Indian Student Trapped in Russian Army: रूसी सेना में जबरन भर्ती और ड्रग्स के झूठे केस का हुआ खौफनाक खुलासा
Indian Student Trapped in Russian Army: गुजरात के मोरबी का रहने वाला साहिल मोहम्मद हुसैन आज एक ऐसी दास्तां बयां कर रहा है, जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाए। साहिल बेहतर भविष्य की तलाश में स्टूडेंट वीजा पर रूस गया था, जहां वह अपनी पढ़ाई के साथ-साथ एक कूरियर कंपनी में पार्ट-टाइम नौकरी करके अपना गुजारा कर रहा था। लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी यह साधारण सी जिंदगी जल्द ही एक (International Conflict Zone) के बीचो-बीच तब्दील हो जाएगी। साहिल की आपबीती उस धोखे की ओर इशारा करती है जो विदेशों में पढ़ रहे मासूम भारतीय छात्रों के साथ हो रहा है।
ड्रग्स का झूठा केस और पुलिस की साजिश
साहिल ने यूक्रेन की सेना की गिरफ्त से जारी एक वीडियो संदेश में बताया कि रूस की स्थानीय पुलिस ने उसे बेहद चालाकी से ड्रग्स के एक फर्जी मामले में फंसा दिया था। इसके बाद शुरू हुआ ब्लैकमेलिंग का वह दौर, जिसने उसे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। पुलिस ने साहिल के सामने एक ऐसी शर्त रखी जिसे मानना उसकी मजबूरी बन गया। उसे कहा गया कि यदि वह (Russian Military Recruitment) का हिस्सा बन जाता है, तो उसके ऊपर लगे सभी आपराधिक आरोप (Indian Student Trapped) हटा दिए जाएंगे और उसे रिहा कर दिया जाएगा।
जेलों में बंद 700 भारतीयों को रिहाई का लालच
साहिल का दावा है कि वह अकेला ऐसा पीड़ित नहीं है जिसे इस तरह से जाल में फंसाया गया है। उसके अनुसार, रूस की विभिन्न जेलों में कम से कम 700 ऐसे लोग बंद हैं जिन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर सेना में शामिल होने के बदले आजादी का सपना दिखाया जा रहा है। यह (Compulsory Combat Service) असल में एक ऐसा सौदा है जहां निर्दोष लोगों को फ्रंटलाइन पर मौत के मुंह में धकेल दिया जाता है। साहिल की बातों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और जबरन सैन्य भर्ती के गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
महज 15 दिन की ट्रेनिंग और सीधी मौत से सामना
साहिल ने बताया कि उसे सेना में शामिल करने के बाद केवल 15 दिनों का बुनियादी प्रशिक्षण दिया गया। इतनी कम ट्रेनिंग के बाद उसे सीधे यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की फ्रंटलाइन पर तैनात कर दिया गया, जहां अनुभवी सैनिक भी टिकने के लिए संघर्ष करते हैं। अपनी जान बचाने का कोई और रास्ता न देखकर, साहिल ने (Surrender to Ukrainian Forces) करने का फैसला किया। वह खुशकिस्मत था कि उसने सही समय पर हथियार डाल दिए, वरना युद्ध की आग उसे कब का लील चुकी होती।
प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार से वतन वापसी की गुहार
यूक्रेनी सेना के कब्जे में रहते हुए साहिल ने अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भावुक अपील की है। उसने गुहार लगाई है कि भारत सरकार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उच्च स्तरीय बातचीत करे और उसकी सुरक्षित घर वापसी का मार्ग प्रशस्त करे। साहिल जैसे युवाओं के लिए (Diplomatic Intervention Efforts) ही अब आखिरी उम्मीद बची है। उसके वीडियो ने भारत में बैठे उन सैकड़ों परिवारों की नींद उड़ा दी है जिनके बच्चे रूस या उसके पड़ोसी देशों में शिक्षा या नौकरी के लिए गए हुए हैं।
मां की ममता और अदालत की चौखट
वतन वापसी की यह लड़ाई अब दिल्ली की अदालत तक पहुंच चुकी है। साहिल की मां ने अपने बेटे को सुरक्षित वापस लाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस अर्जी पर फरवरी में महत्वपूर्ण सुनवाई होनी तय है। परिवार का कहना है कि साहिल को धोखे से फंसाया गया है और वह किसी भी तरह की (Illegal Human Trafficking) का शिकार हुआ है। साहिल ने भी युवाओं को चेतावनी दी है कि रूस में सक्रिय एजेंटों और धोखेबाजों के झांसे में कभी न आएं, क्योंकि वहां एक छोटा सा लालच आपकी जिंदगी बर्बाद कर सकता है।
विदेश मंत्रालय की सक्रियता और पुतिन से सीधी बात
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इस पूरे मामले पर गंभीर रुख अपनाते हुए कहा है कि सरकार उन सभी भारतीयों को छुड़ाने के लिए प्रतिबद्ध है जिन्हें गुमराह करके रूसी सेना का हिस्सा बनाया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद (Bilateral Discussion with Russia) के दौरान राष्ट्रपति पुतिन के सामने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। भारत का स्पष्ट स्टैंड है कि उसके नागरिकों को तुरंत रिहा कर वतन भेजा जाए। सरकार ने एक बार फिर एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों को रूसी सेना से संबंधित किसी भी प्रस्ताव से दूर रहने की सख्त हिदायत दी है।
धोखे के खिलाफ युवाओं को बड़ी चेतावनी
साहिल मोहम्मद हुसैन की यह कहानी उन हजारों युवाओं के लिए एक कड़वा सबक है जो विदेश जाकर जल्द अमीर बनने या संकट से बचने के लिए गलत रास्तों का चुनाव करते हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी इस (Global Security Crisis) ने न केवल भौगोलिक सीमाओं को प्रभावित किया है, बल्कि मासूमों की जान को भी दांव पर लगा दिया है। फिलहाल साहिल के परिवार और पूरे देश की नजरें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं, ताकि मोरबी का यह बेटा जल्द से जल्द अपनी मिट्टी पर वापस लौट सके।