Terrorist Sultan Aziz Azam Arrest: खूंखार आतंकी संगठन आईएस-के की टूटी कमर, सुल्तान अजीज अजम की गुप्त गिरफ्तारी का हुआ बड़ा खुलासा
Terrorist Sultan Aziz Azam Arrest: आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक बड़ी सफलता तब सामने आई जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की हालिया रिपोर्ट ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया। इस आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार, पाकिस्तान ने इस साल मई के महीने में इस्लामिक स्टेट-खुरासान यानी आईएस-के के सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक (ISIS-K Spokesperson) सुल्तान अजीज अजम को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी महज एक व्यक्ति की पकड़ नहीं है, बल्कि उस आतंकी प्रचार तंत्र की हार है जो सालों से दक्षिण एशिया में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहा था। संयुक्त राष्ट्र की विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी टीम की 16वीं रिपोर्ट ने साफ किया है कि इस कार्रवाई से आतंकी गुट की गतिविधियों पर गहरा असर पड़ा है।
खुफिया ऑपरेशन और सीमा पर अजम की घेराबंदी
सुल्तान अजीज अजम की गिरफ्तारी कोई साधारण घटना नहीं थी, बल्कि यह एक सुनियोजित और जटिल खुफिया ऑपरेशन का नतीजा थी। सरकारी सूत्रों और अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्थाओं के अनुसार, पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास (Intelligence Agency Operation) बेहद गुप्त तरीके से इस अभियान को अंजाम दिया गया। अजम लंबे समय से सीमावर्ती इलाकों का फायदा उठाकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी ने उसके भागने के सभी रास्तों को बंद कर दिया। इस गिरफ्तारी के साथ ही आतंकी समूह के सूचना तंत्र को भी बड़ा झटका लगा है, जिससे उनके आंतरिक संचार में बाधा पैदा हुई है।
प्रोपेगेंडा मशीन ‘अल-अजैम फाउंडेशन’ को लगा करारा झटका
सुल्तान अजीज अजम केवल एक प्रवक्ता नहीं था, बल्कि वह आईएस-के के मीडिया साम्राज्य का असली मास्टरमाइंड माना जाता था। वह कुख्यात (Al-Azaim Media Foundation) का संचालन करता था, जिसका उपयोग दुनिया भर में कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने और नए लड़ाकों की भर्ती के लिए किया जाता था। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का दावा है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद से इस प्रचार तंत्र की कमर टूट गई है। मीडिया शाखा के निष्क्रिय होने से संगठन के लिए अब अपनी जहरीली विचारधारा को सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर प्रसारित करना पहले जैसा आसान नहीं रह गया है।
काबुल हवाई अड्डे पर हुए कत्लेआम का असली गुनहगार
अजम का इतिहास खून से सना हुआ है और उसने कई बड़े आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेकर दुनिया को दहलाया था। अगस्त 2021 में जब काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर (Kabul Airport Blast) भयानक आत्मघाती हमला हुआ था, तब अजम ने ही आईएस-के की ओर से इसकी आधिकारिक पुष्टि की थी। इसके अलावा, वह जलालाबाद जेल हमले और निर्दोष महिला पत्रकारों की हत्या के संदेशों को प्रसारित करने का भी मुख्य सूत्रधार रहा है। साल 2015 में संगठन की स्थापना के समय से ही वह इस पद पर बना हुआ था, जिससे उसकी अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
आईएस-के की कम होती ताकत और नाकाम होते आतंकी मंसूबे
आतंकवाद विरोधी अभियानों की निरंतरता ने अब रंग दिखाना शुरू कर दिया है और आईएस-के की परिचालन क्षमता में भारी गिरावट देखी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि प्रमुख कमांडरों और कट्टरपंथी विचारकों (Counter Terrorism Effectiveness) के खात्मे के कारण संगठन के लड़ाकों की संख्या तेजी से कम हुई है। कई सुनियोजित आत्मघाती हमलों को समय रहते नाकाम कर दिया गया है। हालांकि, रिपोर्ट यह भी चेतावनी देती है कि सीमा के दोनों ओर स्वतंत्र रूप से घूमने की उनकी शक्ति बाधित जरूर हुई है, लेकिन खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है।
तालिबान के दावों पर संयुक्त राष्ट्र ने उठाए गंभीर सवाल
अफगानिस्तान की वर्तमान सत्ता यानी तालिबान लगातार यह दावा करती रही है कि उनकी जमीन का इस्तेमाल किसी भी आतंकी गतिविधि के लिए नहीं हो रहा है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र की यह ताजा रिपोर्ट (UN Security Council Report) इन दावों को पूरी तरह खारिज करती है और उन्हें अविश्वसनीय करार देती है। सदस्य देशों द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर यह स्पष्ट है कि अफगानिस्तान में आज भी विभिन्न आतंकी समूह सक्रिय हैं। रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि इन समूहों को वहां की स्थानीय निगरानी और कुछ हद तक स्वायत्तता प्राप्त है, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए एक निरंतर चुनौती बनी हुई है।
मदरसों में बच्चों को आत्मघाती हमलावर बनाने की खौफनाक साजिश
रिपोर्ट का सबसे विचलित करने वाला हिस्सा वह है जहां उत्तरी अफगानिस्तान और पाकिस्तानी सीमा के पास चल रहे मदरसों का जिक्र किया गया है। इन क्षेत्रों में आईएस-के (Radicalization of Children) के जरिए छोटे बच्चों के कोमल मन में कट्टरपंथ का जहर घोल रहा है। सूचनाएं मिल रही हैं कि महज 14 साल की उम्र के नाबालिगों के लिए ‘सुसाइड ट्रेनिंग’ यानी आत्महत्या प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। यह खुलासा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरे की घंटी है, क्योंकि मासूमों का इस्तेमाल युद्ध के औजार के रूप में करना मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है।
वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की रिपोर्ट और भविष्य की रणनीति
दिसंबर महीने की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि आसिम इफ्तिखार अहमद ने एक औपचारिक पत्र के जरिए इस पूरी रिपोर्ट को सुरक्षा परिषद के संज्ञान में लाने का अनुरोध किया था। अंतरराष्ट्रीय दबाव और (Global Security Cooperation) के तहत दी गई इस जानकारी से स्पष्ट है कि आने वाले समय में आतंकी नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने के लिए और भी कड़े कदम उठाए जाएंगे। अजम की गिरफ्तारी ने यह साबित कर दिया है कि भले ही आतंकी कितनी भी कोशिश कर लें, कानून के हाथ उन तक जरूर पहुंचते हैं। अब दुनिया की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इस गिरफ्तारी के बाद आतंकी समूहों के बचे हुए नेटवर्क को कैसे जड़ से खत्म किया जाता है।