Winter Pain Old Injury: सर्दी और दर्द का पुराना याराना! जानें ठंड बढ़ते ही क्यों बढ़ने लगता है पुरानी चोट का दर्द…
Winter Pain Old Injury: जैसे ही ठंड का मौसम आता है, कई लोगों की पुरानी चोटें और दर्द फिर से उभरने लगते हैं (winter effect)। महीनों या सालों पुरानी चोटें भी ठंड में अचानक दर्द देने लगती हैं। यह कोई संयोग नहीं, बल्कि शरीर और मौसम के बीच होने वाली वैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं का परिणाम है। तापमान गिरते ही शरीर गर्मी बचाने के लिए अपनी प्रक्रियाओं में बदलाव करता है, और यही बदलाव पुराने दर्द को ट्रिगर कर देता है।

तापमान गिरने पर क्यों बढ़ता है दर्द?
ठंड में शरीर अपनी गर्मी सुरक्षित रखने के लिए रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है (blood circulation)। इस संकुचन से पुराने चोटिल क्षेत्रों में ब्लड फ्लो कम हो जाता है। जब ऑक्सीजन और पोषक तत्व सही मात्रा में नहीं पहुँचते, तो उस जगह की मांसपेशियां और टिश्यू कठोर होने लगते हैं। नतीजतन, दर्द और सूजन बढ़ जाती है। यह प्रक्रिया खासकर उन जोड़ों और लिगामेंट्स में अधिक असर करती है जो पहले से कमजोर या घायल रहे हों।
वायुमंडलीय दबाव में गिरावट का असर
सर्दियों में अक्सर वायुमंडलीय दबाव कम हो जाता है (low pressure)। जैसे ही प्रेशर गिरता है, जोड़ के भीतर मौजूद फ्लुइड फैलने लगता है। इससे आसपास के ऊतकों में सूजन आ जाती है और नसों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इसी कारण सर्दियों में घुटने, कमर, कंधे और टखने के दर्द में बढ़ोतरी महसूस होती है। जिन लोगों को पहले चोट लगी हो, उनमें यह संवेदनशीलता और अधिक हो जाती है।
रक्त प्रवाह कम—अकड़न ज्यादा
ठंड के कारण जब रक्त वाहिकाएं संकुचित होती हैं, तो ब्लड सर्कुलेशन कमजोर पड़ जाता है (muscle stiffness)। इससे मांसपेशियां और लिगामेंट्स पर्याप्त गर्मी न मिल पाने के कारण अकड़ जाते हैं। परिणामस्वरूप पुरानी चोटें जैसे फ्रैक्चर, मोच या लिगामेंट टियर वाले हिस्सों में दर्द बढ़ जाता है। अक्सर लोग सुबह उठते ही अधिक अकड़न और दर्द महसूस करते हैं क्योंकि रात में तापमान और गिर जाता है।
कम होती गतिविधि और विटामिन D की कमी
सर्दियों में लोग बाहर कम निकलते हैं और शारीरिक गतिविधि भी काफी कम हो जाती है (low activity)। इससे मांसपेशियां कमजोर और जकड़ी हुई लगने लगती हैं। जोड़ों का लचीलापन कम होने पर वे ज्यादा दर्द देने लगते हैं। इसी के साथ सूरज की कमी से विटामिन D का स्तर भी घट जाता है, जो हड्डियों तथा इम्यून सिस्टम के लिए बेहद जरूरी है। इसकी कमी पुराने दर्द को और बढ़ा सकती है।
ठंड बढ़ाती है दर्द की संवेदनशीलता
अध्ययन बताते हैं कि ठंडे मौसम में तंत्रिका तंत्र की संवेदनशीलता बढ़ जाती है (pain sensitivity)। इसलिए वही दर्द जो गर्मियों में हल्का महसूस होता है, वह सर्दियों में अधिक तीव्र लगता है। नसों के टिश्यू ठंड में सिकुड़ जाते हैं और दर्द संकेतों को अधिक तेज़ी से भेजते हैं, जिससे दर्द की तीव्रता बढ़ जाती है।
कैसे करें सर्दियों में पुराने दर्द से बचाव?
पुरानी चोटों के दर्द को नियंत्रित करने के लिए कुछ सरल और लाभदायक उपाय अपनाए जा सकते हैं (warm therapy):
शरीर को हमेशा गर्म रखें, खासकर प्रभावित हिस्से को।
भारी ठंड में बाहर जाने से पहले लेयर्स पहनें और जोड़ को ठंडी हवा से बचाएँ।
नियमित हल्का व्यायाम करें—इनडोर वॉक, स्ट्रेचिंग और योग बहुत उपयोगी हैं।
विटामिन D का स्तर सही रखने के लिए डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लें।
खूब पानी पिएँ ताकि शरीर डिहाइड्रेट न हो।
पुराने चोट वाले स्थान पर गर्म सिकाई करें, इससे मांसपेशियों को तुरंत आराम मिलता है।
लंबे समय तक एक ही पोजीशन में न रहें और दिन में बार-बार हल्की मूवमेंट करें।
पुरानी चोट के दर्द को समझें—समाधान आसान होगा
सर्दियों में पुरानी चोटें क्यों बढ़ती हैं, यह समझना बेहद जरूरी है (injury care)। जब हम कारणों को जान लेते हैं, तो दर्द को नियंत्रित करना काफी आसान हो जाता है। मौसम का प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग होता है, इसलिए अपने शरीर के संकेतों को सुनना और समय पर सावधानी बरतना सबसे महत्वपूर्ण है।



