योगी सरकार ने शुरू की बाल श्रमिक विद्या योजना
लखनऊ: योगी गवर्नमेंट ऐसे बच्चों को विद्यालय वापस लाने का कोशिश कर रही है जो आर्थिक तंगी या अन्य दूसरी वजहों से बाल मजदूर बन गए हैं। ऐसे बच्चों के लिए गवर्नमेंट ने बाल मजदूर विद्या योजना की आरंभ की है। इस योजना के भीतर गवर्नमेंट प्रदेश के 20 जिलों के 2000 बच्चों को फायदा दे रही है। योजना के अनुसार बालकों को 1000 रुपए प्रतिमाह, जबकि बालिकाओं को 1200 रुपए प्रतिमाह दिए जा रहे हैं। अब गवर्नमेंट सभी 75 जिलों के 5000 बच्चों को योजना से जोड़ने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
कामकाजी बच्चों की आय की क्षतिपूर्ति करना है उद्देश्य
बाल मजदूर विद्या योजना का उद्देश्य ऐसे कामकाजी बच्चों की आय की क्षतिपूर्ति करना है, जो कि योजना में निर्धारित अर्हता के भीतर आते हों। जिससे उनका विद्यालय में प्रवेश और निरंतरता सुनिश्चित किया जा सके। योजना के भीतर वो कामकाजी बच्चे पात्र हैं, जो 8-18 उम्र वर्ग के हैं। संगठित या असंगठित क्षेत्र में कार्य कर अपने परिवार की आय की वृद्धि में योगदान कर रहे हैं। इसमें कृषि, गैर कृषि, स्वरोजगार, गृह आधारित प्रतिष्ठान, घरेलू कार्य और अन्य श्रम सम्मिलित हैं।
5000 बच्चों को योजना से जोड़ने का लक्ष्य
अपर मुख्य सचिव अनिल कुमार ने कहा कि योजना की आरंभ साल 2020 में कोविड-19 काल के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने की थी। तब गवर्नमेंट ने श्रम विभाग को 2000 बच्चों को योजना से जोड़ने का लक्ष्य दिया था। जिसे पूरा कर लिया गया है। योजना की कामयाबी को देखते हुए अब विभिन्न संगठनों वी संस्थानों की ओर से इसके विस्तार का सुझाव मिल रहा है। इस पर प्रस्ताव मुख्यमंत्री के विचाराधीन है। मुख्यमंत्री की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद इस पर क्रियान्वयन किया जाएगा। अभी विभिन्न मंडलों के 20 जिलों के बाल मजदूर इस योजना का फायदा उठा रहे हैं। जो प्रस्ताव है, उसके मुताबिक सभी 75 जिलों में 5000 बच्चों को योजना से जोड़ा जाएगा।