Yemen Conflict Saudi Airstrike Allegations: सऊदी की एयरस्ट्राइक से दहला यमन, अलगाववादियों ने लगाए संगीन आरोप…
Yemen Conflict Saudi Airstrike Allegations: मध्य पूर्व में जारी तनाव के बीच अब यमन का दक्षिणी हिस्सा एक बार फिर रणक्षेत्र में तब्दील होता दिख रहा है। शुक्रवार को ‘सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल’ (एसटीसी) के अलगाववादियों ने सऊदी अरब पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सऊदी वायुसेना ने उनके ठिकानों पर विनाशकारी एयरस्ट्राइक (Middle East Geopolitical Conflict) की है। यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब पूरी दुनिया की नजरें गाजा और लेबनान के संघर्षों पर टिकी हैं। अलगाववादियों का दावा है कि सऊदी अरब ने जानबूझकर उनकी सेना को निशाना बनाया है, जिससे क्षेत्र में एक नया सैन्य संकट खड़ा हो गया है।
हदरमौत के कब्जे वाले इलाके में आसमान से बरसी आग
अलगाववादी परिषद के अनुसार, सऊदी अरब के लड़ाकू विमानों ने यमन के हदरमौत गवर्नरेट में उन क्षेत्रों को निशाना बनाया, जिन पर हाल ही में एसटीसी ने नियंत्रण हासिल किया था। काउंसिल के आधिकारिक सैटेलाइट चैनल ‘एआईसी’ ने मोबाइल फोन फुटेज (Military Engagement Documentation) प्रसारित किए हैं, जिनमें धुएं के गुबार और धमाकों की आवाजें सुनी जा सकती हैं। हालांकि, इन हमलों में अब तक कितने लोग हताहत हुए हैं, इसकी कोई सटीक जानकारी सामने नहीं आई है। सऊदी अरब ने फिलहाल इन आरोपों पर चुप्पी साध रखी है, जिससे रहस्य और गहरा गया है।
अल्टीमेटम के ठीक एक दिन बाद सऊदी की ‘सख्त’ कार्रवाई
दिलचस्प बात यह है कि यह कथित हवाई हमला सऊदी अरब द्वारा दी गई एक कड़ी चेतावनी के ठीक 24 घंटे बाद हुआ है। गुरुवार को ही सऊदी अरब ने अलगाववादियों को आदेश दिया था कि वे (Territorial Sovereignty Dispute) के तहत कब्जे में लिए गए नए गवर्नरेट्स से तुरंत पीछे हट जाएं। सऊदी ने स्पष्ट किया था कि हदरमौत और अल-महरा जैसे इलाकों पर कब्जा करना एक “अनावश्यक उकसावा” है। जब अलगाववादियों ने जमीन खाली करने से इनकार कर दिया, तो माना जा रहा है कि सऊदी ने बल प्रयोग का रास्ता चुना।
नाजुक गठबंधन में दरार: सऊदी बनाम यूएई समर्थित गुट
यमन की जमीन पर छिड़ा यह संघर्ष केवल जमीन का नहीं, बल्कि दो बड़े सहयोगियों के बीच के हितों का टकराव भी है। एक तरफ सऊदी अरब है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार का समर्थन करता है, वहीं दूसरी तरफ (Regional Strategic Alliances) के तहत संयुक्त अरब अमीरात (UAE) समर्थित एसटीसी अलगाववादी हैं। ये दोनों ही गुट उत्तर में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ एक दशक से मिलकर लड़ रहे थे, लेकिन अब इनके आपसी मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। यह आंतरिक फूट हूती विरोधी गठबंधन को कमजोर कर सकती है।
अल-महरा और हदरमौत पर कब्जे से बिगड़ा समीकरण
दिसंबर 2025 की शुरुआत में ‘सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल’ (STC) ने अचानक अपनी सैन्य ताकत दिखाते हुए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हदरमौत और अल-महरा गवर्नरेट्स पर कब्जा जमा लिया था। सऊदी अरब इन क्षेत्रों को अपनी सुरक्षा के लिए बेहद अहम मानता है और वह (Strategic Territorial Control) को किसी भी कीमत पर अलगाववादियों के हाथ में नहीं जाने देना चाहता। सऊदी का मानना है कि एसटीसी की यह मनमानी हूती विद्रोहियों के खिलाफ चल रहे मुख्य अभियान से ध्यान भटकाने वाली और गठबंधन को अस्थिर करने वाली है।
सोशल मीडिया पर फुटेज जारी कर सऊदी पर भड़की एसटीएसी
हमले के तुरंत बाद अलगाववादियों ने वीडियो जारी कर अपना आक्रोश व्यक्त किया है। एक वायरल वीडियो में एक व्यक्ति को मलबे के पास खड़े होकर सऊदी अरब के विमानों को इस तबाही के लिए जिम्मेदार ठहराते सुना जा सकता है। यह वीडियो (Digital Information Warfare) का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके जरिए एसटीसी अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अपने समर्थकों के बीच सऊदी की छवि को एक हमलावर के रूप में पेश करना चाहता है। हालांकि, इन वीडियो की सत्यता की अभी तक किसी स्वतंत्र स्रोत ने पुष्टि नहीं की है।
हूती विद्रोहियों के खिलाफ जंग पर पड़ेगा बुरा असर
यमन में पिछले दस सालों से चल रहे गृहयुद्ध में सऊदी अरब और यूएई का गठबंधन सबसे बड़ी ताकत रहा है। लेकिन अब इन दोनों देशों के समर्थित गुटों के बीच बढ़ता तनाव (Coalition Fragility Assessment) को दर्शाता है। अगर यह गुटीय संघर्ष और बढ़ता है, तो उत्तर में बैठे हूती विद्रोही इसका पूरा फायदा उठा सकते हैं। सऊदी अरब के लिए यह स्थिति ‘इधर कुआं उधर खाई’ जैसी है, जहाँ उसे अपने ही गठबंधन के भीतर की बगावत को शांत करना है और बाहरी दुश्मन से भी लड़ना है।
कूटनीतिक चुप्पी और भविष्य की अनिश्चितता
फिलहाल सऊदी अरब के अधिकारियों ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ और अन्य मीडिया घरानों की टिप्पणी के अनुरोधों का कोई जवाब नहीं दिया है। यह कूटनीतिक खामोश संकेत दे रही है कि (Diplomatic Crisis Management) के जरिए पर्दे के पीछे कोई बड़ी रणनीति तैयार की जा रही है। अगर सऊदी अरब इन हमलों को आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लेता है, तो यमन में अलगाववादियों और सरकारी सेना के बीच एक नया पूर्ण गृहयुद्ध छिड़ सकता है। आने वाले कुछ दिन यमन के भविष्य और अरब प्रायद्वीप की सुरक्षा के लिए बेहद निर्णायक साबित होने वाले हैं।