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पीएम मोदी ने कहा कि स्‍थानीय भाषाओं में पढ़ाई में मदद करेगी नई शिक्षा नीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बोला कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के लागू होने से भारतीय विद्यार्थी अपनी क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई कर सकेंगे, जिससे उन्हें सर्वांगीण विकास में लाभ होगा.

प्रधानमंत्री प्रगति मैदान में दो दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे.

इस सम्मेलन को अखिल भारतीय शिक्षा समागम के नाम से भी जाना जाता है. सम्मेलन शिक्षाविदों, क्षेत्र के जानकारों और उच्च शिक्षा तथा कौशल संस्थानों को एनईपी 2020 को लागू करने में अपनी अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा.

पीएम मोदी ने बोला कि सभी विकसित राष्ट्र अपनी क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं लेकिन हिंदुस्तान में कोई कितना भी इनोवेटिव माइंड क्यों न हो, यदि वह अंग्रेजी नहीं बोल सकता था तो उसकी प्रतिभा को शीघ्र स्वीकार नहीं किया जाता था.

“दुनिया के ज़्यादातर विकसित राष्ट्रों ने अपनी भाषा की बदौलत बढ़त हासिल की है. हमने अपनी भाषाओं को पिछड़ेपन के तौर पर पेश किया. आज आजादी के अमृतकाल में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए राष्ट्र ने इस हीनभावना को भी पीछे छोड़ने की आरंभ की है.

उन्होंने बोला कि एनईपी समानता का समर्थन करता है और उन्होंने संयुक्त देश में क्षेत्रीय भाषा में भी बात की.

पीएम ने बोला कि इससे ”भाषा की राजनीति करके अपनी नफरत की दुकान चलाने वालों का भी शटर डाउन हो जाएगा.

पीएम ने विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए बोला कि शिक्षा ही राष्ट्र का भविष्य बदल सकती है.

उन्होंने बोला कि शिक्षा नीति हमारे राष्ट्र के लक्ष्यों को प्राप्त करने में जरूरी किरदार निभा रही है.

पीएम ने बोला कि ज्ञान के लिए परामर्श महत्वपूर्ण है और शिक्षा के लिए चर्चा महत्वपूर्ण है.

उन्होंने बोला कि उन्हें खुशी है कि परामर्श और चर्चा के साथ वे भविष्य में छलांग लगा रहे हैं.

मोदी ने कहा, ”इसके पहले, ऐसा आयोजन काशी के नवनिर्मित रुद्राक्ष बैठक भवन में हुआ था. इस बार यह समागम दिल्ली के इस नवनिर्मित हिंदुस्तान मंडपम में हो रहा है. खुशी की बात है कि वकायदा रूप से हिंदुस्तान मंडपम के लोकार्पण के बाद यह यहां पहला कार्यक्रम है, और यह शिक्षा से जुड़ा कार्यक्रम है.

उन्‍होंने कहा, ”काशी के रुद्राक्ष से लेकर इस आधुनिक हिंदुस्तान मंडपम तक, अखिल भारतीय शिक्षा समागम की इस यात्रा में एक संदेश भी छिपा है. यह संदेश है-प्राचीनता और आधुनिकता के संगम का!”

उन्‍होंने बोला कि एक ओर हमारी शिक्षा प्रबंध हिंदुस्तान की प्राचीन परम्पराओं को सहेज रही है, तो दूसरी तरफ आधुनिक साइन्स और हाइटेक टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में भी हम उतनी ही तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.

पीएम ने बोला कि आज के कार्यक्रम के साथ एनईपी के तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं.

उन्‍होंने कहा, “देश भर के बुद्धिजीवियों ने, शिक्षाविदों ने और शिक्षकों ने इसे एक मिशन के रूप में लिया, और आगे बढ़ाया है. अभी मैं यहां आने के पहले पास के पैवेलियन में लगी प्रदर्शनी देख रहा था. इस प्रदर्शनी में हमारे कौशल और शिक्षा क्षेत्र की ताकत को, उसकी उपलब्धियों को दिखाया गया है. मुझे वहाँ बाल-वाटिका में बच्चों से मिलने का, और उनके साथ बात करने का भी मौका मिला. बच्चे खेल-खेल में कैसे कितना कुछ सीख रहे हैं, कैसे शिक्षा और स्कूलिंग के अर्थ बदल रहे हैं, यह देखना मेरे लिए वाकई उत्साहजनक था.

उन्होंने बोला कि तीन वर्ष पहले जब एनईपी पेश की गई थी, उस समय इसे हासिल करने का एक लक्ष्य था.

प्राथमिक शिक्षा के बारे में बोलते हुए, पीएम ने बोला कि एक नया पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने और क्षेत्रीय भाषा में किताबें लाने और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए, शिक्षाविदों ने जरूरी किरदार निभाई.

प्रधानमंत्री ने बोला कि 10+2 एजुकेशन सिस्टम की स्थान अब ‘5+3+3+4’ प्रणाली पर अमल हो रहा है. पढ़ाई की आरंभ भी अब तीन वर्ष की उम्र से होगी. इससे पूरे राष्ट्र में एकरूपता आएगी. हाल ही में संसद में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल पेश करने के लिए कैबिनेट ने अपनी स्वीकृति दे दी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क भी जल्द ही लागू हो रहा है. मुझे कहा गया है कि फाउंडेशन स्टेज यानी तीन से आठ वर्ष के बच्चों के लिए फ्रेमवर्क तैयार भी हो गया है. बाकी के लिए करिकुलम बहुत जल्द तैयार हो जाएगा.

पीएम ने बोला कि अब पूरे राष्ट्र में सीबीएसई विद्यालयों में एक तरह का पाठ्यक्रम होगा. इसके लिए एनसीईआरटी नयी पाठ्यपुस्तकें तैयार कर रहा है. तीसरी से 12वीं कक्षाओं तक लगभग 130 विषयों की नयी किताबें आ रही हैं. अब शिक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में भी दी जानी है, इसलिए ये पुस्तकें 22 भारतीय भाषाओं में होंगी.

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