झारखण्ड

जेल में बंद मंत्री आलमगीर आलम का सारा विभाग अब देखेंगे सीएम चंपई सोरेने

जेल में बंद मंत्री आलमगीर आलम के सारे विभाग सीएम चंपई सोरेन ने वापस ले लिए हैं. आलमगीर टेंडर कमीशन भ्रष्टाचार मुद्दे में कारावास में बंद हैं. अब मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन उनके सारे विभाग से जुड़े सारे काम-काज देखेंगे.

मंत्रिमंडल सचिवालय से आदेश जारी
इसको लेकर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं नज़र विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है. विभागीय सचिव वंदना दादेल के हस्ताक्षर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक मुख्यमंत्री के पास पूर्व से आवंटित विभागों के अतिरिक्त स्वयं मुख्यमंत्री की राय से उसमें आंशिक संशोधन करते हुए संसदीय कार्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण राज्य कार्य विभाग और पंचायती राज विभाग आवंटित किया गया है. पूर्व से आवंटित सभी विभाग मुख्यमंत्री के पास यथावत रहेंगे.
ऐसा करने की क्यों पड़ी जरूरत
दरअसल, जब से कैश काण्ड मुद्दे में मंत्री आलमगीर आलम को अरैस्ट किया गया है, तब से विभाग के काम लगभग ठप पड़े हैं. वहीं राष्ट्र में चल रहे चुनाव की वजह से लागू आचार संहिता के कारण इस पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा था. अब आदर्श चुनाव आचार संहिता हट गया है. मुख्यमंत्री ग्रामीण विकास विभाग में तेजी से काम करना चाहते हैं इसलिए विभागों को अपने पास रख लिया हैं.

इस्तीफे की भी हो रही तैयारी
गिरफ्तार किए जाने से कारावास जाने तक के दौरान आलमगीर आलम ने त्याग-पत्र नहीं दिया है. इसे लेकर चर्चा भी चल रही थी. वहीं अब सूत्रों का बोलना है कि अब आलमगीर आलम त्याग-पत्र दे सकते हैं. कहा जा रहा है कि आचार संहिता की वजह से किसी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता था, इसलिए वो मंत्री बने रहे.लेकिन अब वे त्याग-पत्र दे सकते हैं. चर्चा इस बात की भी है कि कांग्रेस पार्टी मंत्री का अपना कोटा नहीं छोड़ना चाहता है, ऐसे में कांग्रेस पार्टी कोटे से ही कोई मंत्री बनाया जा सकता है.

पीएस के पास मिले थे कैश

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने 6 मई को मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और उससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर रेड मारी थी. इसमें 32 करोड़ 20 लाख रुपये कैश की बरामदगी हुई थी.

पूछताछ के दौरान इस मुद्दे में मंत्री को पीएस संजीव कुमार लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम को 6 मई की देर रात ही अरैस्ट कर लिया गया था. इन दोनों से 14 दिनों तक रिमांड पर पूछताछ की गई है और दोनों को पिछले मंगलवार को न्यायालय में पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में कारावास भेज दिया गया है.

15 मई को अरैस्ट हुए थे मंत्री

इस मुद्दे में 15 मई की शाम मंत्री आलमगीर आलम को प्रवर्तन निदेशालय ने अरैस्ट किया था. इसके पहले उनसे 14 और 15 मई को कुल मिलाकर करीब 14 घंटे पूछताछ की गई थी. प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय को कहा कि ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन घोटाले में इंजीनियर, अधिकारी और मंत्री का एक संगठित रैकेट एक्टिव था.

ED ने नमूने के तौर पर जनवरी महीने में पारित 92 करोड़ के 25 टेंडर के ब्यौरे से संबंधित एक पेपर भी न्यायालय में जमा किया है, जिसमें यह साफ लिखा हुआ है कि मंत्री आलमगीर आलम ने सभी 25 टेंडर में कमीशन के रूप में 1.23 करोड़ रुपए लिए थे.

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