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भारत और श्रीलंका के बीच सुलझाया गया मुद्दा कच्चाथीवू 50 साल बाद फिर से हुआ जीवंत

लोकसभा चुनावों के बीच रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच स्थित डेढ़ किलोमीटर लंबे और 30 मीटर चौड़े कच्चाथीवू द्वीप को 50 वर्ष पहले श्रीलंका को सौंपे जाने पर केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी और डीएमके को उत्तरदायी ठहराया है और दोनों पार्टियों पर दोहरा रवैया अपनाने का इल्जाम लगाया है. तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने बुधवार को पीएम नरेन्द्र मोदी पर सूचना के अधिकार अधिनियम का इस्तेमाल करके ‘‘अफवाहें’’ फैलाने का इल्जाम लगाया है. उन्होंने आरटीआई को लोगों को भ्रमित करने में बीजेपी का नया ‘सहयोगी’ करार दिया.

इस तरह हिंदुस्तान और श्रीलंका के बीच सुलझाया गया मामला कच्चाथीवू 50 वर्ष बाद फिर से जीवंत हो गया है. हिंदुस्तान में इस राजनीतिक मामले पर हो रही बहस के बीच पड़ोसी राष्ट्र श्रीलंका में भी अब खुसुर-फुसुर प्रारम्भ हो गई है. कई दिनों की खामोशी के बाद, श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने बुधवार को बोला कि यह मामला 50 वर्ष पहले सुलझा लिया गया था और इस पर दोबारा विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है.

साबरी ने श्रीलंका में एक इफ्तार पार्टी में भाग लेने के दौरान कहा, “कच्चाथीवू द्वीप पर कोई टकराव नहीं है. वे (भारत के लोग) इस बारे में आंतरिक सियासी बहस कर रहे हैं कि द्वीप को श्रीलंका को सौंपने के लिए कौन उत्तरदायी है. इसके अलावा, कोई भी भारतीय राजनेता कच्चाथीवू पर दावा करने के बारे में बात नहीं कर रहा है.

श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा, “इस मामले पर 50 वर्ष पहले चर्चा हो चुकी है और निर्णय हो चुका है और अब उसे फिर से खोलने की कोई आवश्यकता नहीं है.” श्रीलंकाई गवर्नमेंट के प्रवक्ता के मुताबिक, हालांकि, श्रीलंका गवर्नमेंट और कैबिनेट ने अभी तक इस मामले पर कोई चर्चा नहीं की है. लेकिन श्रीलंकाई मीडिया और सोशल मीडिया पर कच्चाथीवू टकराव पर प्रतिक्रियाओं की भरमार है. विदेश मंत्री साबरी का बयान श्रीलंका गवर्नमेंट की आधिकारिक प्रतिक्रिया है, जो पहली बार सामने आया है.

उधर, श्रीलंकाई मीडिया ने इस मामले पर आलोचनात्मक रुख अपनाया है. ‘द डेली फाइनेंशियल टाइम्स’ के संपादकीय में दावा किया गया है कि कच्चाथीवू द्वीप हिंदुस्तान का था ही नहीं कि उसे छोड़ दिया जाता. संपादकीय में दावा किया गया है कि ये हिंदुस्तान में चुनावों के बीच ये टिप्पणियां दक्षिण हिंदुस्तान में राष्ट्रवाद को भड़काने के लिए की गई हैं. अखबार ने संपादकीय में लिखा है, “एक मित्र पड़ोसी राष्ट्र के घातक और अनावश्यक उकसावे के गंभीर रिज़ल्ट हो सकते हैं.

कोलंबो स्थित अखबार ‘डेली मिरर’ ने भी इस विषय पर एक संपादकीय लिखा है. अखबार ने संपादकीय में हिंदुस्तान के विदेश मंत्री एस जयशंकर पर निशाना साधते हुए लिखा है, “अफसोस की बात है कि अडिग दिखने वाले भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने भी राजनयिक धर्म दिखाना छोड़ दिया है और तमिलनाडु में चुनावी फायदा हासिल करने और राष्ट्रवाद की भावनाएं भड़काने के लिए अपने प्रधान मंत्री के सुर में सुर मिला रहे हैं.” बता दें कि बीजेपी ने नेहरू और बाद में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी सरकारों पर श्रीलंका के दबाव में आकर कच्चाथीवू द्वीप छोड़ने का इल्जाम लगाया है.

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