बांधों का पानी छोड़ने के 12 घंटे पहले देनी होगी जानकारी: बड़े जलाशयों के लिए कंट्रोल रूम होंगे तैयार
छत्तीसगढ़ में मानसून के पूरी तरह से एक्टिव होने से पहले आज उच्च स्तरीय बाढ़ नियंत्रण समिति की बैठक रखी गई. इस बैठक में आने वाले दिनों में अधिक बारिश होने की वजह से बाढ़ जैसे हालातों से निपटने और तैयारियों को लेकर चर्चा की गई है.
बारिश, बाढ़ की नज़र और नियंत्रण के लिए प्रदेश स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष भी तैयार किया गया है.
बांधों का पानी छोड़ने के 12 घंटे पहले देनी होगी जानकारी
आज की बैठक में तय किया है गया है कि बारिश में बांधों का जल स्तर बढ़ने पर बांधों को खोलने से 12 घंटे पहले निचले जिलों और सीमावर्ती राज्यों इसकी सुचना देनी होगी. प्रदेश में कमजोर हो चुके पुल-पुलियों और ईमारतों की पहचान कर मरम्मत कर ली जाए. साथ ही बाढ़ के समय हादसा वाले क्षेत्र में सूचना फलक और बेरियर आदि की प्रबंध करने के निर्देश दिए गए थे.
जिले से लेकर प्रदेश स्तरीय कंट्रोल रूम होंगे तैयार
आज की बैठक में निर्देश दिया गया है कि ऐसे जिले जहां बड़ी नदियां बहती है वहां पर जल स्तर पर बराबर नजर रखी जाए. जल स्तर के खतरे के निशान पर पहुंचने की आसार होने पर इसकी सूचना पहले ही राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष और निचले जिलों को लगातार देने की प्रबंध की जाए. इसी तरह से बड़े जलाशयों पर कंट्रोल रूम बनाकर कर जल स्तर की जानकारी समय-समय पर शासन को मौजूद करवानी होगी.
प्रदेश स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष भी तैयार
राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना भी की गई है.यहां 0771-2223471 पर बात की जा सकेगी. इसके अतिरिक्त बाढ़ नियंत्रण कक्ष से 0771-2221242 इस नंबर पर भी सम्पर्क किया जा सकता है. जिला स्तर पर भी बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना की गई है.
इन तैयारियों को पहले ही करने के निर्देश
बाढ़ की स्थिति को देखते हुए अंदरूनी क्षेत्रों में खाद्य सामग्री, नमक, केरोसिन, जीवन रक्षक दवाईयां, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा दलों का गठन सहित अन्य महत्वपूर्ण सामग्री इकठ्ठा करने के निर्देश संबंधित विभाग के ऑफिसरों को दे दिए गए है.
पुरानी-जर्जर भवनों होगी निगरानी
अपर मुख्य सचिव शर्मा ने बोला है कि नगरीय क्षेत्रों में जर्जर भवनों की नज़र लगातार की जाए. इन भवनों में रहने लोगों को किसी अन्य सुरक्षित स्थानों पर अस्थायी रूप से बसाए जाने की भी प्रबंध की जाए. अधिक से अधिक ऐसे पुराने और जर्जर भवनों की नज़र की जाए.
हर वर्ष बाढ़ग्रसित क्षेत्र होंगे चिन्हित
ऐसे क्षेत्र जहां हर वर्ष बाढ़ आती है, उन्हें पहले से ही चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं. इन क्षेत्रों में लगातार नज़र रखने और आवश्यकता पड़ने पर वहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और उनके ठहरने के लिए राहत शिविर बनाने के निर्देश दिए गए है.
बाढ़ से बचाव के काम में आने वाले उपकरणों की मरम्मत करने और जिन जिलों में मोटरबोट मौजूद है, उनकी जानकारी शीघ्र ही राहत आपदा नियंत्रण कार्यालय को दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं.