जैन समाज ने धार की भोजशाला पर किया दावा
हिंदू-मुस्लिम पक्ष के बाद अब जैन समाज ने भी धार की भोजशाला पर दावा किया है। समाज ने इंदौर उच्च न्यायालय में इसकी याचिका लगाई है। इस मुद्दे की सुनवाई अब 4 जुलाई को होगी। दरअसल, दावा किया जा रहा है कि भोजशाला में एएसआई सर्वे में जैन गुरुकुल का प्रमाण मिला है। इस मुद्दे में विश्व जैन संगठन ने भोजशाला में निकले अवशेषों को अपना कहा है। याचिका में मांग की गई है कि एएसआई के सर्वे में जैन समाज के भी दो प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। यहां मिलीं देवी-देवताओं की मूर्तियों को जैन समाज को सौंपा जाए। एएसआई को भी अपने सर्वे की रिपोर्ट 2 जुलाई को उच्च न्यायालय में पेश करनी है।
बताया जा रहा है कि विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सलेक चंद जैन ने ये याचिका उच्च न्यायालय में लगाई है। उन्होंने एडवोकेट पीके शुक्ला और आशुतोष शुक्ला के माध्यम से ये याचिका लगाई है। इनका बोलना है कि एएसआई के सर्वे में अंबिका देवी की मू्र्ति मिली। इस देवी का संबंद जैन धर्म से है। भोजशाला में जैन गुरुकुल के भी प्रमाण मिले। साथ ही एक विशेष शिलालेख भी मिला है। इस शिलालेख से पता चलता है कि पुराने समय में यहां जैन गुरुकुल ही था। समाज के लोगों का बोलना है कि जैन धर्म की मूर्तियों का कई लेखकों ने उल्लेख किया है। इन लेखकों में देशी ही नहीं, विदेशी भी शामिल हैं।
अब तक क्या-क्या मिल चुका
बता दें, इस भोजशाला से अभी तक 1600 से अधिक अवशेष मिल चुके हैं। इनमें ईश्वर श्री कृष्ण-श्री विष्णु की परिवार सहित मूर्तियां, उर्दू-फारसी लिखे शिलालेख, गौशाला के नीचे से दीवारें, भाले, दीवार पर बाहर की तरफ बना गौमुख, शिखर का आधार, शंख चक्र, कमलपुष्प, स्तंभ, स्तंभों के अवशेष, स्तंभ के आधार, मां वाग्देवी की प्रतिमा, महिषासुरमर्दिनी प्रतिमा के अवशेष, तीर के छोटे-छोटे टुकड़े, धातु के सिक्के, गणेश प्रतिमा, भैरव नाथ, नीलम का पत्थर, ईश्वर बुद्ध की प्रतिमाओं के अवशेष, कई तरह के पत्थर शामिल हैं।