BMC Election Alliance 2025: 20 साल बाद ठाकरे बंधु मिलकर बदल देंगे महाराष्ट्र की किस्मत
BMC Election Alliance 2025: महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक ऐसा अध्याय लिखा गया है जिसने दशकों पुरानी रंजिशों और दूरियों को इतिहास के पन्नों में समेट दिया है। 20 लंबे वर्षों के अंतराल के बाद उद्धव और राज ठाकरे ने एक साथ आने का फैसला कर न केवल अपने कार्यकर्ताओं को चौंका दिया है, बल्कि विरोधियों के खेमे में भी खलबली मचा दी है। यह केवल दो राजनीतिक दलों का मिलन नहीं है, बल्कि (Maharashtra Politics) के उस गौरव को पुनः स्थापित करने की कोशिश है जिसे बालासाहेब ठाकरे ने सींचा था। बुधवार को आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में दोनों भाइयों ने स्पष्ट कर दिया कि आगामी बीएमसी चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) एक ही झंडे के नीचे शक्ति प्रदर्शन करेंगे।
शिवाजी पार्क में बालासाहेब को नमन और एकजुटता का संकल्प
गठबंधन की औपचारिक घोषणा से पहले माहौल पूरी तरह भावनात्मक और गरिमापूर्ण नजर आया। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने अपने-अपने परिवारों के साथ शिवाजी पार्क स्थित स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे के स्मारक पर मत्था टेका और पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान (Political Unity) का जो दृश्य सामने आया, उसने शिवसैनिकों और मनसे समर्थकों की आंखों में चमक ला दी। स्मृति स्थल पर प्रार्थना करने के बाद दोनों भाइयों ने जिस तरह एक-दूसरे का साथ देने का संकल्प लिया, उससे यह साफ हो गया कि अब मुंबई की नगर पालिकाओं पर अधिकार की जंग में ठाकरे परिवार पूरी ताकत झोंकने को तैयार है।
उद्धव की चेतावनी: मुंबई की अस्मिता पर नजर डाली तो सियासत खत्म कर देंगे
प्रेस वार्ता के दौरान उद्धव ठाकरे का अंदाज बेहद आक्रामक और भावनात्मक नजर आया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ वाले नारे पर कड़ा प्रहार करते हुए मराठी मानुष को चेताया। उद्धव ने कहा कि हम साथ रहने के लिए ही एकजुट हुए हैं और यदि किसी ने भी (Marathi Identity) या मुंबई पर टेढ़ी नजर डाली, तो उसे राजनीतिक रूप से खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि अब मराठी लोग आपस में बंटे, तो उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। यह गठबंधन किसी स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि महाराष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा के लिए हुआ है।
राज ठाकरे का विश्वास: महाराष्ट्र को इसी गठबंधन का था बेसब्री से इंतजार
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने गठबंधन को समय की मांग बताया और कहा कि किसी भी राजनीतिक दल या व्यक्ति से बड़ा महाराष्ट्र का हित है। उन्होंने आंकड़ों पर बात न करते हुए संकेत दिया कि रणनीतियों का खुलासा उचित समय पर किया जाएगा। राज ने कहा कि पिछले कई सालों से (Strategic Alliance) के बारे में चर्चाएं हो रही थीं और आज आखिरकार वह पल आ गया है जिसका पूरा प्रदेश इंतजार कर रहा था। उनका मानना है कि यह गठबंधन न केवल चुनावी गणित को बदलेगा, बल्कि राज्य की दिशा को भी एक नया मोड़ देगा।
महाविकास अघाड़ी के अंत पर उद्धव का करारा तंज
जब पत्रकारों ने उद्धव ठाकरे से महाविकास अघाड़ी के भविष्य और कांग्रेस के साथ संबंधों पर सवाल पूछा, तो उन्होंने चुटकी लेने में देर नहीं की। कांग्रेस द्वारा गठबंधन को लेकर किए गए बयानों पर तंज कसते हुए उद्धव ने कहा कि (Political Reality) अब सबके सामने है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि जब सारे दल बाहर हो रहे हैं, तब भी अगर लोग इसे अटूट कहना चाहते हैं तो कहते रहें। उनके इस बयान से स्पष्ट हो गया है कि अब ठाकरे बंधुओं की प्राथमिकता अपनी जड़ों को मजबूत करना है और वे पुराने गठबंधनों के बोझ से मुक्त होकर नई राह पर निकल पड़े हैं।
कार्यकर्ताओं का जोश और भाईचारे की नई मिसाल
मनसे और शिवसेना (यूबीटी) के जमीनी कार्यकर्ताओं के लिए यह दिन किसी उत्सव से कम नहीं है। मनसे नेता यशवंत किल्लेदार ने इसे एक भावुक क्षण करार देते हुए कहा कि हम सालों से दो भाइयों को एक ही मंच पर देखने की प्रतीक्षा कर रहे थे। इस (Common Ideology) ने कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक दी है। आज पूरे मुंबई में दोनों पार्टियों के झंडे एक साथ लहरा रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि ठाकरे परिवार का एक होना केवल सत्ता की राजनीति नहीं, बल्कि मराठा भावनाओं का ज्वार है।
भाजपा की लूट रोकने के लिए संजय राउत का बिगुल
शिवसेना (यूबीटी) के कद्दावर नेता संजय राउत ने इस गठबंधन को महाराष्ट्र के लिए ‘संजीवनी’ बताया है। उन्होंने सीधा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा को सबक सिखाने और मुंबई में चल रही आर्थिक लूट को रोकने के लिए ठाकरे बंधुओं का मिलना अनिवार्य था। राउत ने घोषणा की कि वे केवल मुंबई ही नहीं, बल्कि राज्य की सभी 10 नगर निगमों में (Civic Elections) मिलकर लड़ेंगे। उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की विरासत का हवाला देते हुए कहा कि यह मिलन राज्य के मूल निवासियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
विपक्षी दलों में सुगबुगाहट और संदेह का माहौल
जहाँ एक तरफ ठाकरे समर्थकों में जश्न है, वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस गठबंधन पर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस नेता अतुल लोंढे ने अन्य राजनीतिक चर्चाओं का हवाला देते हुए पूछा कि क्या इसका मतलब महायुति या अघाड़ी में फूट है? (Political Reaction) के इस दौर में यह स्पष्ट है कि ठाकरे बंधुओं के एक साथ आने से महाराष्ट्र के सत्ता समीकरण पूरी तरह अस्थिर हो गए हैं। विरोधी दल अब अपनी रणनीति फिर से बनाने पर मजबूर हैं क्योंकि ‘ठाकरे ब्रांड’ का एकजुट होना किसी भी चुनौती से बड़ा माना जा रहा है।
महाराष्ट्र की राजनीति में आशा की एक नई किरण
शिवसेना विधायक सचिन अहीर ने इस दिन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि ठाकरे परिवार का पुनर्मिलन महाराष्ट्र की राजनीति की सबसे बड़ी जरूरत थी। यह गठबंधन उन लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है जो मराठा वोटों को बांटने की फिराक में थे। (Future Of Maharashtra) अब एक नई दिशा की ओर अग्रसर है। भाजपा के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए इसे एक निर्णायक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाले समय में विधानसभा की राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।