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Ukraine War Peace Plan: यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप के अलग-अलग रास्ते

Ukraine War Peace Plan: यूक्रेन में जारी संघर्ष अब केवल रूस और यूक्रेन के बीच सीमित नहीं रहा। यह टकराव अंतरराष्ट्रीय राजनीति के सबसे जटिल दौर में प्रवेश कर चुका है, जहां अमेरिका और यूरोप की रणनीतियाँ एक-दूसरे से पूरी तरह भिन्न दिखाई देती हैं। हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति (former US president) डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश किया गया 28 पॉइंट का शांति प्रस्ताव और उसके जवाब में ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी द्वारा तैयार किया गया काउंटर प्लान इस बात का प्रमाण है कि शांति की राह अब दो अलग दिशाओं में बंट चुकी है।

Ukraine War Peace Plan
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ट्रंप का शांति प्रस्ताव और उसके मूल बिंदु

ट्रंप के प्रस्ताव को अमेरिका और रूस के बीच हुई बातचीत का परिणाम माना जा रहा है। इस मसौदे के मुताबिक यूक्रेन को अपनी कई महत्वपूर्ण भूमि रूस को सौंपनी पड़ेगी, जिनमें क्राइमिया, लुहान्स्क और डोनेट्स्क शामिल हैं। इसके साथ ही खेरसॉन और जापोरिज्जिया (zaporizia) को वर्तमान नियंत्रण रेखा पर ही स्थिर करने का सुझाव दिया गया है।
इस प्लान का सबसे विवादित हिस्सा यूक्रेन की सैन्य शक्ति को घटाकर छह लाख सैनिकों तक सीमित करने का सुझाव है। इसके अलावा यूक्रेन को यह प्रावधान अपने संविधान में जोड़ने की बात कही गई है कि वह भविष्य में किसी भी सूरत में NATO का हिस्सा नहीं बनेगा। हालांकि, यूरोपीय यूनियन में शामिल होने का रास्ता खुला रखा गया है।
इस प्रस्ताव में रूस पर लगे कई आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने और उसे फिर से वैश्विक आर्थिक ढांचे में शामिल करने की बात भी रखी गई है। विवाद का एक बड़ा केंद्र यह भी है कि रूसी संपत्तियों से यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए जो धन लिया जाएगा, उसका एक बड़ा हिस्सा अमेरिका को लाभ पहुंचाएगा।

यूरोप का काउंटर प्लान: यूक्रेन के समर्थन में सख्त रुख

यूरोप के तीन प्रमुख देशों—ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी—ने ट्रंप के प्रस्ताव के जवाब में एक नया मसौदा तैयार किया है। यह प्लान स्पष्ट करता है कि यूक्रेन की कोई भी भूमि रूस को नहीं सौंपी जाएगी। यूरोपीय देशों का कहना है कि यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं किया जा सकता।
यूरोप के प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि NATO में शामिल होना किसी भी देश का स्वतंत्र निर्णय है, और इस पर रूस का कोई veto स्वीकार्य नहीं होगा। यूरोप का रुख है कि सबसे पहले युद्ध को रोका जाए और उसके बाद शांति वार्ता तथा समझौते आगे बढ़ाए जाएँ।

जमीन और सैन्य शक्ति पर अलग-अलग दृष्टिकोण

जहां ट्रंप यूक्रेन से कब्जाई हुई जमीनों को छोड़ने का आग्रह करते हैं, वहीं यूरोप इसके बिल्कुल खिलाफ है। यूरोप का प्लान यूक्रेन की सैन्य शक्ति को लगभग आठ लाख सैनिकों (million soldiers) तक रखने की अनुमति देता है, जो उसकी वर्तमान क्षमता के काफी करीब है।
यूरोपीय मसौदे में यह भी सुझाव है कि यूक्रेन को मजबूत सुरक्षा गारंटी मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में रूस का कोई भी आक्रमण तुरंत प्रभाव से रोका जा सके।

रूस की आर्थिक स्थिति को लेकर प्रस्ताव

ट्रंप के प्लान में रूस को वैश्विक अर्थव्यवस्था ( global economy) से फिर जोड़ने और ऊर्जा, खनिज सहित विभिन्न क्षेत्रों में दीर्घकालिक आर्थिक साझेदारी की बात शामिल है। इस प्रस्ताव की आलोचना इसलिए भी हो रही है क्योंकि इसमें रूस को अपेक्षाकृत अधिक आर्थिक राहत मिलती दिखाई देती है।

क्या यह प्रस्ताव यूक्रेन के लिए समर्पण जैसा है?

कई विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का प्रस्ताव यूक्रेन के लिए शांति से अधिक एक तरह का मजबूरन समर्पण है। इससे न केवल रूस के कब्जे को मान्यता मिलेगी बल्कि अंतरराष्ट्रीय (international) मंच पर एक खतरनाक संदेश भी जाएगा कि ताकत के बल पर कब्जा की गई जमीन को वर्षों बाद औपचारिक रूप से स्वीकार भी किया जा सकता है।

अमेरिका और यूरोप के बीच मतभेद की वजह

अमेरिका की प्राथमिकता युद्ध को जल्द खत्म करना है, जबकि यूरोप की चिंता (Europe’s concern) उससे कहीं गहरी है। यूरोप को आशंका है कि यदि रूस को इस समय रियायत दी गई, तो भविष्य में वह अन्य पड़ोसी देशों पर भी दबाव बढ़ा सकता है। विशेष रूप से बाल्टिक देशों और पोलैंड की सुरक्षा को लेकर यूरोप बेहद संवेदनशील है।

 

 

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