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Grok AI Controversy: 5 बड़े खुलासे, जब बॉन्डी बीच शूटिंग पर एलन मस्क का चैटबॉट फेल हुआ…

Grok AI Controversy: ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बॉन्डी बीच पर हुई सामूहिक गोलीबारी ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। इस दर्दनाक घटना में 16 लोगों की मौत की पुष्टि हुई। जैसे ही खबर फैली, लोग तेजी से ऑनलाइन जानकारी खोजने लगे और यहीं से (breaking news AI) की परीक्षा शुरू हुई।

Grok AI Controversy
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एलन मस्क के AI टूल पर क्यों हुआ शक

इसी दौरान एलन मस्क की AI कंपनी xAI द्वारा विकसित चैटबॉट ग्रोक को लेकर गंभीर सवाल उठे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उपयोग किए जाने वाले इस टूल ने बॉन्डी बीच गोलीबारी से जुड़ी कई जानकारियां गलत तरीके से प्रस्तुत कीं, जिससे (Grok AI errors) को लेकर आलोचना तेज हो गई।


यूजर्स के सवाल और ग्रोक के भ्रामक जवाब

घटना के तुरंत बाद यूजर्स ने ग्रोक से हमले को लेकर सवाल पूछने शुरू किए। लेकिन कई मामलों में चैटबॉट ने या तो अधूरी जानकारी दी या फिर पूरी तरह गलत जवाब। इससे (AI misinformation) के खतरे पर नई बहस छिड़ गई।


जिसने हमलावर को रोका, उसकी पहचान में चूक

Gizmodo की रिपोर्ट के अनुसार, 43 वर्षीय अहमद अल अहमद ने साहस दिखाते हुए हमलावर को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन ग्रोक बार-बार उनकी पहचान गलत बताता रहा। कहीं उन्हें किसी और देश से जोड़ दिया गया, तो कहीं उनका नाम ही बदल दिया गया, जो (AI identity error) का गंभीर उदाहरण है।


वायरल वीडियो को लेकर भी संदेह

इतना ही नहीं, ग्रोक ने उस वीडियो की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठा दिया जिसे दुनिया भर के मीडिया संस्थानों ने सही माना था। इससे यूजर्स में भ्रम फैला और (fake news detection AI) की सीमाएं उजागर हुईं।


बिना संदर्भ के अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को जोड़ना

एक और हैरान करने वाली बात यह रही कि ग्रोक ने इस ऑस्ट्रेलियाई घटना को इजरायली सेना और फिलिस्तीन से जुड़े मुद्दों से जोड़ दिया, जबकि उनका कोई सीधा संबंध नहीं था। इससे (AI contextual failure) की समस्या सामने आई।


गलत नाम और पेशे का दावा

एक जवाब में ग्रोक ने दावा किया कि हमलावर को निहत्था करने वाला व्यक्ति एडवर्ड क्रैबट्री नाम का आईटी प्रोफेशनल है। बाद में यह जानकारी पूरी तरह गलत साबित हुई। खुद ग्रोक ने माना कि यह भ्रम (unverified online sources) की वजह से पैदा हो सकता है।


ब्रेकिंग न्यूज में AI कितना भरोसेमंद?

यह पूरा मामला इस बात की याद दिलाता है कि जब खबरें तेजी से बदल रही हों, तब AI चैटबॉट्स पर आंख मूंदकर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। छोटी सी गलती भी बड़े स्तर पर भ्रम फैला सकती है, खासकर (real-time AI news) के दौर में।

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