Jharkhand Elephant Attack News: हाथियों के झुंड ने छीन ली 21 साल के युवक की जिंदगी, गांव में पसरा कोहराम
Jharkhand Elephant Attack News: झारखंड से सामने आई यह घटना न सिर्फ एक परिवार, बल्कि पूरे इलाके को झकझोर देने वाली है। लातेहार जिले के एक छोटे से गांव में रविवार देर रात जो हुआ, उसने इंसान और जंगल के टकराव की भयावह सच्चाई उजागर कर दी। 21 वर्षीय आर्यन लोहड़ा रोज़ की तरह घर से बाहर निकला था, लेकिन उसे क्या पता था कि अंधेरे में उसका सामना एक ऐसे खतरे से होगा, जिससे बचने का कोई रास्ता नहीं होगा। अचानक हुए (elephant attack) ने पल भर में उसकी जिंदगी छीन ली और गांव को शोक में डुबो दिया।

भैसाडोन गांव बना दर्दनाक हादसे का गवाह
यह दिल दहला देने वाला हादसा बलूमाथ थाना क्षेत्र के भैसाडोन गांव में हुआ, जहां रविवार की रात सामान्य लग रही थी। ग्रामीणों के अनुसार, आर्यन शौच के लिए घर से बाहर निकला था और गांव के बाहरी हिस्से की ओर बढ़ा। इसी दौरान 10 से 12 जंगली हाथियों का झुंड इलाके से गुजर रहा था। अंधेरा इतना घना था कि युवक को खतरे का अंदाजा ही नहीं हुआ। (Latehar district) के इस क्षेत्र में पहले भी हाथियों की आवाजाही की खबरें मिलती रही हैं, लेकिन इस बार परिणाम जानलेवा साबित हुआ।
अंधेरे और लापरवाही ने बढ़ाया खतरा
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाथियों का झुंड अपने प्राकृतिक मार्ग से गुजर रहा था। बलूमाथ रेंज के वन क्षेत्राधिकारी ने बताया कि अंधेरे के कारण युवक हाथियों को देख नहीं सका और सीधे उनके सामने चला गया। हाथियों ने खतरा महसूस करते हुए उसे कुचल दिया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। (forest department) की मानें तो क्षेत्र में गश्त और निगरानी सीमित थी, जिससे समय रहते कोई चेतावनी नहीं दी जा सकी। यही चूक इस हादसे को और भी दर्दनाक बना गई।
घटना के बाद मौके पर पहुंची प्रशासनिक टीम
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम घटनास्थल पर पहुंची। शव को कब्जे में लेकर बलूमाथ थाना लाया गया, जहां कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई। गांव में उस वक्त मातम का माहौल था और हर आंख नम थी। परिजन बदहवास हालत में थे और किसी को समझ नहीं आ रहा था कि इतनी बड़ी त्रासदी कैसे हो गई। (postmortem process) पूरा होने के बाद शव परिजनों को सौंपा जाना था, ताकि अंतिम संस्कार किया जा सके।
पीड़ित परिवार को तत्काल राहत, पर दर्द बरकरार
वन विभाग ने पीड़ित परिवार को तात्कालिक राहत के रूप में 40 हजार रुपये की सहायता राशि दी है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ प्रारंभिक मदद है और सरकारी नियमों के तहत शेष मुआवजा जल्द दिया जाएगा। झारखंड में हाथी हमले में मौत होने पर चार लाख रुपये का मुआवजा निर्धारित है। हालांकि, परिजनों का कहना है कि पैसे से उनका बेटा वापस नहीं आ सकता। (compensation policy) जरूर मौजूद है, लेकिन ऐसे हादसों को रोकना उससे कहीं ज्यादा जरूरी है।
हाथियों की लगातार आवाजाही से दहशत में ग्रामीण
इस घटना के बाद गांव के लोगों में भारी आक्रोश देखा गया। ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों का झुंड अक्सर इस इलाके से गुजरता है, जिससे हर रात डर का माहौल बना रहता है। खेतों और घरों के आसपास हाथियों की मौजूदगी अब आम बात हो गई है। लोग मानते हैं कि यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि बढ़ते (human wildlife conflict) का नतीजा है, जिसे समय रहते नहीं संभाला गया तो भविष्य में और जानें जा सकती हैं।
प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप
ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि हाथियों की मौजूदगी की जानकारी पहले से थी, फिर भी कोई अलर्ट सिस्टम सक्रिय नहीं किया गया। न तो माइक से चेतावनी दी गई और न ही रात में गश्त बढ़ाई गई। हादसे के बाद ग्रामीणों ने एकजुट होकर अपनी नाराजगी जाहिर की और (villagers protest) के जरिए स्थायी समाधान की मांग की। उनका साफ कहना है कि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए।
स्थायी समाधान की मांग और भविष्य की चुनौती
ग्रामीणों ने मांग की है कि हाथियों के झुंड को गांव से दूर रखने के लिए वैज्ञानिक और स्थायी उपाय किए जाएं। सोलर फेंसिंग, रियल टाइम ट्रैकिंग और स्थानीय स्तर पर अलर्ट सिस्टम जैसे कदम जरूरी बताए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का भी मानना है कि जंगलों के सिकुड़ते दायरे के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। यदि समय रहते (preventive measures) नहीं अपनाए गए, तो इंसान और वन्यजीवों के बीच यह टकराव और भी भयावह रूप ले सकता है।



