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रूस और यूक्रेन के बीच जंग में भारतीयों की मौत के बाद भारत ने दिखाया सख्त रुख

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. इस बीच जंग में भारतीय नागरिक मारे गए हैं. जंग में हिंदुस्तानियों की मृत्यु के बाद हिंदुस्तान ने कठोर रुख दिखाया है. हिंदुस्तान की तरफ से बोला गृया गया है कि वह रूसी सेना में कार्यरत अपने नागरिकों की सुरक्षा और स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए रूस पर दबाव डाल रहा है. विदेश सचिव विनय क्वात्रा की यह टिप्पणी विदेश मंत्रालय के यह कहने के एक दिन बाद आई कि रूसी सेना में कार्यरत दो और भारतीय रूस-यूक्रेन जंग में मारे गए हैं. दो हिंदुस्तानियों के मारे जाने से ऐसी मौतों की संख्या चार हो गई है.

‘भारतीयों को सुरक्षित रखना है मकसद’ 

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा, “पहले दिन से ही हम लगातार रूसी ऑफिसरों और नेतृत्व के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं.” उन्होंने इस मामले पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, “हमारे सभी प्रयासों का उद्देश्य हिंदुस्तानियों को सुरक्षित रखना है.” उन्होंने कहा, “हमने रूसी ऑफिसरों से साफ रूप से बोला है कि युद्ध क्षेत्र में सभी हिंदुस्तानियों को, चाहे वो किसी भी तरह से वहां पहुंचे हों, उन्हें (भारत वापस) लौटाया जाना चाहिए.

मामले को गंभीरत से लिया 

विदेश मंत्रालय ने दो हिंदुस्तानियों की मृत्यु की पुष्टि करते हुए मंगलवार को बोला था कि हिंदुस्तान ने रूस के साथ इस मुद्दे को दृढ़ता से उठाया है और रूसी सेना में कार्यरत सभी भारतीय नागरिकों की शीघ्र वापसी की मांग की है. विदेश सचिव ने बोला कि हिंदुस्तान ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है. उन्होंने कहा, “हमने उनके परिवारों से संपर्क किया है, जांच की है कि वो आदमी (रूस) कैसे पहुंचे, और रूसी ऑफिसरों से उत्तर देने को बोला है.

जानें महत्वपूर्ण बात 

बता दें कि, मार्च में, 30 वर्षीय हैदराबाद निवासी मोहम्मद असफान की यूक्रेन से लगती सीमा पर रूसी सैनिकों के लिए काम करते समय घायल होने के कारण मौत हो गई थी. फरवरी में, गुजरात के सूरत निवासी 23 वर्षीय हेमल अश्विनभाई मंगुआ की डोनेट्स्क क्षेत्र में “सुरक्षा सहायक” के रूप में काम करते समय यूक्रेन के हवाई हमले में मौत हो गई थी. ऑफिसरों के अनुसार, रूसी सेना के साथ सहायक के रूप में काम करने वाले कुल 10 हिंदुस्तानियों को मुक्त कर दिया गया है और हिंदुस्तान वापस भेज दिया गया है. खबरों के मुताबिक, करीब 200 भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में सुरक्षा सहायक के तौर पर भर्ती किया गया था.

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