदाता सूची पर फैली गलतफहमी का जवाब
शाह ने कहा कि SIR का उपयोग केवल आवश्यक परिस्थितियों में किया जाता है (verification)। यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, जिसका मकसद मतदाता सूची को और अधिक सटीक और अद्यतन बनाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की विपक्ष की बातें पूरी तरह मनगढ़ंत हैं।
स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद शाह का लंबा भाषण बना चर्चा का केंद्र
102 डिग्री बुखार के बावजूद अमित शाह ने डेढ़ घंटे का भाषण देकर न केवल विपक्ष को जवाब दिया बल्कि सदन में अपनी उपस्थिति से यह संदेश भी दिया कि राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटेगी (leadership)। यह बात तमाम राजनीतिक विशेषज्ञों और सांसदों के बीच चर्चा का विषय बनी रही।
राजनीतिक माहौल में आई नई गर्मी
शीतकालीन सत्र में “वोट चोरी” विवाद और शाह की आक्रामक प्रतिक्रिया के बाद राजनीति में नई बहस शुरू हो गई है (politics)। विपक्ष इसे सरकार की विफलताओं पर पर्दा डालने का प्रयास बता रहा है, जबकि सत्ता पक्ष इसे “तथ्यों पर आधारित करारा जवाब” बता रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और बड़ा राजनीतिक विषय बन सकता है।



