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PDF के सशस्त्र लड़ाकों ने जुंटो समर्थित सेना के दो ठिकानों पर जोरदार हमला बोला

Myanmar PDF anti Junta Rebel Forces: देश के सुदूर पर्वोत्तर राज्य मिजोरम से सटे पड़ोसी राष्ट्र म्यांमार के चिन राज्य में वहां की सत्ताधारी जुंटो सेना शासन की सेना के विरुद्ध मिलिशिया समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स (PDF) ने खूनी जंग का आगाज कर दिया है PDF के सशस्त्र लड़ाकों ने जुंटो समर्थित सेना के दो ठिकानों पर जोरदार धावा कहा है रविवार से ही हो रही PDF की गोलीबारी से भयभीत करीब 5000 ग्रामीण सीमा पार कर हिंदुस्तान के मिजोरम में शरण लेने घुस गए हैं इनमें कई जख्मी हालत में हैं और कई म्यांमार सेना के सैनिक हैं

क्या है PDF?
जैसे-जैसे म्यांमार के जंगल में लड़ाई बढ़ती जा रही है, विद्रोही समूह PDF सेना तानाशाही के विरुद्ध घरेलू ड्रोन और विस्फोटकों का इस्तेमाल करने के लिए विवश हो रहे हैं दो वर्ष पहले तक पीपुल्स डिफेंस फोर्स के ये सैनिक इंजीनियरिंग और कानून के विद्यार्थी थे, लेकिन 1 फरवरी 2021 को सेना तख्तापलट के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़कर गुरिल्लाओं में शामिल होने का निर्णय किया इसमें कई लोकतंत्र समर्थक युवा भी शामिल हैं

म्यांमार में हुए सेना तख्तापलट ने आंग सांग सूची की लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई गवर्नमेंट को सत्ता से बेदखल कर दिया था आंग सांग सूची म्यांमार की प्रमुख सियासी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की नेता हैं उन्होंने म्यांमार में लोकतंत्र की स्थापना के लिए लंबा संघर्ष किया है और इस वजह से उन्हें लंबे समय तक कारावास और नजरबंदी में रहना पड़ा है सेना शासन की स्थापना के बाद 5 मई 2021 को PDF का गठन किया गया था

इसके बाद जब पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज के गुरिल्ला पहली बार म्यांमार में एकजुट हुए, तो कई लोगों ने उन्हें सेना तानाशाह से गुस्साए युवाओं के संगठित समूहों के रूप में देखा और दावा किया गया कि जुंटा के सेना बल ‘सिट-टैट’ उन्हें जल्द ही समाप्त कर देंगे लेकिन ऐसा हो ना सका  पिछले दो वर्ष में पीडीएफ ने आकार, संगठन और क्षमता में बड़ा विस्तार किया है और अब उनलोगों ने जुंटा के सेना शासन के विरुद्ध उपद्रव का बिगुल बजाकर उनके लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं

PDF को जनता का समर्थन प्राप्त
हालाँकि, पीडीएफ के पास भारी सेना उपकरण, उन्नत कमांड संरचना और तरराष्ट्रीय समर्थन का अभाव है लेकिन बढ़ते पीडीएफ ने अपनी सामरिक दक्षता और लचीलेपन को साबित किया है विश्लेषकों के मुताबिक, यदि वे अपनी कमांड संरचना और हथियारों में वृद्धि करते हैं, तो वे जुंटा के सेना शासन के पतन को तेज कर सकते हैं कई टुकड़ों में बंटे होने और जनता का समर्थन हासिल होने की वजह से ये विद्रोही समूह भविष्य के लिए निर्णायक किरदार निभा सकते हैं

PDF में तीन तरह से सशस्त्र समूह
यूनाइटेड स्टेट इन्स्टीट्यूट ऑफ पीस के मुताबिक, म्यांमार में हुए सेना तख्ता पलट के बाद पीपुल्स डिफेंस फोर्स तीन प्रकार के सशस्त्र समूहों के लिए एक व्यापक शब्द बनकर उभरा है इसके अनुसार PDF, क्षेत्रीय रक्षा बल (LDF) और पीपुल्स डिफेंस टीम (PDT) आती है पीडीएफ आम तौर पर राष्ट्रीय एकता गवर्नमेंट (National Unity Government (NUG)) यानी मुख्य रूप से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सांसदों द्वारा गठित छाया नागरिक गवर्नमेंट द्वारा गठित या मान्यता प्राप्त बड़ी सशस्त्र इकाइयाँ हैं पीडीएफ मुख्य रूप से एनयूजी और कई जातीय सशस्त्र संगठनों (ईएओ) द्वारा स्थापित संयुक्त कमांड सिस्टम के अनुसार काम करते हैं, जिनमें से कई दशकों से सिट-टैट से लड़ रहे हैं

एलडीएफ क्षेत्रीय स्तर पर स्वायत्त रूप से काम करने वाली क्षेत्रीय मिलिशिया हैं, जो अक्सर एनयूजी से अलग अपने स्वयं के मिशनों को आगे बढ़ाती हैं इसके अलावा पीडीटी क्षेत्रीय रक्षा और सुरक्षा उद्देश्यों के लिए बनाई गई क्षेत्रीय गुरिल्ला इकाइयाँ हैं इनमें पीडीएफ सबसे अधिक नियोजित सेना इकाइयां हैं जो टाउनशिप और राज्यों/क्षेत्रों में काम कर रही हैं, जबकि एलडीएफ और पीडीटी सामुदायिक स्तर पर काम करने वाली आत्मरक्षा या सामुदायिक सुरक्षा मिलिशिया हैं

पीडीएफ की सेना ताकत
यूनाइटेड स्टेट इन्स्टीट्यूट ऑफ पीस की एक रिपोर्ट में बोला गया है कि PDF में कुल सैनिकों की संख्या करीब 65,000 हैं इनके 20 फीसदी सैनिक सैन्य-ग्रेड हथियारों से लैस हैं जबकि 40 प्रतिशत के पास घरेलू हथियार हैं अक्टूबर 2022 तक, 200 से 500 सैनिकों वाली लगभग 300 पीडीएफ बटालियनें थीं अभी भी 63 अतिरिक्त बटालियनें राष्ट्रीय एकता गवर्नमेंट से मान्यता की प्रतीक्षा कर रही हैं

PDF क्यों लड़ रही खूनी जंग?
जुंटा समर्थित सेना के हिंसक दमन ने इस विद्रोही युवा समूह को म्यांमार में लोकतंत्र की वापसी के साझा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एकजुट कर दिया है हालांकि, उनमें से हरेक के पास गुरिल्ला सेनानी बनने के पीछे एक अलग कहानी है डायचे वेले की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समूह में 19 वर्ष से 30 वर्ष तक की कई युवतियां भी हैं, जो म्यांमार से सेना शासन की विदाई  और लोकतंत्र की स्थापना चाहती हैं पीडीएफ में कई अनुभवी और सेवानिवृत्त सैनिक भी हैं जो कमांड देने और रणनीति बनाने में अपनी किरदार निभा रहे हैं

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